लावारिस रोगियों को चादर तक नसीब नहीं, यह हालत है प्रयागराज के काल्विन अस्पताल की
प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. इंदु कनौजिया कहती हैं कि लावारिस लोगों की देखभाल पूरी और समय पर होती है। ऐसे लोगों को कोई भी लाकर भर्ती करा जाता है। समय पर खाना नाश्ता दिया जाता है। पलंग पर चादर बिछाई जाती है तो वह उसे अस्पताल से बाहर फेंक आते हैं

अमरदीप भट्ट, प्रयागराज। विक्षिप्त और बोझ समझकर जो समाज में लावारिस हो गए उन इंसानों को बीमार हालत में पलंग पर चादर तक नहीं मिल पा रही है। न आसपास कोई न समय से दवा इलाज की किसी को चिंता। यह हालात हैं अस्पतालों में भर्ती ऐसे रोगियों के जिनके साथ अपने परिवार के कोई नहीं रहते। पलंग पर जैसे-तैसे दिन काटते इन बुजुर्ग रोगियों के प्रति संवेदना रोज तिल-तिल कर मरती है। यहां तक कि चिकित्सा विभाग के अफसरान भी अनदेखी करते हुए इनके करीब से निकल जाते हैं और हालचाल नहीं पूछते।
समय पर खाना नाश्ता पूछने भी नहीं आते वार्ड के स्टाफ
मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय यानी काल्विन अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मुख्य गेट से प्रवेश करते ही चार पलंग लावारिस लोगों के लिए आरक्षित हैं। इन पर भर्ती लोगों के तन पर कपड़े अस्त व्यस्त रहने, आसपास गंदगी के चलते अन्य लोग मुंह मोड़ लेते हैं। इनके पास न समय से खाना नाश्ता पहुंचता है न दवा उपचार की कोई नियमित व्यवस्था। करीब दो माह पहले ऐसे ही एक रोगी की स्थिति पर हुए ट्वीट ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों में खलबली मचा दी थी। जिसे बाद में विक्षिप्त बताकर अस्पताल प्रशासन ने उसके तन पर कपड़े डालने की फौरी व्यवस्था कर दी थी।
चिकित्साधीक्षक का ये है कहना
अस्पताल की प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. इंदु कनौजिया कहती हैं कि लावारिस लोगों की देखभाल पूरी और समय पर होती है। ऐसे लोगों को कोई भी लाकर भर्ती करा जाता है। समय पर खाना नाश्ता दिया जाता है। पलंग पर चादर बिछाई जाती है तो वह उसे अस्पताल से बाहर फेंक आते हैं। इसलिए वार्ड स्टाफ चादर अक्सर देते ही नहीं है।

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