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    Child Health News: सलाह डाक्टर की, बच्चे को चटपटा नहीं खिलाएं पौष्टिक खाना

    बच्चों की उचित देखभाल जरूरी है। बच्चे बीमार हो रहे हैं कोई चटपटी चीजें खाने के आदी हैं। इस वजह से खाना नहीं खाते तो कुछ बच्चों में अन्य शारीरिक समस्या है। बच्चों की यह परेशानी मां-बाप के लिए बड़ी समस्या रहती है।

    By Ankur TripathiEdited By: Updated: Mon, 09 Aug 2021 06:50 PM (IST)
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    मौसम लगातार बदल रहा है। ऐसे में बच्चों की उचित देखभाल जरूरी है।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मौसम लगातार बदल रहा है। ऐसे में बच्चों की उचित देखभाल जरूरी है। बच्चे बीमार हो रहे हैं, कोई चटपटी चीजें खाने के आदी हैं। इस वजह से खाना नहीं खाते तो कुछ बच्चों में अन्य शारीरिक समस्या है। बच्चों की यह परेशानी मां-बाप के लिए बड़ी समस्या रहती है। लेकिन इससे निजात भी पा सकते हैं। बस थोड़ा प्रयास करना होगा। कुछ यही बताया रविवार को दैनिक जागरण के हेलो डाक्टर कार्यक्रम में शिशु रोग विशेषज्ञ डा. मनीषा मौर्या ने। पेश है उनसे हमारे पाठकों के हुए सवाल और जवाब के प्रमुख अंश।

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    सवाल : एक साल की बेटी है मेरी, उसे टायलेट करने में दिक्कत होती है। तकलीफ होती है तो रोती चीखती है। ऐसा केवल सुबह होता है।

    रहमान, हंडिया

    जवाब : आप बच्ची को रात में सुलाते समय पानी और दूध ज्यादा पिलाएं। तकलीफ केवल सुबह टायलेट के समय होती है तो समस्या यही है कि रात में बच्ची के पेट में पानी कम रहता है। ज्यादा समस्या हो तो उसका अल्ट्रासाउंड करा कर दिखाएं।

    सवाल : 24 दिन का मेरा बेटा है। उसे मां का दूध पच नहीं रहा। स्तनपान से उसे उल्टी होने लगती है।

    अतुल पांडेय, संतकबीर नगर

    जवाब : मां का दूध पीकर बच्चा अगर उल्टी करता है तो यह कोई बीमारी नहीं। बच्चे के पेट में गैस बनने से ऐसा होता है। दूध पिलाने के ठीक बाद बच्चे को कंधे से लगाएं। तब तक थपकी देते रहें जब तक कि उसे डकार न आ जाए। वजन अगर बढ़ रहा है तो समझिए मां का दूध बच्चे को पच रहा है।

    सवाल : मेरी ढाई साल की बेटी है, वजन 12 किलोग्राम है। जब वह केला खा लेती है तो पेट टाइट हो जाता है। उसे टायलेट भी दिक्कत से होती है।

    ज्ञानेश कुमार सिंह, प्रयाग स्टेशन

    जवाब : बच्ची को अनाज और हरी सब्जियां खिलाना शुरू करें। उसे मां की देखरेख में टायलेट और शौच के लिए बैठना सिखाएं। बच्चों को मां ही इसका प्रशिक्षण देती हैं।

    सवाल : मेरा आठ साल का बेटा है। वह खाने पर ध्यान नहीं देता। उसे बाहर की चीजें, चटपटे आइटम ज्यादा पसंद हैं।

    नरेंद्र कुमार कुशवाहा

    जवाब : बच्चे को धीरे-धीरे सिखाना पड़ेगा कि अनाज और सब्जियां खाएं। उसे बाहर की चटपटी चीजें दें लेकिन लिमिट में। अनाज नहीं खिलाएंगे तो बच्चे कुपोषित हो जाते हैं। बच्चों को दिन भर में चार से पांच बार खाना खिलाना होता है।

    सवाल : दो- ढाई साल के बच्चे अब मोबाइल फोन के आदी होते जा रहे हैं। फोन देखे बिना खाना नहीं खाते। क्या करें।

    अनुराग यादव, नार्थ मलाका

    जवाब : बच्चों को दिन भर में एक घंटे से ज्यादा देर तक मोबाइल फोन न दें। लेकिन इसके लिए पहले हमें खुद मोबाइल फोन बच्चों के सामने कम इस्तेमाल करना होगा। हमें खुद रोल माडल बनना होगा। बच्चों को किसी गेम में क्रिएटिव करें।

