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    Indian Railways: प्रयागराज में केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन का आफिस बंद हो सकता है, जानें ऐसा क्‍यों

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 24 Sep 2021 01:42 PM (IST)

    Indian Railways रेलवे में तेजी से विद्युतीकरण का काम चल रहा है। विद्युतीकरण का लगभग 80 फीसद काम कोर के पास है। आगामी दो वर्ष में भारतीय रेलवे में 100 ...और पढ़ें

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    प्रयागराज स्थित विद्युतीकरण कोर के कार्यालय को बंद करने की सुगबुगाहट है। इसकी रूपरेखा भी बनने लगी है।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज में उत्तर मध्य रेलवे का मुख्यालय है। इसके साथ ही यहां केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (कोर) का केंद्रीय कार्यालय भी स्थित है। दोनों कार्यालय में महाप्रबंधक बैठते हैं। प्रयागराज में ही मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय भी है, वहां पर डीआरएम बैठते हैं। यानी रेलवे के तीन महत्वपूर्ण कार्यालय प्रयागराज में हैं। उसमें से एक कार्यालय कोर को बंद करने की तैयारी भी शुरू हो गई है।

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    आरआरबी व आरआरसी को भी बंद करने की तैयारी है 

    भारतीय रेलवे में इस समय तेजी से विद्युतीकरण का काम चल रहा है। विद्युतीकरण का लगभग 80 फीसद काम कोर के पास है। आगामी दो वर्ष में भारतीय रेलवे में 100 फीसद विद्युतीकरण कर दिया जाएगा। इसके बाद संभावना है कि प्रयागराज स्थित कोर के कार्यालय को बंद कर दिया जाएगा। इसकी रूपरेखा काफी पहले समय से बन रही है। केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय की इकोनामिक एडवाइजर संजीव सान्याल की तैयार रिपोर्ट पर रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी), रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ (आरआरसी) और रेलवे के स्कूलों को भी बंद करने की तैयारी चल रही है। रेल मंत्रालय से संजीव सान्याल की रिपोर्ट को हरी झंडी मिलने के बाद रेलवे बोर्ड ने जोनल आफिस और मुख्यालय को पत्र भेजकर इस तैयारी को धरातल पर लाने का निर्देश दिया है।

    अधिकारियों व कर्मचारियों में खलबली मची

    पत्र जारी होने के बाद रेलवेे अधिकारियों और कर्मचारियों में खलबली मच गई है। अगर यह कार्यालय बंद हो गया तो उन्हें कहां पर नई तैनाती मिलेगी। उनकी वरिष्ठता का क्या होगा। क्या इसके बाद उनके वेतनमान में कोई कमी तो नहीं होगी। इस प्रकार के कई सवाल उन्हें परेशान कर रहे हैं।

    एनसीआर मेंस यूनियन के महामंत्री ने यह कहा

    नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन (एनसीआरएमयू) के महामंत्री आरडी यादव का कहना है कि केंद्र सरकार रेलवे का निजीकरण करने के लिए तरह-तरह के रास्ते ढूंढ रही है। न ताे रेलवे कर्मचारियों का हक केंद्र सरकार को मारने दिया जाएगा और न ही यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं को महंगा होने दिया जाएगा। बोले कि उनके व अन्य संगठनों का केवल एक ही लक्ष्य है कि सरकार किसी की भी हो, रेलवे सरकार की होनी चाहिए। इससे निजी हाथों को सौंपा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे एक मात्र ऐसा संगठन है, जहां पर हर वर्ग के लोगों को एकरूपता दी जाती है। ट्रेन के सामान्य, स्लीपर, एसी कोच में लोग अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार सफर करते हैं। रेलवे उन्हें एक ही समय पर उनके गंतव्य पर पहुंचाती है। निजीकरण होने पर यह एकरूपता खत्म हो जाएगी।

    तेजस ट्रेन निजीकरण का बड़ा उदाहरण

    एनसीआरएमयू के महामंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की मंशा के अनुरूप तेजस ट्रेन को चलाया गया। इसका संचालन से लेकर बुकिंग तक निजी हाथों को सौंपी गई। यात्रियों से यह कहकर अधिक किराया लिया गया कि यह ट्रेन लेट नहीं होगी। लेट होने पर इसका भुगतान किया जाएगा। तेजस ट्रेन को चलाने के लिए दूसरी ट्रेनों को लेट किया गया है। अगर ऐसी ही कोई सुविधा खास लोगों को देनी है तो उसके लिए दूसरा विकल्प या पटरी बिछाई जाए, जैसे मालगाडिय़ों के लिए हो रहा है। इससे सवारी गाडिय़ां प्रभावित नहीं होंगी। इस प्रकार का निजीकरण किसी के लिए अच्छा नहीं है।