मन मेरो बन गयो सखी री वृंदावन...गीत पर झूम उठे भागवत पंडाल में उपस्थित प्रयागराज के श्रद्धालु
कथा व्यास गणपति विश्वनाथ शास्त्री जी महाराज ने कहा कि महारास लौकिक स्त्री-पुरुष का मिलन नहीं है। महारास सच्चिदानंद स्वरूप कृष्ण और उनकी आल्हादिनी शक्ति राधारानी तथा उनकी घनीभूत शक्तियां गोपियो का परमानंद दायक रास है। भोलेनाथ स्वयं गोपी रुप धारण कर महारास में शामिल हुए।
प्रयागराज, जेएनएन। शहर के सिविल लाइंस स्थित आनंदपुरी परिसर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर कथा व्यास गणपति विश्वनाथ शास्त्री जी महाराज ने दाराचार्य पीठाधीश्वर बलदेवाचार्य जी महाराज के सानिध्य में महारास लीला की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भगवान को अभिमान नापसंद है। महारास के समय गोपियों को अभिमान हो गया था तो कृष्ण तुरंत अंतर्धान हो गए। फिर गोपियों ने भाव-विव्हल होकर गोपी गीत गाया तब कृष्ण प्रकट हुए और परम आनंददायी महारास किया।
उन्होंने कहा कि महारास लौकिक स्त्री-पुरुष का मिलन नहीं है। महारास सच्चिदानंद स्वरूप कृष्ण और उनकी आल्हादिनी शक्ति राधारानी तथा उनकी घनीभूत शक्तियां गोपियो का परमानंद दायक रास है। भोलेनाथ स्वयं गोपी रुप धारण कर महारास में शामिल हुए। महाराज श्री ने भजन गाया.. 'राधा नाचें कृष्ण नाचें नाचें गोपीजन। मन मेरो बन गयो सखी री वृन्दावन'। कथा पंडाल में उपस्थित नर नारी भगवत् प्रेम में मस्त हो कर नृत्य करने लगे।
गणपति विश्वनाथ शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा तत्काल फलदायी है। इसके श्रवण-गायन से जीवन की दशा- दिशा बदल जाती है और जीवनोपरांत भगवत् धाम की प्राप्ति होती है। उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के माननीय सदस्य मुरारी लाल अग्रवाल ने सपत्नीक श्रीमद्भागवत जी की आरती की। कथा में प्रमुख रूप से मुरारी लाल अग्रवाल, तांत्रिक रमेश महाराज, पवन अग्रवाल, जयंत अग्रवाल, आर के शुक्ला, राघवेन्द्र सिंह, गुरुप्रसाद राव, राधेश्याम कड़ेल, के के अग्रवाल, हरीश अग्रवाल, दीपक साहनी, राजेश पांडे, एसएसडी अग्रवाल, मणि देवी अंजना, सरिता, कुसुम, रेनू, सीमा, ज्योति, आदि उपस्थित रहे।
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