    सवाल : मेरी बेटी 21 दिन की है। उसे बुखार कई दिनों से आ रहा है। दवा से ठीक भी नहीं हो रहा।

    बृजेश श्रीवास्तव, धूमनगंज।

    जवाब : एक माह से कम के बच्चे को बुखार आना गंभीर समस्या हो सकती है। उसे फौरन चिल्ड्रेन अस्पताल लाकर दिखाएं। हो सकता है कि भर्ती करके इलाज करना पड़े। इतने छोटे बच्चों को बुखार आने का मतलब उनमें कोई संक्रमण हो रहा है।

    सवाल : छह साल का बेटा है। उसे फाइमोसिस की शिकायत है। फोर स्किन ठीक से नहीं खुल रहा। एक निजी अस्पताल में डायलेशन करा चुके हैं फिर भी समस्या बनी है।

    विभाकर, मुंडेरा

    जवाब : बच्चे को पेशाब अगर धार से हो रही है तो ज्यादा दिक्कत वाली बात नहीं है। एक बार उसे फिर से डायलेट करके फोर स्किन को खुलवाना पड़ेगा। कभी-कभी डायलेशन के समय गंदगी साफ न करने से ऐसा हो जाता है।

    सवाल : हमारे पौत्र को खाने में अरुचि है। तीन साल का है और मां का दूध अब भी पीता है।

    एसएन पांडेय, बीरापुर फूलपुर

    जवाब : इतने बड़े बच्चे को अनाज और सब्जी खिलाना जरूरी है। खाने में उसे देशी घी भी खिलाएं। दिन भर में चार से पांच बार खाना खिलाएं। जब भी खाना दें तो उसके सामने मां का चेहरा जरूर रहे। मां को देखकर ही बच्चों में खाने के प्रति रुचि बढ़ती है।

    सवाल : मेरी तीन साल की बेटी है, लग रहा है कि उसकी हाइट रुक गई है। हालांकि वजन 14 किलोग्राम है।

    प्रतिमा, लोकसेवा आयोग परिसर

    जवाब : बच्चों की लंबाई माता-पिता की हाइट के अनुसार होती है। ज्यादा परेशान न हों। बेटी को दूध बादाम जरूर दें। उसे 400 इंटरनेशनल यूनिट का विटामिन 'डीÓ का ड्राप रोज दें। शरीर का विकास जरूर होगा।

    सवाल : मेरा चार साल का बेटा है। उसके शरीर का विकास नहीं हो रहा है। खाना भी खाने में परेशान करता है। उसे बाहर की चीजें ज्यादा पसंद हैं।

    मोहिनी सिंह, सुलेमसरांय

    जवाब : अब यह बच्चों में सामान्य समस्या है। ज्यादा परेशान न हों। बच्चे को पैकेट वाले नमकीन आइटम अभिभावक ही दिलाने में परहेज नहीं करते। आप रसोई में अनाज और सब्जी के कुछ नए व्यंजन बनाएं और बच्चे को खेल-खेल में खिलाएं तो वह जरूर खाएगा।

    सवाल : बच्चा अभी छोटा है। समझ नहीं आ रहा है कि उसकी केयर कैसे करें। खाना कितनी बार खिलाएं और रात में दूध कितना पिलाएं।

    ज्योति दुबे, कटरा

    जवाब : बच्चे को दिन भर में कम से कम चार बार खाना जरूर खिलाएं। दूध और घी का सेवन, फल और बादाम खिलाएं। बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए यह काफी जरूरी है। अस्पताल लाकर बच्चे का वजन भी करा लें।

    यह भी जानें

    -बच्चों को खाने का स्वाद 10 से 14 दिन में पता चलता है।

    -बच्चे काफी छोटे हैं तो उन्हें खाना पेस्ट बनाकर खिलाएं।

    -बच्चों का टीका लगवाने जाएं तो उनका वजन जरूर कराएं।

    -बच्चों को छह माह तक मां का दूध ही पिलाएं।

    -हर मां के स्तन में बच्चों के लिए पर्याप्त दूध होता है।

    -दो साल तक भी बच्चे मां का दूध पीते हैं तो उन्हें खाना भी खिलाएं।

    -हरी सब्जियां बच्चों के शारीरिक विकास के लिए रामबाण हैं।

    -पालक को कई रूप में बच्चों को खिला सकते हैं। यह काफी लाभदायक होगा।

    -पालक की दाल, पालक पनीर, पालक की पकौडिय़ां खिलाएं।