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    कृषि उत्पादकता बढ़ाने में क्लोनल वानिकी सहायक

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 11 Nov 2021 12:57 AM (IST)

    कृषि उत्पादकता बढ़ाने में क्लोनल वानिकी (प्रतिकृति वानिकी) सहायक है।

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    कृषि उत्पादकता बढ़ाने में क्लोनल वानिकी सहायक

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज: कृषि उत्पादकता बढ़ाने में क्लोनल वानिकी (प्रतिकृति वानिकी) सहायक है। स्थानीय जलवायु के अध्ययन के बाद तय किया जाना चाहिए कि कौन सी वनस्पति लाभकारी है। उसके अनुरूप पौधों को तैयार किया जाना चाहिए। यह बातें पारि- पुनस्र्थापना वन अनुसंधान केंद्र के 30 वर्ष पूरे होने पर बुधवार को यहां शुरू हुए दो दिनी राष्ट्रीय सेमीनार के पहले दिन कही गईं। सांसद (फूलपुर) केशरीदेवी पटेल ने आयोजन का शुभारंभ करते हुए कहा कि पौधों की देखभाल हमें अपने बच्चों की तरह करनी चाहिए।

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    वन क्षेत्रफल बढ़ाने, भविष्य में जंगल का स्वरूप अधिक लाभकारी करने तथा जलवायु परिवर्तन रोक कर किसानों की आय बढ़ाने जैसे बिंदुओं पर पहले दिन देशभर से जुटे विज्ञानियों ने अपनी राय रखी। संयंत्र जैव प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, जैव प्रौद्योगिकी एवं जैव सूचना विभाग, उत्तरपूर्वी पर्वतीय विश्वविद्यालय शिलांग के डा. एस रामाराव ने क्लोनल वानिकी तथा जिनोमिक ²ष्टिकोण की विस्तार से चर्चा की। कहा कि जब पौधों का क्लोन तैयार होता है तो कुछ साल बाद उनमें मिलावट होने से गुणवत्ता प्रभावित होती है। विशेषज्ञों को इसे लेकर सतर्क रहना होगा। डा. ईवीआर राजू ने पारिस्थितिक बहाली पर कोयला खनन क्षेत्रों में मिली सफलता पर व्याख्यान दिया। प्रसनजीत मुखर्जी ने पर्यावरण पुनर्वास के अंतर्गत निम्नीकृत भूमि को पुनस्र्थापित करने के तरीकों पर अनुभव साझा किए। डा. संजीव ठाकुर ने कहा कि कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए क्लोनल वानिकी महत्वपूर्ण है। जलवायु को लचीला बनाकर पर्यावरण में सुधार भी इससे लाया जा सकता है। प्रमोद कुमार ने गुणवत्ता वाले पौधों के खेत में रोपण की तकनीक तथा उपयोग बताया। कौशल त्रिपाठी ने बबूल के वृक्षों को विस्तारित करने की जानकारी दी। इस अवसर पर संस्थान की प्रगति का वीडियो भी दिखाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत फूलपुर सांसद केशरी देवी पटेल ने दीप प्रज्वलित कर की। कहा कि प्रकृति का संरक्षण, हरित क्षेत्र का विस्तार, जल संरक्षण जैसे अभियान की सफलता के लिए मजबूत इच्छा शक्ति जरूरी है। स्मारिका का भी विमोचन किया गया। केंद्र के प्रमुख डा. संजय सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। डा. अनीता तोमर, डा. कुमुद दुबे, डा. संजय राम राव, डा. इवीआर राजू, डा. सुभाष चंद्र जाली, डा. लालजी सिंह, डा. केपी प्रतिभा की उपस्थित उल्लेखनीय रही।

    राजमार्गों के किनारे घट रहे वृक्षों पर जताई चिता

    सांसद केशरी देवी पटेल ने नई सड़कों को बनाने तथा सड़कों के चौड़ीकरण में वृक्षों के कटने के बाद नए वृक्ष न तैयार होने पर चिता जताई। कहा कि सभी राजमार्गों के किनारे वृक्षों की संख्या को बढ़ाना होगा। जल संरक्षण के लिए भी समग्र प्रयास जरूरी है। उन्होंने नीलगायों की समस्या का जिक्र किया। कहा कि फसलों को नुकसान होने के साथ रोपे जाने वाले पौधे भी नष्ट हो रहे हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनानी होगी।