गुरु जी की योग्यता परखने के लिए सिर्फ डेढ़ मिनट! संस्कृत शिक्षक भर्ती में साक्षात्कार प्रक्रिया पर सवाल
सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की भर्ती तो की जा रही है लेकिन योग्यता परखने के लिए तय किए समय से सवाल खड़े हो गए हैं। साक्षात्कार छह अक्टूबर से नौ अक्टूबर तक सुबह दस से शाम पांच बजे तक लिया जाएगा।

प्रयागराज, राज्य ब्यूरो। प्रदेश भर में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की भर्ती तो की जा रही है, लेकिन योग्यता परखने के लिए तय किए समय से सवाल खड़े हो गए हैं। साक्षात्कार छह अक्टूबर से नौ अक्टूबर तक सुबह दस से शाम पांच बजे तक लिया जाएगा। साहित्य एवं व्याकरण विषय के लिए साक्षात्कार लिया जाएगा, जबकि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से विशेषज्ञ न मिल पाने के कारण प्रयागराज में आधुनिक विषय का साक्षात्कार स्थगित कर दिया गया है।
1440 मिनट में करीब 1027 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार
प्रदेश भर में जिलों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जो पांच सदस्यीय चयन समिति बनाई गई है, उसमें संबंधित अशासकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक अध्यक्ष हैैं। इनके अलावा संबंधित जिले के जिलाधिकारी द्वारा नामित जनपदीय अधिकारी सदस्य, मंडलीय उप निरीक्षक संस्कृत पाठशालाएं सदस्य, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा नामित दो सदस्य एवं संबंधित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य सचिव हैैं। साक्षात्कार में शिक्षकों की योग्यता परखने के लिए उदाहरण के रूप मेें प्रयागराज की स्थिति को समझना होगा। साहित्य एवं व्याकरण विषय के लिए कुल 1127 आवेदन मिले हैैं, जिसमें से 90 निरस्त हो गए हैैं। चार दिवसों में सुबह दस से शाम पांच बजे तक साक्षात्कार की अवधि में मध्याह्न अवकाश एवं भिन्न-भिन्न विद्यालयों के लिए एक के बाद दूसरे विद्यालय के साक्षात्कार बोर्ड का गठन भी किया जाता रहेगा। इस तरह यदि छह घंटे रोज साक्षात्कार होगा तो चार दिन में 24 घंटे यानी 1440 मिनट लगेंगे। इस 1440 मिनट में करीब 1027 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया जाना है। हिसाब लगाएंगे तो एक शिक्षक की योग्यता परखने के लिए मुश्किल से डेढ़ मिनट का समय मिलेगा।
डेढ़ मिनट में किसी शिक्षक की योग्यता कैसे परखी जाएगी
अब सवाल यह है कि लगभग इस डेढ़ मिनट में किसी शिक्षक की योग्यता कैसे परखी जाएगी? और वह कितनी न्यायसंगत होगी? इतने कम समय में शिक्षक के मूल्यांकन की प्रक्रिया को वायस आफ टीचर्स (वोट) के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य राजेश मिश्र 'धीरÓ ने त्रुटिपूर्ण, अव्यवहारिक, दोषपूर्ण एवं औपचारिक बताया है। कहा कि स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति करने का समय था, लेकिन ऐसा न कर संस्कृत विद्यालयों के प्रति उपेक्षात्मक रुख अपनाया गया।
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