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    महाशिवरात्रि पर्व : पांडेश्वरनाथ धाम में दिन में तीन बार शिवलिंग का बदलता है रंग Prayagraj News

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 19 Feb 2020 05:11 PM (IST)

    प्रयागराज में गंगापार थरवई क्षेत्र में स्थित पांडेश्वरनाथ धाम (पडि़ला महादेव मंदिर) की खास विशेषता है। महाशिवरात्रि पर्व पर यहां मेला सा नजर आता है ...और पढ़ें

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    महाशिवरात्रि पर्व : पांडेश्वरनाथ धाम में दिन में तीन बार शिवलिंग का बदलता है रंग Prayagraj News

    प्रयागराज, जेएनएन। महाशिवरात्रि 21 फरवरी को है। तमाम शिवालयों में इसके लिए तैयारी अंतिम चरण में है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि प्रयागराज में ऐसे प्राचीन शिवालय हैं, जहां शहर उमड़ पड़ता है। ऐसा ही गंगापार के फाफामऊ में पांडेश्वरनाथ धाम (पडि़ला महादेव मंदिर) में शिवलिंग स्थापना की अपनी पौराणिक मान्यता, उसी अनुसार महत्व और निशान चढ़ाने की परंपरा भी है। यही ऐसे शिवालय हैं जहां महाशिवरात्रि पर निशान के रूप में ध्वज लेकर लोग दूर-दूर से नाचते गाते हुए आते हैं। यहां शिवलिंग में भक्त शिवजी के मानों साक्षात दर्शन पाते हों। पांडेश्वरनाथ धाम में दिन भर में तीन बार शिवलिंग का रंग बदलता है।

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    सुबह हरा, दोपहर में भूरा और रात में काले रंग का नजर आता है शिवलिंग

    बाजे गाजे के साथ नाचते गाते हुए भगवान भोलेनाथ के धाम पहुंचने वालों का उत्साह देखना हो तो प्रयागराज में गंगापार थरवई क्षेत्र में स्थित पांडेश्वरनाथ धाम (पडि़ला महादेव) से बेहतर कोई दूसरा मंदिर नहीं है। कहते हैं कि यहां शिवलिंग का रंग एक दिन में कई बार बदलता है। सुबह इसका रंग हरा, दोपहर में भूरा और रात में काला रंग नजर आता है। यहां भक्तों की मांगी गई मनौती भी पूरी होती है। तभी तो, महाशिवरात्रि पर यहां दूध, दही के अभिषेक से ज्यादा निशान (ध्वजा) चढ़ाए जाते हैं। गंगापार ही नहीं, शहर के अन्य इलाकों से भी भक्तों की टोलियां इस दिन निशान लेकर भगवान शिव के द्वार पहुंचती हैं। पडि़ला महादेव में शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि यह प्रयागराज में पंचकोषी परिक्रमा में आता है और स्वयं भू शिवलिंग है।

    महाभारत काल से प्रसिद्ध है पांडेश्वरनाथ धाम

    पांडेश्वरनाथ धाम का पूर्व में माधव मनोहर नाम था। द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान पांडव जब जंगल में घूम रहे थे तो उन्हें यहां शिवलिंग के दर्शन हुए। किंवदंती है कि पांडवों ने इस शिवलिंग पर विधि विधान से पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगी कि हम सभी सकुशल हस्तिनापुर पहुंचें। यह मन्नत पूरी भी हुई। पांडवों द्वारा हुई इसी पूजा के बाद इसे पांडेश्वरनाथ धाम कहा जाने लगा।

    यह है निशान चढ़ाने की मान्यता

    आस्थावानों में कोई बेटा बेटी की अच्छे घर में विवाह होने की मनौती मांगता है, कोई घर में संतान प्राप्ति की। किसी कि मन्नत रहती है कि परिवार में सुख समृद्धि आए तो कोई लंबे समय से चल रही गंभीर बीमारी से स्वस्थ होने पर निशान चढ़ाने की कामना करता है। यह मन्नत पूरी होने पर लोग महाशिवरात्रि के दिन पांडेश्वरनाथ धाम में निशान चढ़ाने पहुंचते हैं। शिवजी को ध्वजा पसंद भी है इसलिए भगवान को प्रसन्न करने और अपनी मनौती पूरी होने की खुशी में लोग नाचते गाते हुए धाम तक जाते हैं। 

    सभी पर कृपा बरसाते हैं भोले बाबा : महंत कृष्ण कुमार गिरि

    पांडेश्वरनाथ धाम के महंत कृष्ण कुमार गिरि कहते हैं कि शिव जी की महिमा बड़ी निराली है। जो उनके द्वार आता है उस पर तो कृपा बरसाते ही हैं, जो मंदिर न आकर दिल से भगवान भोलेनाथ को मानते हैं उनकी भी सुख समृद्धि शिव जी करते हैं। कहा कि महाशिवरात्रि पर यहां 50-60 किलोमीटर परिधि से भक्तों की सैकड़ों टोलियां आती हैं। यहां से कोई फरियादी खाली हाथ नहीं लौटता यही वजह है कि लोग महाशिवरात्रि पर उत्सव मनाने का साल भर से इंतजार करते हैं।