भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेई के चुनाव के खिलाफ कांग्रेसी अनुग्रह नारायण की याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज
कोर्ट ने कहा कि याची विपक्षी विधायक के खिलाफ ऐसा सबूत देने में विफल रहा जिससे कहा जा सके कि विधायक ने भ्रष्ट आचरण किया हो। क्योंकि विधानसभा भंग हो चुकी है और नया चुनाव हो चुका है। इसलिए चुनाव याचिका अर्थहीन होने के कारण खारिज की जाती है।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद शहर उत्तरी के भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेई के वर्ष 2017 के चुनाव की वैधता के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका को अर्थहीन करार देते हुए खारिज कर दिया है।
हाई कोर्ट ने कहा है की 2017 में गठित विधानसभा का पांच वर्ष का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और 2022 में नया चुनाव हो चुका है। याची ऐसे कोई दस्तावेजी साक्ष्य या तथ्य नहीं पेश किया जिससे विपक्षी विधायक पर भ्रष्ट आचरण के आरोप की पुष्टि होती हो। याचिका में चुनाव अधिकारी पर कर्तव्य पालन ठीक से न करने के आरोप से विपक्षी विधायक का कोई संबंध नहीं है। इसलिए याचिका अर्थहीन होने के नाते निरस्त होने योग्य है।
याची अनुग्रह ने हर्षवर्धन की अर्जी पर की आपत्ति
यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका पर दिया है। विपक्षी विधायक हर्षवर्धन बाजपेई ने अर्जी दी कि विधानसभा भंग हो चुकी है। नया चुनाव हो चुका है। याचिका अर्थहीन करार देकर खारिज की जाय। याची ने आपत्ति की कि यदि विपक्षी पर झूठे तथ्य देकर भ्रष्ट आचरण का आरोप साबित हो जाता है तो उसे अगले छह साल तक चुनाव लडने के अयोग्य ठहराया जा सकता है इसलिए याचिका अर्थहीन नहीं हुई है।
और फिर हाई कोर्ट ने ये कहा
दोनों पक्षों की दलीलों और सबूतों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि याची विपक्षी विधायक के खिलाफ ऐसा सबूत देने में विफल रहा जिससे कहा जा सके कि विधायक ने भ्रष्ट आचरण किया हो। क्योंकि विधानसभा भंग हो चुकी है और नया चुनाव हो चुका है। इसलिए चुनाव याचिका अर्थहीन होने के कारण खारिज की जाती है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।