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    परिषदीय स्कूलों में 'पढ़ो कहानी सुनो कहानी' अभियान, विद्यार्थियों में पढ़ने की क्षमता विकसित करने का प्रयास

    By Jagran NewsEdited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Tue, 08 Nov 2022 07:57 AM (IST)

    प्रयागराज के समन्वयक प्रशिक्षण डा. विनोद मिश्र का कहना है कि बच्चों के लिए सीखने का आधार पढ़ना है। इसके माध्यम से रचनात्मक और आलोचनात्मक चिंतन तथा मौखिक व लिखित दोनों माध्यमों में अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ाई जा सकती है।

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    परिषदीय स्‍कूलों में सप्ताह में एक दिन सुनो कहानी, ठीक अगले दिन पढ़ो कहानी कार्यक्रम चल रहा है।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सभी परिषदीय स्कूलों में 'पढ़ो कहानी सुनो कहानी' अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत विद्यार्थियों में पढ़ने की क्षमता विकसित कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस बार यह अभियान कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में भी चलाया जा रहा है। 45 दिन तक यह क्रम जारी रहेगा। इसी के साथ रीडिंग कैंपेन भी चल रहा है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों में साक्षरता लाने व भाषा की दक्षता बढ़ाने की कोशिश है। संख्यात्मक ज्ञान में भी अभिवृद्धि होगी।

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    प्रयागराज के समन्‍वयक प्रशिक्षण डा. विनोद ने कहा : प्रयागराज के समन्वयक प्रशिक्षण डा. विनोद मिश्र का कहना है कि बच्चों के लिए सीखने का आधार पढ़ना है। इसके माध्यम से रचनात्मक और आलोचनात्मक चिंतन तथा मौखिक व लिखित दोनों माध्यमों में अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ाई जा सकती है। वर्तमान में जो अभियान चल रहा है वह बच्चों को उनके परिवेश और वास्तविक जीवन से जोड़ने में भी मदद करेगा। विभाग का लक्ष्य है कि सभी बच्चे पढ़ना सीखें उसके बाद सीखने के लिए पढ़ें।

    सप्‍ताह में एक दिन सुनो कहानी व पढ़ो कहानी : डा. विनोद मिश्र ने कहा कि सप्ताह में एक दिन सुनो कहानी, ठीक अगले दिन पढ़ो कहानी कार्यक्रम चल रहा है। यूट्यूब् व वाट्सएप के माध्यम से आई कहानी बच्चों को पढ़ाई जा रही है। इसमें क्या अकेला हूं, गप्पी साइकिल वाला, दादू की तुकबंदी, नानी का बगीचा, बढ़ई बंदर बद्री, किस्सा जूते का जैसी कहानियों में विद्यार्थी विशेष रूचि ले रहे हैं। एसआरजी प्रशांत ओझा ने बताया कि कहानी पढ़ने के बाद उसे अपने शब्दों में विद्यार्थियों से लिखवाया जाता है। उन्हें क्या पसंद आया क्या नहीं इसका भी उल्लेख उनसे करा रहे हैं। पढ़ी गई कहानी में आए नए शब्दों को कागज के टुकड़ों पर लिखवा कर दीवार पर लगवाते हैं जिससे रोचक शब्द दीवार तैयार हो जाती है। यह प्रयास शब्दावली बढ़ाने में सहायक साबित हो रहे हैं।

    प्रयागराज की रीडिंग कैंपेन की तस्वीर राज्य स्तर पर छाई : एसआरजी वंदना श्रीवास्तव ने बताया कि रीडिंग कैंपेन के लिए चार स्तर पर सामग्री आती है। बाल वाटिका, कक्षा एक और दो, कक्षा तीन से पांच कक्षा छह से आठ के वर्ग बने हैं। इस अभियान में एसआरजी विशेष रूप से सहयोग दे रहे हैं। अभिभावकों की भी मदद इसमें ली जा रही है। उनके माध्यम से कब क्या कराना है उसका चार्ट विभाग ने जारी किया है। अभियान के दौरान बच्चों की तस्वीरें लेकर राज्य स्तर पर बने ग्रुप में भेजा जाता है। अब तक के अभियान में प्रयागराज का प्रदर्शन अच्छा रहा है। सैदाबाद, बहादुरपुर, शंकरगढ़, कौड़िहार, ऊरुवा, चाका ब्लाक में विशेष रूप से कार्य हो रहा है। पिछले वर्ष के अभियान में भी उच्च प्राथमिक विद्यालय बगबना की जो तस्वीरें ली गई थीं उन्होंने विशेष छाप छोड़ी थी।