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    Gyanvapi Case: HC में हिंदू पक्ष का दावा- फोटो से साफ है कि ज्ञानवापी मंदिर; CJ बोले- गलत दिशा में जा रही बहस

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Thu, 27 Jul 2023 04:24 PM (IST)

    ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को फिर मंदिर होने का दावा किया गया। वादिनी के वकील प्रभाष त्रिपाठी ने कहा कि फोटोग्राफ हैं जिससे साफ है कि मंदिर है। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा है वादी को श्रंगार गौरी हनुमान गणेश की पूजा दर्शन का विधिक अधिकार है। चीफ जस्टिक ने कहा- आपकी बहस अलग लाइन में जा रही है।

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    हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष का दावा- पहले भी यहां था मंदिर; CJ बोले- गलत दिशा में जा रही बहस

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज: ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को फिर मंदिर होने का दावा किया गया। वादिनी (राखी सिंह व अन्य) के वकील सौरभ तिवारी ने कहा कि फोटोग्राफ हैं जिससे साफ है कि मंदिर है। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा है वादी को श्रंगार गौरी, हनुमान ,गणेश की पूजा दर्शन का विधिक अधिकार है।

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    चीफ जस्टिक ने कहा- आपकी बहस अलग लाइन में जा रही है। हम यहां एविडेंस नहीं तय कर रहे हैं। इस बात पर सुनवाई कर रहे हैं कि सर्वे होना चाहिए या नहीं और सर्वे क्यों जरूरी है?

    प्रभाष त्रिपाठी- वाद तय करने को सर्वे जरूरी है।

    अंजुमन इंतेजामिया वाराणसी की मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा- एएसआई अधिकारी कुदाल फावड़ा लेकर मौके पर गए। आशंका है कि इसका इस्तेमाल होगा। हलफनामे में फोटो लगा है। फावड़ा आदि की जरूरत नहीं थी। इसी पक्ष की तरफ से यह भी कहा गया कि बाहरी लोगों ने वाद दायर किया है। कुल 19 वाद दायर हैं वाराणसी में।

    इससे पहले शुरुआत में याची अधिवक्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के हलफनामे का जवाब दाखिल किया तो सीजे ने पूछा कि एएसआइ की लीगल आइडेंटिटी क्या है? एएसआइ अधिकारी आलोक त्रिपाठी ने जानकारी दी कि 1871 में एएसआइ गठित हुआ मानुमेंट संरक्षण के लिए। यह मानीटर करती है पुरातत्व अवशेष का।

    वर्ष में 1951 यूनेस्को ने संस्तुति की एएसआइ को पुरातात्विक अवशेषों के बायोलॉजिकल संरक्षण करने की। एएसआइ अधिकारी ने कहा हम डिगिंग (खुदाई) नहीं करने जा रहे। महाधिवक्ता अजय मिश्र का कहना था कि सरकार की केवल कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है। हम आदेश का पालन कर रहे। मंदिर ट्रस्ट है, वह देख रहा है। हम कानून लागू कर रहे। पीएसी तैनात हैं सुरक्षा में। मंदिर सीआइएसएफ की सुरक्षा में है।

    सीजे ने पूछा- क्यों वाद तय करने में देरी हो रही तो मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट कार्यवाही की जानकारी दी‌। मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि ग्राह्यता पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लंबित है। हाईकोर्ट लोवर कोर्ट ने अस्वीकार किया। 1991 में वाद दायर हुआ फिर 2021 में दाखिल है।

    सिविल जज से जिला जज को केस सौपा गया। कोर्ट में 3.16 बजे यह सुनवाई शुरू हो गई ,ननियत समय से थोड़ा पहले। चीफ जस्टिस ने बेंच सेक्रेटरी से कहा था कि कि पक्षकार आ जाएं तो इनफॉर्म कर दीजिए। पक्षकार कोर्ट रूम में पहुंचे तो सुनवाई शुरू कर दी गई।‌ बुधवार को कहा गया था कि 3.30 बजे से सुनवाई होगी।