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    Health News: सलाह डाक्टर की, ​​​​​कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम से बचने के लिए करें फार्मूला 20 पर अमल

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Mon, 11 Oct 2021 12:20 PM (IST)

    आखों की समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि खानपान ठीक रखा जाए। हरी पत्तेदार चीजों का सेवा बढ़ाएं। मौसमी फल जरूर लें। थोड़े अंतराल पर पानी पीते रहें। कम पानी पीने से भी आंखों में सूखापन की समस्या हो जाती है। साफ पानी से आंख को धुलते रहें

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    मोबाइल और कम्प्यूटर का प्रयोग बढऩे से आंखों का स्क्रीन टाइम भी बढ़ा है

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई, आफिस की मीटिंग से लेकर तमाम चीजें आनलाइन हो चुकी हैं। मोबाइल और कम्प्यूटर का प्रयोग बढऩे से आंखों का स्क्रीन टाइम भी बढ़ा है। इस बदलाव से आंख की परेशानियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। जलन, पानी गिरना, आंख लाल होना, चुभना व तेजी से रोशनी कम होने जैसी समस्या आम हुई है। सभी आयु वर्ग के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इस समस्या को चिकित्सा के क्षेत्र में कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि फिगर आफ 20 या फार्मूला 20 पर अमल किया जाए।

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    20 मिनट बाद 20 मिनट दें आंखों को राहत

    इस फार्मूले के तहत 40 मिनट कम्प्यूटर व मोबाइल की स्क्रीन पर काम करने के बाद 20 मिनट आराम जरूर करें। करीब 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद 20 सेकेंड के लिए आंख बंद करें। उसके बाद पलकों को कई बार झपकाएं। इसके अतिरिक्त 20 फिट की दूरी पर देखकर अपने आंखों की रोशनी स्वत: जांचे। धुंधला दिखने या अन्य किसी परेशानी पर चिकित्सक के पास जरूर जाएं। रविवार को दैनिक जागरण के साप्ताहिक कार्यक्रम हैलो डॉक्टर में नेत्र सर्जन डा. राहुल सिंह से आंखों की समस्याओं को लेकर लोगों ने फोन कर अपनी परेशानियों का समाधान जाना। प्रस्तुत है लोगों के सवाल और चिकित्सक द्वारा दिए गए उत्तर के प्रमुख अंश।

    सवाल : बच्चे मोबाइल का प्रयोग अधिक कर रहे हैं। इससे सिर भारी होना और आंख से पानी गिरने की समस्या हो रही है, क्या करें।

    -अनुराग यादव, साउथ मलाका

    जवाब : बच्चों को मोबाइल कम से कम प्रयोग करने दें। आनलाइन कक्षाओं के बाद मोबाइल का प्रयोग न करने दें। स्क्रीन पर देखते समय पलक भी जरूर झपकाएं। पांच सेकेंड में

    एक बार पलक झपकाना जरूरी है।

    सवाल : 49 साल उम्र है, बीपी हाई रहता है। दूर की चीजों को देखने में परेशानी होती है। गाड़ी आदि चलाना छोड़ चुके हैं। रोशनी को बचाने के लिए क्या करें।

    - महेंद्र कुमार, उग्रसेनपुर

    जवाब : आंख की रोशनी की जाचं जरूर करा लें। डाक्टर चश्मा लगाने के लिए यदि सुझाव दें तो उस पर भी अमल करें। ऐसा करने से आंख की रोशनी को और गिरने से रोक

    पाएंगे।

    सवाल : आंख से लगातार पानी गिरता रहता है। क्या करें।

    - सिद्धार्थ तिवारी, सिविललाइंस

    जवाब : फीगर आफ 20 के सिद्धांत का पालन जरूर करें। गाड़ी चलाते समय हेलमेट के ग्लास को सामने कर लें। या फिर चश्मे का प्रयोग करें। कम्प्यूटर पर काम करें तो एंटी ग्लेयर ग्लास लगा लें। मोबाइल के प्रयोग के दौरान भी एंटी ग्लेयर ग्लास वाले चश्मे का प्रयोग करें तो अच्छा रहेगा।

    सवाल : बच्चों की आंख से पानी गिरने की समस्या है। लाल भी रहती है। - नरेश चंद्र निषाद, झूंसी

    जवाब : स्क्रीन पर अधिक देर न देंखे। थोड़ी देर के लिए आंख बंद कर के बैठें। जब समय मिले आखों की एक्सरसाइज भी करें। आंख की पुतलियों को चारों तरफ घुमाएं। कभी आंखों को अधिक खोल कर देखने की कोशश करें तो कभी उसे सिकोड़ लीें। इससे मांसपेशियों को आराम मिलेगा।

    सवाल : आंखों मे जलन की समस्या है, क्या करें। - आरके शर्मा, सिविललाइंस

    जवाब : तुरंत जांच कराएं। बाजार से कोई लुब्रीकेट ले लें उसकी एक एक बूंद तीन बार डालें। कभी भी आंख को रगड़ें नहीं। कई बार पानी से धुलें।

