Hunar Haat in Prayagraj : गुनगुनी धूप में इस बार हुनर हॉट का नहीं ले सकेंगे आनंद, स्टॉल लगाने की नहीं मिली अनुमति
Hunar Haat in Prayagraj शारदीय नवरात्र में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में प्रस्तावित 10 दिवसीय मेले हुनर हाट के लिए जिला प्रशा ...और पढ़ें

प्रयागराज, जेएनएन। कहीं बिहार की लिट्टी-चोखा तो कहीं अवधी पकवानों की उड़ती खुशबू। पंजाब के मशहूर छोले कुल्छे और महाराष्ट्र का मसालेदार बड़ा गोली पाव। इसके अलावा केरल का शाहीतुकदा और राजस्थान का दाल-बाटी चूरमा। इन लजीज व्यंजनों को बनता देखकर ही हर किसी के मुंह में पानी आना स्वाभाविक ही है। अगर यह सब एक ही स्थान पर मिले तो क्या बात है। एनसीजेडसीसी के शिल्प हाट स्थल पर लगे हुनर हाट हर बार ऐसा ही नजारा रहता है। स्टाॅलों पर खरीदारी के साथ ही लजीज व्यंजनों का जायका हर किसी को यहां खींच ही लाता है। हालांकि इस बार ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से हुनर हाट एनसीजेडसीसी में नहीं लगेगा।
शारदीय नवरात्र में 10 दिवसीय हुनर हॉट की मांगी थी अनुमति
शारदीय नवरात्र में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में प्रस्तावित 10 दिवसीय मेले हुनर हाट के लिए जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है। अनुमति न मिलने से इसके आयोजक भी निराश है। पिछले दिनों अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हुनर हाट लगवाने की घोषणा की थी। इससे महीनों से खाली बैठे शिल्पियों की भी रोजी-रोटी चल जाती। उसी क्रम में इसके लिए जिला प्रशासन से अनुमति मांगी गई थी।
प्रशासन ने कहा-200 से अधिक लोगों की भीड़ की अनुमति नहीं
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के डायरेक्टर प्रमोद कुमार ठाकुर ने जिला प्रशासन से हुनर हाट के लिए 18 अक्टूबर से 10 दिन के लिए तीन अक्टूबर को अनुमति मांगी। उन्होंने कहा था कि हुनर हाट में सौ स्टाल लगने हैं। इसके जवाब में अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय ने कहा कि सौ स्टाल लगने का मतलब है कि हर स्टाल पर कम से कम चार-पांच लोग जमा होंगे। इस तरह एनसीजेडसीसी परिसर में चार से पांच सौ लोग एक समय मौजूद रहेंगे। जबकि किसी भी कार्यक्रम के लिए दो सौ से अधिक लोगों की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अभी कोरोना के संक्रमण को देखते हुए ऐसे आयोजन के लिए अनुमति देना संभव नहीं है।
एक ही स्थल पर देश भर के शिल्पकार मौजूद होते थे
हर वर्ष हुनर हाट में स्टाल के अलावा भी दर्जनों अन्य दुकानें मैदान में लगाई जाती रही हैं। इसमें उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक के राज्यों से शिल्पकार, शेफ तथा संतराश अपनी कला का प्रदर्शन करने आए हैं। हाट में संगमरमर के मंदिर व इसी पत्थर से बने अन्य सामान, मध्य प्रदेश के ब्लाक प्रिंट, उप्पा छपाई, बिहार की मधुबनी चित्रकारी, गुजरात की अजरख, लखनवी चिकन, आंध्र प्रदेश की कलमकारी व मंगलगिरी, तमिलनाडु की एंब्रायडरी और चंदन से बनी कलाकृतियां, विंटर स्लीपर, असम के पारंपरिक परिधान सहित क्रॉकरी व महिलाओं के शृंगार की एक से एक सामग्री भी लोगों को लुभाती रही हैं।

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