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Dengue Fever: ​​​​​विटामिन बी 12 की कमी से हावी हो रहा डेंगू, शाकाहारी लोगों में है अभाव

अध्ययन में मिला कि जिन मरीजों में प्लेटलेट्स में गिरावट अधिक है और रिकवरी देर से हो रही है उनमें अधिकतर शाकाहारी हैं। ऐसे मरीजों में विटामिन बी 12 की कमी मिली थी। उनको 1500 माइक्रोग्राम की टैबलेट की डोज देकर विटामिन बी 12 की पूर्ति की गई।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 08:00 AM (IST)
शोध में पता चला कि शाकाहारी लोगों में कम पाया जाता है यह विटामिन

अमरदीप भट्ट, प्रयागराज। ऐसे दौर में जब डेंगू जहां तहां सिरदर्द बना है, उससे जुड़ी एक और वजह सामने आई है। यह है शरीर में विटामिन बी-12 की कमी। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के वरिष्ठ चिकित्सकों ने एक अध्ययन के बाद यह दावा किया है। उनका कहना है कि विटामिन बी 12 मांसाहारी लोगों में अपेक्षाकृत पर्याप्त होता है और शाकाहारी में कम। शाकाहारियों को यह दवाओं के जरिए दिया जाता है।

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एनिमल सोर्स में अधिकता होती है विटामिन बी 12 की

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के डाक्टर अपूर्व प्रताप मल्ल ने वर्ष 2019 में डेंगू पीडि़त मरीजों में घटती प्लेटलेट्स देख इसकी वजह जानने की पहल की। अध्ययन में डा. पूनम गुप्ता (अब मेडिसिन विभागाध्यक्ष) ने उनका मार्गदर्शन किया और फिजीशियन डा. अजीत चौरसिया सह मार्गदर्शक रहे। वर्ष 2019 में कुल 238 मरीजों का गहन अध्ययन किया। इसमें 30 फीसद मरीज अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। अध्ययन में मिला कि जिन मरीजों में प्लेटलेट्स में गिरावट अधिक है और रिकवरी देर से हो रही है उनमें अधिकतर शाकाहारी हैं। ऐसे मरीजों में विटामिन बी 12 की कमी मिली थी। उनको 1500 माइक्रोग्राम की टैबलेट की डोज देकर विटामिन बी 12 की पूर्ति की गई। डा. पूनम गुप्ता बताती हैैं कि विटामिन बी 12 का एनिमल सोर्स ज्यादा है, यानी जो मांसाहारी हैं उनमें यह पर्याप्त रहता है। शाकाहारी 60 से 70 फीसद लोगों में इसकी कमी होती है। वह कहती हैं कि रक्त के तीन भाग होते हैं। श्वेत कण, लाल कण और प्लेटलेट्स। विटामिन बी 12 इन्हीं प्लेटलेट्स को शरीर में बनाए रखने में अहम तत्व होता है। यह अमूमन सभी हरी सब्जियों में नहीं मिलता। हालांकि इस पर गहराई से अध्ययन की आवश्यकता है।

जयपुर में भी हुई थी पहल

डेंगू के मरीजों में विटामिन बी-12 की कमी के असर पर अध्ययन प्रयागराज से पहले राजस्थान के जयपुर में भी हुआ था। वहां केवल 36 मरीजों पर इसका अध्ययन हुआ था। मानक में कुछ कमी के चलते वह किसी जर्नल में प्रकाशित नहीं हो सका। प्रयागराज के डाक्टरों का यह अध्ययन थीसिस के रूप में तैयार किया गया है। इसे ग्लोबल जर्नल आफ रिसर्च (जीजेआरए) में प्रकाशित करने के लिए भेजा गया है। जर्नल को तैयार करने वालों की तरफ से कुछ और बातों पर जानकारी मांगी गई है, इन तथ्यों को जुटाया जा रहा है।


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