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प्रतापगढ़ का भरत मिलाप आज, जानें ऐतिहासिक आयोजन का 'मचान से मार्बल तक का' सफर

प्रतापगढ़ में श्रीराम लीला समिति की स्थापना 1860 में अंग्रेजों के जमाने में हुई थी। उस वक्त पं. श्याम बिहारी मिश्र जैसे लोग इसके लिए आगे आए थे। अंग्रेजों के दहशत के बावजूद रामलीला का मंचन 1890 में शहर के गोपाल मंदिर में शुरू हुआ।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 01:42 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 01:47 PM (IST)
प्रतापगढ़ का भरत मिलाप आज, जानें ऐतिहासिक आयोजन का 'मचान से मार्बल तक का' सफर
स्वर्णिम परंपरा का साक्षी बेल्हा यानी प्रतापगढ़ का ऐतिहासिक भरत मिलाप आज है।

प्रयागराज, जेएनएन। यूपी के प्रतापगढ़ में ऐतिहासिक भरत मिलाप काफी प्रसिद्ध है। राम वनगमन मार्ग से जुड़े इस स्‍थल का भरत मिलाप अपनी भव्‍यता के लिए प्रख्‍यात है। यहां हजारों की संख्‍या में जुटे श्रद्धालु इसके गवाह रहते हैं। आज यानी रविवार को यहां भरत मिलाप है, इसलिए इस आयोजन के सफर पर चर्चा करना जरूरी है। आप भी जानें इस शहर के भरत मिलाप आयोजन के प्राचीन से लेकर अब तक का कैसा रहा सफर। 

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पहले मचान पर होता था भरत मिलाप

नगर के चौक घंटाघर पर होने वाला भरत मिलाप पहले मचान पर होता था। नगर पालिका परिषद का गठन होने के बाद चौक को भव्य स्वरूप देते हुए मार्बल से इसे सुसज्जित किया गया। इस बार यह आयोजन आज रात में होगा। रात भर लोग चौकियों का आनंद लेंगे, 18 की भोर में चौक में प्रभु राम अनुज भरत को गले से लगाएंगे।

करम अली के बैंड से रामजी की आरती के निकलते हैं स्‍वर

यह संभवत: उत्‍तर प्रदेश का पहला जिला होगा, जहां हाईवे के बीच में चौक पर भरत मिलाप होता है। इसमें करम अली के बैंड से रामजी की आरती के स्वर निकलते हैं तो सामाजिक एकता को भी बल मिलता है। जिस जनपद से होकर भगवान राम ने चित्रकूट से अयोध्या तक की यात्रा की, वहां पर इनकी लीलाओं का मंचन गांव-गांव किया जाता है।

अंग्रेजों के जमाने में श्रीराम लीला समिति की हुई थी स्‍थापना

जिले में श्रीराम लीला समिति की स्थापना 1860 में अंग्रेजों के जमाने में हुई थी। उसी साल चंदा लेकर इसका पंजीकरण भी हुआ था। उस वक्त पं. श्याम बिहारी मिश्र जैसे लोग इसके लिए आगे आए थे। अंग्रेजों की दहशत के बावजूद रामलीला का मंचन 1890 में शहर के गोपाल मंदिर में शुरू किया गया था। उस समय दरभंगा के कलाकार बुलाए जाते थे। इसके साथ ही भरत मिलाप कराया जाता था। कमेटी के लोग व्यापारियों से थोड़ा-थोड़ा चंदा मांगकर इसे व्यापक करते गए।

अंग्रेज सिपाही ऐसे कार्यक्रमों को नहीं होने देते थे

अंग्रेजों के सिपाही इस तरह के कार्यक्रमों को होने नहीं देते थे। इसके बाद भी नगर के सेठ-साहूकार मिलकर मंचन कराकर भगवान राम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए काम करते थे। उस वक्त नगर के गैस बत्ती के कारीगर लाल मोहम्मद थे, जो राम काज के लिए निश्शुल्क गैस बत्ती उपलब्ध कराते थे। यह आयोजन समाज को भाई के प्रति आदर व प्रेम का संदेश देता है। इस बार भी इसके आयोजन की भव्य तैयारी हुई है।

कोरोना गाइडलाइन का होगा पालन

रामलीला समिति का फोकस कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए भरत मिलाप कराने की है। प्रशासन से इुई वार्ता में इसका विश्वास भी दिलाया गया है। संरक्षक रोशन लाल ऊमर वैश्य कहते हैं कि पदाधिकारी मास्क लगाकर चलेंगे। सबको इस बारे में बता दिया गया है। अध्यक्ष श्याम शंकर सिंह, उपाध्यक्ष संजय खंडेलवाल, मंत्री विपिन गुप्ता ने बताया कि कोरोना का खतरा देखते हुए मात्र 15 चौकियां शामिल होंगी।


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