Drama Show: असमंजस बाबू के मंचन में दैनिक जीवन में टूटता बिखरता दिखा आम आदमी
साधारण आदमी किस-किस तरह अपने दैनिक जीवन में टूटता बिखरता है नाटक असमंजस बाबू के मंचन में इसे अत्यंत सधे हुए रचना कौशल के साथ पेश किया गया। प्रसिद्ध फ़िल्मकार सत्यजित रे की लघु कथा असमंजस बाबूर कुकुर पर आधारित नाट्यरूप असमंजस बाबू का मंचन अख़तर अली ने किया

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अनिश्चित, ऊहापोह और किंकर्तव्यविमूढ़ होने की मनःस्थिति से गुजरता साधारण आदमी किस-किस तरह से अपने दैनिक जीवन में टूटता बिखरता है, नाटक असमंजस बाबू के मंचन में इसे अत्यंत सधे हुए रचना कौशल के साथ पेश किया गया। प्रसिद्ध फ़िल्मकार सत्यजित रे की लघु कथा असमंजस बाबूर कुकुर पर आधारित नाट्यरूप असमंजस बाबू का मंचन अख़तर अली ने किया। असमंजस बाबू का चेहरा भारत के आम आदमी का चेहरा है।
राकेश यादव के एकल अभिनय को मिली सराहना
इंटीमेट थियेटर की नाट्य कार्यशाला के द्वितीय खंड में वरिष्ठ रंगनिर्देशक अनिल रंजन भौमिक के निर्देशन में यह मंचन हुआ। असमंजस बाबू की भूमिका में एकल अभिनय राकेश यादव ने सशक्त तरीके से किया। आंगिक, वाचिक के सधे अभिनय से प्रस्तुति ने मंच पर एक नया ही इतिहास रच दिया। मात्र देह की भाषा के साथ एक अंगोछा, एक कुर्सी से कई चरित्रों को राकेश ने बहुत ही सहजता से प्रस्तुत किया। साथ में इस देह को एक गति संगीत पर तबले में संगत किया विनोद यादव ने।
कल्याण कुमार घोष को दीप जलाकर किया गया याद
इससे पहले स्वर्गीय कल्याण कुमार घोष के 83 वीं जन्मतिथि पर दीप जलाकर उन्हें याद किया गया। उनके चित्र पर प्रो असीम मुखर्जी, अनिल रंजन भौमिक, सुब्रोतो सेन, विशु भट्टाचार्य ने पुष्प अर्पित किया। इसके बाद उनकी पौत्री अनुष्का घोष ने कल्याण घोष के जीवन एवं उनके विविधतापूर्ण व्यक्तित्व पर आधारित 10 मिनट की वीडियो फ़िल्म को प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रस्तुत किया। संचालन और संयोजन अरिंदम घोष ने किया। उल्लेखनीय है कि पिछले साल कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने पर लंबे समय तक नाटक मंचन बंद रहा। कोरोना काल में ज्यादातर आनलाइन ही वेबिनार और अन्य कार्यक्रम हुए। कोरोना का कहर थमने पर कुछ समय पहले फिर से नाटक मंचन शुरू किया गया है। लोग मंचन देखने पहुंच रहे हैं और पसंद भी कर रहे हैं। हालांकि कोरोना ने इस विधा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। पहले की तरह लोग एनसीजेडसीसी में नहीं पहुंच रहे हैं।
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