Herbal Colours: प्रयागराज के हर्बल रंग 'यूरोप' में छोड़ेंगे छाप, 90 लाख की लागत से बनेगा कामन फेसिलिटी सेंटर
योजना के तहत मूंज क्राफ्ट इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए सवा करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध हो सकता है। इस ऋण पर सरकार की ओर से 15 लाख रुपये तक की सब्सिडी तय है। यूरोप देशों में इनकी छाप दिखेगी।

ज्ञानेंद्र सिंह, प्रयागराज : प्राकृतिक रंगों से सजे प्रयागराज की मूंज कला का रंग अब चटख होगा। यूरोपीय देशों में इसके निर्यात से कला और कलाकार दोनों समृद्ध होंगे। थर्माकोल और प्लास्टिक के विकल्प मूंज के करीब 500 सौ से ज्यादा हस्त शिल्पियों को यूरोपीय देशों का बाजार मिलेगा। यहां मूंज के उत्पादों के लिए करीब 90 लाख रुपये से कामन फेसिलिटी सेंटर और मैटेरियल बैंक बन रहा है। इसमें लैब तथा रिसर्च व ट्रेनिंग सेंटर भी प्रस्तावित हैं।
जिसमें इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय समेत कई विश्वविद्यालयों के छात्र शोध करेंगे। सेंटर ही शिल्पियों और निर्यायकों के बीच माध्यम है। सेंटर से ही बायर्स से आर्डर लिया जाएगा और यहीं से ही शिल्पकारों को उत्पाद बनाने का कांट्रैक्ट मिलेगा। भुगतान से लेकर उत्पाद को वाराणसी स्थित निर्यात केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी सेंटर की होगी।
एक प्रकार की घास है मूंज
एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत प्रयागराज से चयनित मूंज (एक प्रकार की घास) उत्पादों की मांग बढ़ने लगी है। इसे विदेश भेजने से नैनी के महेवा, तिगनौता समेत करीब आठ गांवों के महिला हस्तशिल्पियों की बाछें खिल गई हैं। यूरोपीय देशों (फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, नार्वे, इटली और पोलैंड) में मूंज को खास पसंद किया गया है। कामन फैसिलिटी सेंटर के माध्यम से उत्पाद को भारत के बाहर का बाजार मिलेगा।
अनार के छिलके और फूलों से बने रंगों का होगा प्रयोग
यूरोपीय देशों में केमिकल के प्रयोग करने से इस उत्पाद को वहां बाजार नहीं मिल पा रहा था। अब इसके निर्यात के लिए तय किया गया कि प्राकृतिक रंग का ही प्रयोग होगा। इसके लिए फूलों और फलों के छिलके से रंग बनाए जाएंगे। इसके लिए नैनी में शोध व प्रशिक्षण सेंटर के साथ प्रयोगशाला भी बनेगी। जहां देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र शोध कर सकेंगे।
ये शोध मूंज के कच्चे माल के रूप में उपयोग होने वाले कांसा व सरपत के उत्पादन को लेकर होगा। प्राकृतिक रंग वाले घास, फूल और फलों के छिलके का मूंज उत्पाद में प्रयोग को लेकर रिसर्च होगा। ट्रेनिंग सेंटर में बिहार के मधुबनी के विशेषज्ञ प्रयागराज के मूंज कलाकारों को प्रशिक्षण देंगे।
यहां के मूंज शिल्पियों व कारीगरों की यूनिट गठित होगी, जो क्लस्टर से जुड़ेगी। जिले में करीब 1250 हेक्टेयर में फूलों की खेती होती है, ऐसे में फूल किसानों को भी उनकी उपज को उचित मूल्य और स्थानीय स्तर पर बाजार मिल सकेगा।
सरकार ने खोला खजाना, थर्माकोल व प्लास्टिक का विकल्प
मूंज से टोकरी, डलिया, पेपर वेट, फ्लावर पाट, पर्स, लैंप, चपाती बाक्स, फ्रूट बास्केट, ब्रेड बास्केट, वाल हैंगिंग, टी पोस्टर, टेबल मैट, सुहाग पिटारा. डाइनिंग टेबल मैट व बाउल मैट बनाए जाते हैं। मूंज क्राफ्ट के उत्पाद थर्माकोल और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में पसंद किए जाते हैं।
मूंज क्राफ्ट इंडस्ट्री के प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार ने ओडीओपी योजना के तहत ऋणनीति घोषित कर दी है। इसमें उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी है। उद्यम शुरू करने के लिए उद्यमी को कुल लागत की 10 फीसद पूंजी अपनी जेब से लगानी होगी। बाकी बैंक से ऋण मिलेगा।
योजना के तहत मूंज क्राफ्ट इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए सवा करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध हो सकता है। इस ऋण पर सरकार की ओर से 15 लाख रुपये तक की सब्सिडी तय है। 25 लाख तक की इकाइयों के लिए लागत का करीब 25 फीसद अधिकतम 6.25 लाख जो भी कम हो, उस पर अनुदान है।
पीएम मोदी भेंट किए थे सेनेगल के राष्ट्रपति को मूंज क्राफ्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां के मूंज क्राफ्ट को जर्मनी में आयोजित जी-7 समूह के सदस्य देशों के शिखर सम्मेलन में ले गए। पीएम मोदी ने अफ्रीकी देश सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल को मूंज से बने फ्लावर पाट भेंट किए थे। सेनेगल भी हस्तशिल्प का हब है। वहां हाथ से बुनाई की परंपरा मां से बेटी के लगाव को दर्शाती है, जो सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और पारिवारिक आजीविका के वाहक के रूप में इसके महत्व को जोड़ता है। प्रयागराज में भी मूंज उत्पाद उपयोगितावादी हस्तशिल्प का एक अद्भुत उदाहरण हैं।
उपायुक्त उद्योग लालजीत सिंह ने बताया कि मूंज उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। विशेषतौर पर इसके निर्यात के लिए खास रणनीति बनाई गई है। हर्बल रंगों का इस उत्पाद में प्रयोग कर इसे यूरोपीय देशों में निर्यात करने की योजना तैयार हो गई है।
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