Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Christmas 2021: पत्थर गिरजाघर के नाम से विख्यात सेंट्स कैथिड्रल है एशिया का प्रमुख चर्च

    पत्थर गिरजाघर की डिजाइन 1870 में सर विलियम एमर्सन ने बनाया था। इसे बनाने में 17 साल लगे। यह 1887 में बनकर तैयार हुआ तो इसकी डिजाइन और सुंदरता के चर्चे विदेश तक गूंजने लगा। आल सेंट्स कैथेड्रल चर्च प्रयागराज में सबसे विशाल परिक्षेत्र में बना है

    By Ankur TripathiEdited By: Updated: Sat, 25 Dec 2021 08:10 AM (IST)
    Hero Image
    सिविल लाइंस संगमनगरी का दिल कहा जाता है तो यहां की शान पत्थर गिरजाघर है।

    प्रयागराज, जेएनएन। मसीही समुदाय की आस्था का केंद्र चर्च होते हैं। चर्च से हर मसीही का भावनात्मक जुड़ाव होता है। प्रयागराज में कई चर्च ऐसे हैं जिनकी ख्याति न सिर्फ भारत बल्कि विदेश में भी है। उन्हीं चर्चों में शामिल है 'आल सेंट कैथिड्रल चर्च यानी पत्थर गिरिजाघर। सिविल लाइंस संगमनगरी का दिल कहा जाता है तो यहां की शान पत्थर गिरजाघर है। इनकी गिनती एशिया के प्रमुख चर्चों में होती है। यहां अनुायायी ही नहीं पर्यटक भी आते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    17 साल में बनकर तैयार हुआ था पत्थर गिरजाघर

    आस्था और खूबसूरती की प्रतिमूर्ति कहलाने वाला पत्थर गिरजाघर की डिजाइन 1870 में सर विलियम एमर्सन ने बनाया था। इसे बनाने में 17 साल लगे। यह 1887 में बनकर तैयार हुआ तो इसकी डिजाइन और सुंदरता के चर्चे विदेश तक गूंजने लगा। आल सेंट्स कैथेड्रल चर्च प्रयागराज में सबसे विशाल परिक्षेत्र में बना है। प्रार्थना सभा के लिए बना हाल 40 फिट चौड़ा और 130 फिट लंबा है, जबकि चर्च की लंबाई 240 फिट व चौड़ाई 56 फिट है। एशिया में ऐसे कम ही चर्च हैं जहां एक साथ चार सौ से अधिक लोग बैठकर प्रार्थना कर सकें। प्रवेश के लिए दक्षिण व उत्तर दिशा में दो बड़े दरवाजे हैं। इसमें तीन टावर बने हैं जिनमें तत्कालीन इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को भी एक टावर समर्पित है। चर्च की इमारत के चारों बागीचों का लुक दिया गया है। हरे पेड़, पौधे, फूलों की खुशबू खूबसूरती को चार चांद लगाती है। यह 19वीं शताब्दी में वास्तुकला की गोथिक शैली का बेजोड़ नमूना कहलाता है। गोथिक वास्तु शैली 12वीं सदी में फ्रांस में जन्मी। मेहराब, रिब्ड वॉल्ट्स और पत्थरों की संरचना इस वास्तु शैली की विशेषता है।