Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्र कल से, घट स्थापना के शुभ मुहूर्त में होगा भगवती का पूजन
Gupt Navratri 2022 ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार प्रतिप्रदा तिथि गुरुवार की सुबह प्रात 8.55 बजे तक है। ऐसे कलश की स्थापना इसी समयावधि के अंदर होना चाहिए। गुप्त नवरात्र आठ जुलाई तक चलेगी। पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय ने गुप्त नवरात्र की विशेषता बताई।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। त्याग, समर्पण का साधना का पर्व गुप्त नवरात्र आषाढ़ शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा तिथि से आरंभ हो जाएगी। मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए सनातन धर्मावलंबी नौ दिनों तक मइया की भक्ति में लीन रहेंगे। कल गुरुवार 30 जून की सुबह संगम, गंगा अथवा यमुना में स्नान करके मठ-मंदिरों, घरों में घट (कलश) स्थापित कर विधि-विधान से मां के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन किया जाएगा। दुर्गा सप्तशती का पाठ, भजन-कीर्तन से मइया को रिझाएंगे। वहीं, मां अलोपशंकरी, मां ललिता देवी, मां कल्याणी देवी सहित हर देवी मंदिरों में अखंड ज्योत जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ व शतचंडी यज्ञ किया जाएगा।
मां दुर्गा की 10 महाविद्यों को सिद्ध करने के लिए उपासना का विधान : ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार प्रतिप्रदा तिथि गुरुवार की सुबह प्रात: 8.55 बजे तक है। ऐसे कलश की स्थापना इसी समयावधि के अंदर होना चाहिए। गुप्त नवरात्र आठ जुलाई तक चलेगी। पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करने का विधान है।
व्रती साधक को क्रोध व लोभ नहीं करना चाहिए : देवी भागवत के अनुसार गुप्त नवरात्र में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है। बताते हैं कि मां भगवती की आराधना निष्काम भाव, पवित्र तन व मन से करनी चाहिए। व्रती साधक को क्रोध व लोभ नहीं करना चाहिए। उन्हें कन्या, माता, पिता और ब्राह्मणों का सम्मान करते हुए दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए। मां को अर्पित होने सामग्री का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
मां दुर्गा को अर्पित होने वाली पूजन सामग्री का महत्व
-रोली से रक्त विकार दूर होता है।
-अक्षत से धन की वृद्धि।
-लाल फल से प्रसन्नता व प्रतिष्ठा की प्राप्ति।
-अखंड ज्योति जलाने से ज्ञान की वृद्धि।
-लौंग व इलायची से रोग से मुक्ति।
-नारियल से सर्वगुण संपन्नता की प्राप्ति।
-कपूर से आयु में वृद्धि।
-पंचामृत से मनोकामना पूर्ति एवं मिष्ठान अर्पण से आरोग्यता आती है।
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