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दंडी संन्यासियों की मुहिम से कई स्वयंभू शंकराचार्य पद छोडऩे को तैयार

दंडी संन्यासियों के रुख से स्वयंभू शंकराचार्यों के मुद्दे पर जल्द ठोस कदम उठने की उम्मीद जगी है।आधा दर्जन स्वयंभू शंकराचार्य पद छोडऩे को तैयार हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 08 Jul 2017 07:10 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jul 2017 08:10 PM (IST)
दंडी संन्यासियों की मुहिम से कई स्वयंभू शंकराचार्य पद छोडऩे को तैयार
दंडी संन्यासियों की मुहिम से कई स्वयंभू शंकराचार्य पद छोडऩे को तैयार

इलाहाबाद (जेएनएन)। दंडी संन्यासियों के रुख से स्वयंभू शंकराचार्यों के मुद्दे पर जल्द ठोस कदम उठने की उम्मीद जगी है। स्वयंभू शंकराचार्यों की बढ़ती संख्या पर विराम लगाने को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति मिलकर मुहिम चला रहे हैं। इनके प्रभाव से आधा दर्जन स्वयंभू शंकराचार्य पद छोडऩे को तैयार हैं। चातुर्मास के बाद प्रयाग स्थित कैवल्यधाम में सामूहिक रूप से उसकी घोषणा होगी। इसके अलावा जो स्वयंभू शंकराचार्य स्वत: पद नहीं छोड़ेंगे, उनका सामूहिक बहिष्कार होगा। निर्णायक कार्रवाई प्रयाग में 2019 में लग रहे अर्द्धकुंभ से पहले होगी। 

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स्वयंभू के खिलाफ मुहिम 

स्वयंभू शंकराचार्यों का विवाद बीती शिवरात्रि पर सुमेरुपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती द्वारा हरिद्वार में भूमा निकेतन के स्वामी अच्युतानंद का द्वारिका पीठाधीश्वर के रूप में पट्टाभिषेक करने से आरंभ हुआ। इस पीठ पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पहले से काबिज हैं। इसके बाद स्वयंभू शंकराचार्यों के खिलाफ मुहिम शुरू हुई। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम कहते हैं कि आदिशंकराचार्य ने चार पीठ स्थापित की। परंतु देशभर में 48 के लगभग शंकराचार्य भ्रमण कर रहे हैं। इससे सनातन धर्मावलंबी भ्रमित होते हैं। इसे रोकने को अखाड़ा के साथ मिलकर हमारी पहल चल रही है।

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 मिलेगी जगताचार्य की उपाधि

स्वयंभू शंकराचार्यों को पद छोडऩे के लिए बीच का रास्ता निकाला गया है। इसके तहत उन्हें शंकराचार्य की जगह जगताचार्य की उपाधि दी जाएगी। जो स्वयंभू शंकराचार्य पद छोड़ेगा, उसका पट्टाभिषेक जगताचार्य के रूप में किया जाएगा, जो सनातन धर्म के श्रेष्ठ पदों में एक होगा।

छत्र-चंवर लगाने की होगी अनुमति

जगताचार्य को शंकराचार्य की तरह छत्र-चंवर लगाने की अनुमति होगी। दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति के महामंत्री स्वामी ब्रह्माश्रम कहते हैं कि अखाड़ों के पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर भी छत्र-चंवर लगाने के साथ सिंहासन पर बैठते हैं। ऐसे में जगताचार्य को भी यह सुविधा दी जाएगी, ताकि उनके आभा-मंडल में कोई कमी न आए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि कहते हैं कि स्वयंभू शंकराचार्य धर्मगुरु हैं, यह सब मान रहे हैं। हमारा विरोध शंकराचार्य की उपाधि से है। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों का स्वरूप कायम रखने को अखाड़ा परिषद व दंडी संन्यासी प्रयत्नशील हैं। हम मिलकर विवाद का जल्द निस्तारण कर लेंगे, ऐसी उम्मीद है।


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