    सवाल : करीब एक महीने से आंख से पानी गिर रहा है, क्या करें। - आशुतोष द्विवेदी, ग्राम खैरिया

    जवाब : भोजन में हरी पत्तीदार चीज का प्रयोग बढ़ा दें। सीएमसी अर्थात कार्बोक्सी मिथाइल सेलुलोज का लुब्रीकेंट ले लें, उसे तीन बार आंख में डालें।

    सवाल : उम्र 40 साल है, आंख में जलन, दर्द, पानी गिरने की समस्या रहती है। -गुडिय़ा यादव, लीलापुर

    जवाब : कई बार आंख को धुलते रहें। पानी खूब पिएं। आंख की जांच करा लें। डॉक्टर चश्मा लगाने का सुझाव दें तो जरूरत लगाएं।

    सवाल : उम्र 63 साल, डायविटीज की भी समस्या है। आंख में चुभन बनी रहती है। - विजय लक्ष्मी जायसवाल, करेली

    जवाब: साल में एक बार आंख की जांच जरूर कराएं। पानी अधिक से अधिक पिएं। मेडिकल स्टोर से कोई लुब्रीकेंट लेकर उसे डालें।

    सवाल : उम्र 70 साल, आंख से पानी गिरता है। दूर का चश्मा लगाते हैं। आंख में जल होती रहती है। - राजेश केशरवानी, मुडेरा

    जवाब : पानी अधिक से अधिक पिएं। आंख को बार बार हाथ न लगाएं। लुब्रीकेंट डालें और थोड़ी देर आंख बंद कर के बैठें।

    सवाल : आंखे हमेशा सूखी सूखी लगती हैं। जलन होती है। - हर्षित यादव, अल्लापुर

    जवाब : ठंडे पानी से बार बार आंखों को धुलते रहें। जांच तुरंत करा लें। देर करने पर रोशनी में कमी आ सकती है।

    सवाल : बच्चों का सिर भारी रहता है, तनाव बना रहता है। - अमित, फूलपुर

    जवाब : पलकों की एक्सरसाइज जरूर करें। पानी से आंख को धुलते रहें। जब भी मोबाइल व कम्प्यूटर का प्रयोग करें तो कमरे में पर्याप्त रोशनी रखें। अंधेरे में बैठकर मोबाइल देखना बहुत नुकसानदेय है।

    लेट कर मोबाइल न देखें

    महामारी के दौर में मोबाइल का प्रयोग बढ़ा है। इसके प्रयोग में यदि कुछ सावधानी बरतें तो दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। कभी भी लेट कर मोबाइल न देखें। यह बात बच्चों के साथ बड़ों को भी ध्यान रखनी चाहिए। ब्राइटनेश को बहुत अधिक न बढ़ाएं। मोबाइल में यदि ब्राइटनेश के लिए एडमास्फियर एडाप्ट फीचर हो तो उसका प्रयोग जरूर करें। स्क्रीन को देखते समय रीढ़ की हड्डी को सीधा रेखें। कम्प्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन को आंखों के ठीक सीध में न रखकर कुछ नीचे रखें। ऐसा करने से जो खतरनाक किरणें निकलेंगी वह पलकों की मदद से कुछ रुक पाएंगी।

    पानी अधिक से अधिक पीएं

    आखों की समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि खानपान को ठीक रखा जाए। हरी पत्तेदार चीजों का सेवा बढ़ाएं। मौसमी फल भी जरूर लें। थोड़े अंतराल पर पानी भी पीते रहें। कम पानी पीने से भी आंखों में सूखापन की समस्या हो जाती है। साफ पानी से थोड़े अंतराल पर आंख को धुलते रहें। प्रयास करें कि आंखों को हाथ न लगाएं। धूल धुआं से बचने की कोशिश करें। बाहर निकलें तो जीरों पावर का ग्लास लगाएं तो अच्छा रहेगा। एंटी ग्लेयर ग्लास का भी प्रयोग कर सकते हैं। बिना डाक्टर को दिखाएं किसी भी तरह की एंटीबायोटिक दवा न लें।

    कम वजन वाले बच्चों की आंख की जांच जरूरी

    बच्चों में आंख के कैंसर की समस्या भी बढ़ रही है। समय से पहले जन्म लेने वाले और कम वजन वाले बच्चों की आंख की जांच जरूर कराएं। यह क्रम समय समय पर दोहराते रहें। इसका कोई अलग से लक्षण नहीं है। डाक्टर जब जांच करते हैं तभी इसका पता चलता है। इसके अतिरिक्त 45 वर्ष से अधिक आयु वालों में प्रेस बायोपिया की समस्या होती है। इसमें नजदीक की चीजें देखने में परेशानी होती है। सुई में धागा डालने में कठिनाई, किताब पढऩे में भी परेशानी होती है। समय से आंख की जांच कराकर चश्मा लगवाना ही इसका इलाज है।