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अब फिर से प्रतापगढ़ जिले में बढ़ी आंवला उत्‍पादों की डिमांड

आंवले से बने मुरब्बा कैंडी अचार बर्फी लड्डू पावडर जूस एवं सैंपू की डिमांड भी पहले से है। वहीं आंवला के व्यवसाय पर कोरोना का संकट ग्रहण बनकर आया और लाकडाउन में पूरी तरह इसका भी व्यवसाय ठप पड़ गया था।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 05:00 PM (IST)
अब फिर से प्रतापगढ़ जिले में बढ़ी आंवला उत्‍पादों की डिमांड
पिछले छह महीने में लाक डाउन में आंवला का बाजार थम गया था। लेकिन अब दोबारा से मांग बढ़ी है।

प्रयागराज, जेएनएन। यूपी का प्रतापगढ़ जिला आंवला उत्‍पादों में अग्रणी है। आंवला अपने चमत्कारी औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। इसकी मांग हमेशा से रही है, लेकिन पिछले छह महीने में लाक डाउन में आंवला का बाजार थम गया था। होटल, दुकानें बंद होने से ऐसा हुआ था, लेकिन अब फिर से इसकी डिमांड बढ़ी है। अब लोगों के अंदर जगी देश भक्ति के कारण देसी सामानों की बिक्री में तेजी आ गई। चीन से आने वाले शैंपू लोग कम ले रहे हैं।

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ऐसे में जाहिर सी बात है कि आंवला का शैंपू मांगा जाएगा। इससे बनी कैंडी, रोल और बर्फी की डिमांड बढऩी शुरू हुई। इससे अब तक ठंडे पड़ चुके आंवला व्यवसायियों में उत्साह का संचार हुआ है। देखा जाए तो आंवले का उत्पाद होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट पर तेजी से चलन में आया है। आंवले से बने मुरब्बा, कैंडी, अचार, बर्फी, लड्डू, पावडर, जूस एवं सैंपू की  डिमांड भी पहले से है। वहीं आंवला के व्यवसाय पर कोरोना का संकट ग्रहण बनकर आया और लाकडाउन में पूरी तरह इसका भी व्यवसाय ठप पड़ गया। लाक डाउन के बाद भी स्थिति में कुछ खास परिर्वतन नहीं आया।

हालांकि बंद पड़ चुके आंवला की फैक्ट्रियों में उत्पादन की शुरुआत किसी तरह हो गई। इसी बीच चीन से भारत के टकराव के कारण देश भर में चाइना के सामानों को लेकर लोगों के अंदर बहिष्कार की भावना ने जोर पकड़ लिया। इसका फायदा यह हुआ कि आज के समय में अधिकतर लोग चाइना के अलावा दूसरे  देशों से आने वाले सामानों की खरीद ना करके इंडिया का बने उत्पाद की खरीद कर रहे हैं। अगर खरीद की गति में इसी तरह रफ्तार पकड़ती रही तो निश्चित रूप से प्रतापगढ़ जिले के आंवले को नई पहचान मिलेगी। व्यापारियों का उत्साह भी बढ़ेगा। जिले में 13020 हेक्टेअर में आंवले के बाग हैं। इनमें देशी, चकैया जैसी किस्म के आंवले होते हैं। यहां पर दो दर्जन आंवला का उद्योग है। करीब एक हजार से अधिक श्रमिकों को रोजगार भी मिला है। जिला उद्यान अधिकारी रणविजय ङ्क्षसह का कहना है कि आंवला किसानों को पूरा सहयोग दिया जाता है। आगे भी दिया जाएगा, ताकि हमारे जिले की शान आंवला और बेहतर समृद्धि का आधार बन सके।


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