इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के ये हास्टल जहां से निकले रत्नों ने देश-दुनिया में बिखेरी चमक, पढ़िए इनका इतिहास
देश दुनिया में शिक्षा का उजाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय से यूं ही नहीं हुआ। इसमें छात्रावासों का भी अहम योगदान है। गोद में आने वाले देश भर के छात्रों का लालन पालन कर इन छात्रावासों ने उन्हें सफलता के शिखर पर भी पहुंचाया। इनका गौरवशाली इतिहास है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। देश दुनिया में शिक्षा का उजाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय से यूं ही नहीं हुआ। इसमें छात्रावासों का भी अहम योगदान है। गोद में आने वाले देश भर के छात्रों का लालन पालन कर इन छात्रावासों ने उन्हें सफलता के शिखर पर भी पहुंचाया। इनका गौरवशाली इतिहास है, तो उज्जवल भविष्य भी। अंतेवासियों के कमरे भले ही छोटे हों लेकिन उनसे निकले सपूतों से देश का सीना हमेशा ही चौड़ा हुआ। छात्रावासों ने भारत को ऐसे-ऐसे अनमोल रत्न दिए जिन्होंने राजनीति, राजशाही और विधिक क्षेत्र में रहते हुए देश की दिशा व दिशा को भी बदला। यहां तक कि इनके अंतेवासी प्रधानमंत्री और न्यायपालिका में भी शीर्ष पदों तक पहुंचे। छात्रावासों के इसी सुनहरे अतीत पर प्रस्तुत है अमरदीप भट्ट की रिपोर्ट.... ।
हिंदू छात्रावास
हिंदू छात्रावास का इतिहास जितना समृद्ध रहा है उतना कोई और नहीं। स्वतंत्रता आंदोलन में आजादी के मतवालों का भी यह ठिकाना था। पूर्व राष्ट्रपति स्व. डा. शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, मशहूर कवि फिराक गोरखपुरी, गोविंद वल्लभ पंत, सुमित्रा नंदन पंत और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला भी इसमें कभी न कभी रह चुके हैं। 1887 में जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय की नींव पड़ी तो उसमें प्रवेश लेने की होड़ मच गई थी। गांव से गरीब घरों के बच्चे इलाहाबाद आते थे अफसर बनने का सपना लेकर। लेकिन उन्हें यहां रहने और गुजर बसर में दिक्कत होती देख महामना मदन मोहन मालवीय ने 1901 में हिंदू छात्रावास का निर्माण शुरू कराया। इसकाे बनने में दो साल लग गए थे। हिंदू छात्रावास जहां है वहां उससे पहले आरके दबे का तालाब हुआ करता था। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर एटनी मैक्डोनल की पहल पर तालाब पाटकर छात्रावास का निर्माण शुरू कराया गया था।
अमरनाथ झा छात्रावास
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का अमरनाथ झा छात्रावास अपने विलक्षण बौद्धिक माहौल, शिष्टाचार और प्रखर सांस्कृतिक प्रतिभा के लिए नामचीन हुआ। स्थापना के समय इसका नाम म्योर छात्रावास था। आगस्टस हैरिसन इसके पहले संरक्षक रहे। 1956 में इसका नामकरण विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रख्यात बुद्धिजीवी डा. अमरनाथ झा के नाम पर हुआ। अमरनाथ झा विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए भी डा. झा इसके संरक्षक बने रहे। इसके अंतेवासी अविरल भारतीय प्रशासनिक और विदेश सेवाओं की वरीयता में अग्रणी रहे। एलपी सिंह, टीएन कौल, धर्मवीर, टीएन चतुर्वेदी और आरएन काव जैसे नाम इस छात्रावास में कभी अंतेवासी रहे। आकार में यह विश्वविद्यालय का सबसे छोटा छात्रावास है।
सर सुंदरलाल छात्रावास
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ठीक सामने तिराहे पर सर सुंदरलाल छात्रावास (एसएसएल) 1916 में निर्मित हुआ था। तब इसका नाम लॉ हास्टल रखा गया था। कालांतर में इसका नामकरण इवि के पहले भारतीय कुलपति और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति सर सुंदर लाल के नाम पर किया गया था। इसमें विभिन्न शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्लबों जैसे लॉ फोरम एक्सक्लूसिव, कामेको साइंस की समृद्ध परंपरा थी। स्व. न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्ता, आगरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति स्व. प्रोफेसर बीबीएल सक्सेना, गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुनील अंबवानी, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति यतींद्र सिंह, आइएएस अनिल कुमार दामेले सहित अन्य नामी गिरामी लोग इसके अंतेवासी रहे हैं।
शीर्ष नेतृत्व गढ़ते हैं छात्रावास
1996 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कृष्णमूर्ति सिंह यादव कहते हैं कि छात्रावासों का माहौल ही ऐसा होता है जहां रहकर छात्र किसी न किसी सेवा क्षेत्र में पूरे दमखम से जाने के लिए गढ़े जाते हैं। बताया कि यहां के छात्रावासों ने देश को राष्ट्रपति दिए, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री भी दिए। न्यायविद भी यहां से ऐसे-ऐसे हुए जिन्होंने अपने दिए फैसलों से कई मामलों में देश की तकदीर बदली।
प्रमुख छात्रावास
सर सुंदरलाल छात्रावास
हालैंड हाल
अमरनाथ छात्रावास
ताराचंद्र छात्रावास
जीएन झा छात्रावास
पीसी बनर्जी छात्रावास
डायमंड जुबिली छात्रावास
मुस्लिम छात्रावास
केपीयूसी छात्रावास
डेलीगेसी
छात्रावासों से निकली नामचीन हस्तियां
-पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा
-पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर
-पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह
-पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा
-पूर्व मुख्यमंत्री (दिल्ली सरकार) मदनलाल खुराना
-प्रधानमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्र
-संविधानविद् सुभाष कश्यप
-पूर्व मुख्य सचिव उप्र, अखंड प्रताप सिंह
-पूर्व अध्यक्ष उप्र लोकसेवा आयोग जेएन चतुर्वेदी
-अनगिनत प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अधिकारी दिए
प्रयागराज के छात्रावासों ने देश को अनगिनत पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी दिए। दिल्ली अब भले ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का हब बन गया है, लेकिन यहां के छात्रावासों से निकले आइएएस, आइपीएस, आइआरएस और पीसीएस अधिकारियों से देश का खजाना भरा पड़ा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।