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Foundation Day of Allahabad University : शिक्षा की हनक और आजादी की खनक का साक्षी है यह केंद्रीय विश्वविद्यालय

Foundation Day of Allahabad University आज यानी बुधवार को इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का 134वां स्थापना दिवस है। इस विश्वविद्यालय की नींव ब्रिटिश हुकूमत में 23 सितंबर 1887 को रखी गई थी। अनेकों यादें सुनहरे अतीत और आजादी के खनक को अपने आप में यह समेटे है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 11:04 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 12:58 PM (IST)
Foundation Day of Allahabad University : शिक्षा की हनक और आजादी की खनक का साक्षी है यह केंद्रीय विश्वविद्यालय
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का आज 134वां स्थापना दिवस है।

प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। सुनहरा अतीत, बदलाव की ललक लिए इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) बुधवार 23 सितंबर को 134वें साल का सफर शुरू करने जा रहा है। ब्रिटिश हुकूमत में जब 23 सितंबर 1887 को इसकी नींव रखी गई तो शायद ही किसी ने सोचा था कि शिक्षा का छोटा सा प्रकाशपुंज ज्ञान का उजाला देश-दुनिया में फैलाएगा। इविवि ने ब्रिटिश हुकूमत का दमन देखा तो स्वराज के उगते सूरज का साक्षी भी रहा। देश के आला अफसर और राजनीति के क्षितिज पर आभा बिखेरने वाले नामचीन राजनेता इस विश्वविद्यालय ने दिए। 'पूरब के ऑक्सफोर्ड' का तमगा प्राप्त इस शैक्षिक संस्थान की चमक पहले के मुकाबले थोड़ी फीकी हुई है।

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बोले, इविवि के प्रोफेसर योगेश्‍वर तिवारी

इविवि में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत में तब समूचे उत्तर भारत में शिक्षा का कोई ऐसा केंद्र नहीं था। शिक्षण संस्थाओं की सम्बद्धता कोलकाता विवि से थी। 24 मई 1867 को विलियम म्योर ने प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) में स्वतंत्र महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की इच्छा जताई और वर्ष 1869 में इसकी योजना बनी।

250 रुपये प्रतिमाह किराए से शुरू हुआ था सफर

इविवि के रिटायर्ड प्रोफेसर एके श्रीवास्तव के अनुसार महाविद्यालय के लिए स्थान चिह्नित किए जाने के बाद तय किया गया कि भवन बनने तक किसी इमारत को किराये पर लिया जाए। दरभंगा कैसेल को 250 रुपये प्रतिमाह की दर से तीन साल के लिए लीज पर ले लिया गया। एक जुलाई 1872 से म्योर सेंट्रल कॉलेज ने अपना कार्य शुरू कर दिया। यही 23 सितंबर 1887 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में सामने आया। वह कोलकाता, मुंबई और मद्रास की तर्ज पर उपाधि प्रदान करने वाला देश का चौथा विश्वविद्यालय बना। पहली प्रवेश परीक्षा मार्च 1889 में हुई। वर्ष 1921 में इलाहाबाद यूनिवॢसटी एक्ट लागू होने पर म्योर सेंट्रल कॉलेज का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो गया। वर्ष 2005 में इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। तब इसके कुलपति हैदराबाद केंद्रीय विवि के प्रो. राजेन हर्षे बने।

इविवि के कार्यवाहक कुलपति यह कहते हैं

इविवि के कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी कहते हैं कि किसी भी संस्थान को आगे बढ़ाने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। यहां शिक्षकों की कमी है फिर भी प्रयास किया जा रहा है कि बेहतर कर सकें। इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है। यही वजह है कि लगातार इविवि आगे बढ़ भी रहा है। एकेडमिक कॉम्प्लेक्स और स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर भी बनकर तैयार हो चुका है। यहां से छात्र नई इबारत गढ़ सकेंगे। मलाल इस बात का है कि कोरोना ने वर्चुअल दुनिया में हम सभी को धकेल दिया है। इसके बावजूद इविवि ऑनलाइन मोड में सारे कार्य संपादित कर रहा है। कोरोना के चलते 134वां स्थापना दिवस भी ऑनलाइन मोड में होगा। सभी शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों को इविवि के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं। बस अब साथ मिलकर इविवि को नई ऊंचाइयों पर ले चलने की जरूरत है।

रैंकिंग में पिछड़ा विश्वविद्यालय

शिक्षा मंत्रालय ने 2016 से रैंकिंग की व्यवस्था लागू की। इस साल इविवि का 68वां स्थान था। वर्ष 2017 में 27 पायदान की गिरावट के साथ 95वें स्थान पर चला गया था। 2018 में टॉप 100 की सूची से बाहर होकर 144वां स्थान पर रहा। बाद के दो सालों में यह टॉप-200 की सूची से बाहर है।


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