Durga Puja: प्रयागराज में नजर आएगा काशी विश्वनाथ मंदिर, दुर्गापूजा पंडाल भक्तों को करेगा मंत्रमुग्ध
Durga Puja बंगाल के दुर्गा पूजा का क्रेज प्रयागराज में काफी है। प्रयागराज में कई ऐसे स्थान हैं जहां दुर्गा पूजा का भव्य पंडाल बनता है। इन पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित कर शारदीय नवरात्र की षष्ठी से नवमी तिथि तक पूजन-अर्चन होता है।
प्रयागराज, जेएनएन। दुर्गा पूजा पंडालों में हर वर्ष श्रद्धालुओं को कुछ नयापन देने का पूजा कमेटियों का प्रयास रहता है। इस बार प्रयागराज शहर में कालिंदीपुरम दुर्गा पूजा कमेटी के पांडाल में आप जाएंगे तो लगेगा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं। ग्रामीण परिवेश के नजारे और पंडाल के कुल 26 खंभों पर मां गंगा के घाटों का चित्रों के जरिए प्रदर्शन होगा। इसी प्रकार प्रयागराज के साथ प्रतापगढ़ में के कई स्थानों पर आकर्षक पूजा पंडालों को अंतिम रूप देने में कोलकाता के कलाकार जुटे हैं।
बंगाल के त्योहार का प्रयागराज में जबरदस्त क्रेज : मूलत: बंगाल के इस त्योहार दुर्गापूजा का प्रयागराज में धूम है। शारदीय नवरात्र में सप्तमी, अष्टमी और नवमी, ये तीन तिथियां तो जैसे श्रद्धालुओं का दुर्गा पूजा पांडालों की ओर आकर्षण उत्पन्न करती हैं। बारवारियां भी उसी अंदाज में चकाचौंध करती हैं ताकि हजारों लोगों के आने का उद्देश्य सार्थक हो सके। प्रस्तुत है प्रयागराज में दुर्गा पूजा की संस्कृति और इसके गौरवपूर्ण इतिहास रहा है।
प्रयागराज में कहां-कहां होती है दुर्गा पूजा : आइए जानें कि प्रयागराज के किन स्थानों पर दुर्गा पूजा का भव्य पंडाल बनता है। कर्नलगंज बारवारी, अतरसुइया बारवारी, सिटी बारवारी, लूकरगंज बारवारी, जार्जटाउन बारवारी, कटरा बारवारी, अशोक नगर बारवारी, रामबाग बारवारी, दरभंगा बारवारी, शाहगंज बारवारी, साउथ मलाका बारवारी दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन करती हैं। इनके अलावा प्रयागराज में वर्तमान में 200 से अधिक बारवारियां हैं। जो अलग-अलग स्थानों पर दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन करती हैं। हालांकि इसमें प्रमुख रूप से 15 बारवारियां ही केंद्र बिंदु रहती हैं, जहां सबसे अधिक भीड़ होती है।
आकर्षक पंडाल भक्तों को लुभाएंगे : प्रयागराज के दुर्गा पूजा पंडाल लोगों को लुभाते रहते हैं। इस बार भी आकर्षक पंडाल सजाए जा रहे हैं। बंगाल से आए मूर्तिकारों के हाथ से कला का प्रदर्शन हो रहा है। दुर्गा पूजा को आधुनिक, एक से बढ़कर एक सजावटी दिखाने के लिए बारवारी कमेटियां लाखों रुपये खर्च करती हैं। कहीं-कहीं तो देवी मां की मूर्तियां ही दो से तीन लाख रुपये की बनवाई जाती हैं इसके बाद पांडाल में चकाचौंध, फव्वारे, रोशनी तथा आधुनिक तकनीक से सजाने पर लाखों रुपये का बजट लगता है।