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    Dandi March: नेहरू को नमक कानून तोड़ने पर मिली सजा का प्रपत्र आनंद भवन में है संरक्षित

    Dandi March दांडी यात्रा के लिए पं. जवाहरलाल नेहरू को छह महीने का साधारण कारावास की भी सजा दी गई। इस संबंध में एक प्रपत्र प्रयागराज के आनंद भवन परिसर स्थित संग्रहालय में रखा है। उसमें उल्लेख है कि नमक कानून तोडऩे के लिए पं. नेहरू को सजा दी गई।

    By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 12 Mar 2022 05:04 PM (IST)
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    आनंद भवन में रखे प्रपत्र में उल्लेख है कि नमक कानून तोडऩे के लिए पं. नेहरू को सजा दी गई।

    प्रयागराज, जेएनएन। अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश करने के लिए महात्‍मा गांधी ने दांडी यात्रा निकाली। इस यात्रा से जुड़ा इतिहास प्रयागराज में आज भी मौजूद है। जी हां, दांडी मार्च यानी अंग्रेजों की नमक कानून को तोड़ने की यात्रा की शुरूआत 12 मार्च 1930 में हुई थी। इसी यात्रा से जुड़े संस्‍मरण की याद आज भी प्रयागराज दिलाता है। दांडी मार्च में नमक कानून तोड़ने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू को सजा हुई थी। इस सजा संबंधी प्रपत्र ऐतिहासिक आनंद भवन में मौजूद है।

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    उल्‍लेखनीय है कि सन 1930 में अंग्रेजी सरकार ने नमक पर कर लगा दिया था। इसके बाद गांधीजी ने नमक कानून के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। इस सत्‍याग्रह आंदोलन के तहत गांधीजी सहित कई लोगों ने गुजरात के अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से समुद्र तट के दांडी गांव तक पैदल यात्रा की थी। दांडी मार्च के तहत 340 किमी की पैदल यात्रा की हुई थी। महात्मा गांधी ने कहा था कि आजादी हमारा अधिकार है, हम इसके लिए संघर्ष करेंगे। इस मार्च ने एक तरफ भारतीय जनमानस को जोड़ा तो अंग्रेेजों को हिला भी दिया। हालांकि आंदोलन में शामिल तमाम बड़े नेताओं को अंग्रेजों की तरफ से सजा भी दी गई। पर हौसले नहीं टूटे।

    पं. जवाहरलाल नेहरू को छह महीने का साधारण कारावास सजा मिली

    दांडी मार्च को ही नमक मार्च या सविनय अवज्ञा आंदोलन कहा गया। इसमें सी. राजगोपालाचारी, पं. जवाहरलाल नेहरू सहित कई बड़े नेता शामिल हुए। सभी ने नमक कानून का विरोध किया। नतीजा यह रहा कि उन्हें पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ीं। इसी आदोलन के लिए पं. जवाहरलाल नेहरू को छह महीने का साधारण कारावास की भी सजा दी गई। इस संबंध में एक प्रपत्र प्रयागराज के आनंद भवन परिसर स्थित संग्रहालय में रखा है। उसमें उल्लेख है कि नमक कानून तोडऩे के लिए पं. नेहरू को सजा दी गई।

    आनंद भवन में महात्मा गांधी का कक्ष

    आजादी के आंदोलन के दौरान आनंद भवन में महात्मा गांधी के लिए भी एक कक्ष होता था। जब वह प्रयागराज आते तो वहीं ठहरते थे। यह कक्ष आज भी हैं। यहां उस कक्षा को भी देखा जा सकता है जिसमें कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होती थी। उसमें भी महात्मा गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी।

    इंदिरा गांधी को लिखी चिट्ठी भी संरक्षित

    महात्मा गांधी ने कमला नेहरू के निधन के बाद इंदिरा गांधी को पत्र लिखा था। इसे आनंद भवन के संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। पत्र में लिखा है, चिरंजीव इंदु, कमला के जाने से तुम्हारी जम्मेदारी कुछ बढ़ जाती है लेकिन तुम्हारे लिए मुझको कोई चिंता नहीं है। ऐसी स्थिति हो गई है कि अपना धर्म अच्छी तरह समझती है। कमला में ऐसे गुण थे जो सामान्यतया अन्य स्त्रियों में नहीं पाए जाते हैं। मै ऐसी आशा बांध बैठा हूं कि यह सब गुण तुम्हारे में इतनी ही मात्रा में प्रदर्शित होंगे जैसे कमला में थे। ईश्वर तुम्हें दीर्घायु करे और कमला के गुणों का अनुकरण करने की शक्ति दे...।

    संग्रहालय में संरक्षित हैं कई पत्र

    इलाहाबाद संग्रहालय में महात्मा गांधी की ओर से लिखे कई पत्र संरक्षित हैं। इनमें 29 जून 1925 को सीएफ एंड्रूज को लिखा पत्र भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कमल नारायण को लिखी चिट्ठी, सेंट स्टीफन कॉलेज नई दिल्ली के प्राचार्य सुधीर रुद्रा को भेजा टेलीग्राम भी रखा है।