करवरिया बंधु पहले जेल में सुनते थे भजन, अब करेंगे श्रम Prayagraj News
सपा शासनकाल में फरवरी 2017 में तत्कालीन डीएम संजय कुमार व एसएसपी शलभ माथुर ने जेल में अचानक छापेमारी की थी। तब उदयभान के बैरक से म्युजिक सिस्टम व टीवी बरामद हुई थी।
प्रयागराज, [ताराचंद्र गुप्ता]। पहले जेल में सुनते थे भजन, लेकिन करवरिया बंधु अब करेंगे श्रम। यह दिन का उलटफेर ही है। पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, उनके भाइयों पूर्व विधायक उदयभान, पूर्व एमएलसी सूरज भान पिछले करीब चार साल से सेंट्रल जेल नैनी में बंद हैं। कुछ साल पहले उन्हें जेल में काफी सहूलियत मिल रही थी, पर अब हालात बदल गए हैं। सजायाफ्ता कैदी होने के कारण जेल नियमों के तहत उनसे काम लिया जाएगा। काम नहीं करने पर नियमानुसार जेल प्रशासन उन्हें दंडित भी कर सकता है।
तब उदयभान के बैरक से म्युजिक सिस्टम व टीवी बरामद हुई थी
दरअसल, सपा शासनकाल के दौरान फरवरी 2017 में तत्कालीन डीएम संजय कुमार व एसएसपी शलभ माथुर ने जेल में अचानक छापेमारी की थी। तब उदयभान के बैरक से म्युजिक सिस्टम व टीवी बरामद हुई थी। अधिकारियों ने दावे के साथ कहा था कि बंदी उदयभान और उनके भाई जेल में भजन सुन रहे थे। छापेमारी में इलेक्ट्रानिक उपकरण बरामद होने के बाद करवरिया बंधुओं को मीरजापुर जिले की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। हालांकि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद आरोपितों को फिर से सेंट्रल जेल नैनी लाया गया था।
आतंकियों से ज्यादा लगाया गया जुर्माना
करवरिया बंधुओं समेत सभी दोष सिद्ध आरोपितों को आजीवन कारावास के साथ ही उन पर सात लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना की रकम सुनते ही कचहरी में मौजूद कुछ अधिवक्ताओं ने कहा कि आतंकियों से ज्यादा जुर्माना लगा दिया गया है। दरअसल, अयोध्या के राम मंदिर परिसर में हुए आतंकी हमले के मुकदमे का फैसला भी प्रयागराज की जिला अदालत ने सुनाया था। तब कोर्ट ने आतंकियों को सजा सुनाने के साथ ही उन पर महज दो लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
बेगुनाही का नहीं दे सके थे सबूत
मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा गया था कि घटना के दिन कपिलमुनि करवरिया व रामचंद्र त्रिपाठी लखनऊ में थे, जिसका कोई प्रमाण वह नहीं दे सके थे। वहीं, उदयभान के दिल्ली में होने का दावा किया गया था पर अदालत में किराए पर ली गई टैक्सी की रसीद अथवा दिल्ली आने व जाने का कोई साक्ष्य नहीं दे पाए थे। इसी तरह सूरजभान के बारे में कहा गया था कि वह छेदी सिंह के बाबा की मौत होने पर अंतिम संस्कार में शामिल होने रसूलाबाद घाट गए थे, जिसकी निगेटिव फोटो कोर्ट में दी गई थी और कोर्ट ने उसे अमान्य कर दिया था। इसी तरह श्याम नारायण करवरिया उर्फ मौला को श्याम पैलेस सिनेमा में होने की बात कही गई थी, जिसके संबंध में पेश किए गए तर्क को अदालत ने अस्वीकार्य कर दिया था। इस तरह अभियुक्त अपनी बेगुनाही का सबूत कोर्ट में नहीं दे सके थे।
जेल में बागवानी की जताई इच्छा
उम्र कैद की सजा सुनाए जाने के बाद जेल पहुंचे करवरिया बंधुओं ने बागवानी की ख्वाहिश जताई है। जेल अफसरों का कहना है कि इस पर विचार कर फैसला लिया जाएगा। हालांकि जेल के अफसर इस प्रस्ताव पर सहमत दिख रहे हैैं। 31 अक्टूबर से ही इस बात की चर्चा चल रही थी कि सश्रम सजा मिलने पर करवरिया बंधुओं से जेल में क्या काम कराया जाएगा? सजा मिलने के बाद सोमवार शाम करवरिया बंधुओं को अदालत से जेल लाया गया तो उन्होंने अधिकारियों के सामने कहा कि वह बागवानी करने की इच्छा रखते हैं। हो सके तो उनसे यही काम करा लिया जाए। वरिष्ठ अधीक्षक हरि बख्श सिंह ने कहा कि जेल मैनुअल के मुताबिक कैदियों से काम लिया जाता है। करवरिया बंधुओं ने खुद बागवानी के लिए कहा है तो यही कराया जाएगा।