गोरखपुर में फर्जी दुष्कर्म केस में फंसाने का मामला, आपराधिक केस की सुनवाई पर रोक, राज्य सरकार से जवाब तलब
हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में गोरखपुर की अदालत में चल रही आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने फर्जी दुष्कर्म केस दर्ज कर सरकार से मुआवजा लेने व समझौते के नाम पर ब्लैकमेल करने के मामले की याचिका के साथ इस याचिका को भी संबद्ध कर दिया है।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में गोरखपुर की अदालत में चल रही आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने फर्जी दुष्कर्म केस दर्ज कर सरकार से मुआवजा लेने व समझौते के नाम पर ब्लैकमेल करने के मामले की याचिका के साथ इस याचिका को भी संबद्ध कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने शहनाज अंसारी व तीन अन्य की याचिका
पर दिया है।
नसीमा गैंग पर लगाया है फर्जी फंसाने का आरोप
याची के खिलाफ लगाए गए दुष्कर्म के आरोप में निचली अदालत में सुनवाई हो रही है। निचली अदालत ने याचियों को समन जारी किया है। कोर्ट में याची की ओर से कहा गया कि उसे झूठा और साजिशन फंसाया गया है। कहा गया कि गोरखपुर में नसीमा गैंग काम कर रहा है। जो मासूम लोगों को फंसाकर वसूली कर रहा है। एक अधिवक्ता ने कई मासूम लोगों के खिलाफ इस तरह की प्राथमिकी दर्ज कराई है।
प्रयागराज में भी फर्जी फंसाने के कई मामले जिसकी जांच सीबीआइ को
उल्लेखनीय है कि इसी तरह का एक मामला प्रयागराज में भी सामने आया जिसकी जांच हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ कर रही है। एक पीड़ित अधिवक्ता से दी गई जानकारी के आधार पर अदालत ने मामले की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था।
आरोप है कि फर्जी फंसाकर धन उगाही करने वाले गिरोह में कई वकील भी शामिल हैं जो महिलाओं को मोहरा बनाकर फर्जी केस कराते हैं। ऐसे बड़ी संख्या में मुकदमे मऊआउमा थाने में लिखे गए जबकि शहर के दारागंज समेत अन्य थानों में भी ऐसी एफआइआर दर्ज कराई गई थी। इसमें अब पुलिस के विवेचक भी फंस रहे हैं।
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