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    Death anniversary of Pandit Deendayal Upadhyay: ट्रेन पकड़ने के लिए भीगे कपड़े पहन कर ही निकल पड़े थे दीनदयाल उपाध्याय

    By Rajneesh MishraEdited By:
    Updated: Thu, 11 Feb 2021 09:33 AM (IST)

    Death anniversary of Pandit Deendayal Upadhyay बिना समय लगाए भीगा कुर्ता पहन लिया और बोले चलो स्टेशन। यह तो रास्ते में सूख जाएगा। वर्ना ट्रेन छूट जाएगी। स्वयंसेवकों ने कुछ देर बाद की दूसरी ट्रेन से जाने का सुझाव दिया पर उन्होंने कहा कि समय का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

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    Death anniversary of Pandit Deendayal Upadhyay: स्वयंसेवकों संग बैठक करने के साथ उनके घर भोजन के लिए भी जाते थे।

    प्रयागराज,जेएनएन। शिक्षा, साहित्य, कला, विधि और राजनीति के गढ़ प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) से एकात्मवाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय का गहरा नाता था। यहीं उन्होंने बेसिक टीचर्स ट्रेनिंग (बीटी) भी पूरी की। सत्र 1941-42 में राजकीय केंद्रीय अध्यापन विज्ञान संस्थान के छात्रावास में रहे थे। वह कई बार यहां आए। स्वयंसेवकों के साथ बैठक करने के साथ ही उनके घर भोजन के लिए भी जाते थे। उनका निधन 11 फरवरी 1968 को हुआ था।

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    कर्नलगंज के पूर्व पार्षद राधेकृष्ण गोस्वामी कहते हैं कि वर्ष 1966 में पं. दीनदयाल उपाध्याय प्रयागराज आए थे। एक कार्यक्रम से लौटते समय बारिश में भीग गए। उन्हें स्वयंसेवक महजनी टोला स्थित संघ कार्यालय ले गए। वहीं पंखा चलाकर उनका धोती-कुर्ता सुखाने की कोशिश की गई। धोती तो जैसे तैसे सूख गई पर कुर्ता नहीं सूख पाया। इसी बीच ट्रेन का समय हो गया। उन्हें दिल्ली जाना था। झट से झोले में रखा दूसरा कुर्ता निकाला लेकिन वह भी भीग गया था। बिना समय लगाए उन्होंने भीगा कुर्ता पहन लिया और बोले चलो स्टेशन। यह तो रास्ते में सूख जाएगा। वर्ना ट्रेन छूट जाएगी। स्वयंसेवकों ने कुछ देर बाद की दूसरी ट्रेन से जाने का सुझाव दिया, पर उन्होंने कहा कि समय का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। इससे दूसरे कार्यक्रम भी प्रभावित होते हैं, जिसका असर बहुत से लोगों पर पड़ता है।

    चार  के साथ सादा भोजन पसंद था

    राधेकृष्ण गोस्वामी कहते हैं कि पं. दीनदयाल उपाध्याय जब किसी स्वयंसेवक के यहां जाते तो दाल, रोटी, चावल व अचार ही पसंद करते थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. आरके अग्रवाल के यहां काफी आना जाना था। यदि कभी कुछ खास भोजन की तैयारी होती थी तो मना कर देते। कहते दाल रोटी ही लेंगे।

    पहले सभा की, कार्यक्रम निपटाए फिर जलपान किया

    आरएसएस के वरिष्ठ स्वयंसेवक मुट्ठीगंज निवासी डॉ. शालिग्राम स्मृतियों को ताजा करते हुए कहते हैं कि 1951-52 में हुए आम चुनाव में पं. दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवारों के लिए कई सभा की थी। प्रयागराज में उनकी सभा स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल परिसर में हुई थी। उन्हें जौनपुर से बस से आना था। किसी कारण से बस देर से आई। जीरो रोड बस स्टैंड पर उन्हें लेने के बाद मैं संघ कार्यालय जलपान के लिए ले जाने लगा तो बोले, पहले सभास्थल पर चलें। वहां से दूसरे कार्यक्रम को भी निपटाने के बाद जलपान किया।

    संगठन से लोगों को जोडऩे पर देते थे बल

    वरिष्ठ स्वयंसेवक बलरामपुर निवासी सुरेंद्र शुक्ल बताते हैं कि 1967 में भी दीनदयाल उपाध्याय प्रयागराज आए थे। संघ कार्यालय पर स्वयंसेवकों के साथ बैठक कर संदेश दिया कि आम लोगों को शाखा तक लाने की जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाएं। संघ के प्रति यदि किसी में आशंका हो तो उसका समाधान करें।