एक ही जिंदगी में कई जिंदगी जीने की चाहत ले आई रुपहले पर्दे पर, प्रयागराज निवासी हैं बालीवुड अभिनेता करण आनंद
करण आनंद बताते हैं कि कक्षा एक से सातवीं तक की पढ़ाई लिखाई केपी इंटर कॉलेज से हुई। 12वीं तक की पढ़ाई नैनीताल में हुई। स्नातक करने के लिए 2002 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय आ गए। इसी दौरान थिएटर की शुरुआत हुई।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मैं भी छोरा गंगा किनारे वाला हूं, पर यह पहचान बिग बी (अमिताभ बच्चन) की है। मेरे लिए यही काफी कि वह मेरे शहर के हैं। यदि कुछ अलग कहना है तो मैं अमरूद और चाट फुलकी वाले शहर का हूं। अलमस्त अपनेपन से भरी संगमनगरी का हूं। यह कहना है रुपहले पर्दे पर उभरते सितारे करण आनंद का।
एक ही जिंदगी में कई जिंदगी जीने की चाहत
गुंडे, किक, बेबी, लुप्त जैसी फिल्मों में जानदार अभिनय करने वाले करण आनंद ने प्रयागराज आने पर शनिवार को दैनिक जागरण के साथ अनौपचारिक बातचीत में बताया कि उनका बचपन प्रयागराज के कीडगंज की गलियों में गुजरा है। कहते हैं कि शुरुआती दिनों में एक ड्रामा कंपनी ने घर के पास डेरा डाला और हर रोज एक नया शो होता। मैं उसे देखता। वहां के कलाकारों को भी देखता। वहीं से मुझे भी एक ही जिंदगी में कई जिंदगी जीने की चाहत पैदा हुई।
केपी इंटर कॉलेज से हुई प्राथमिक पढ़ाई
करण आनंद बताते हैं कि कक्षा एक से सातवीं तक की पढ़ाई लिखाई केपी इंटर कॉलेज से हुई। 12वीं तक की पढ़ाई नैनीताल में हुई। स्नातक करने के लिए 2002 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय आ गए। इसी दौरान थिएटर की शुरुआत हुई। डा. कौशल किशोर के मार्गदर्शन में पहला शो आषाढ़ का एक एक दिन किया।
मुंबई में तीन साल थिएटर किया
2008 में मुंबई चला गया। वहां राजब्बर की पत्नी नादिरा के एकजुट थिएटर ग्रुप के साथ तीन साल काम किया। बीच बीच में टीवी शो भी करता रहा। पहला शो 'कभी तो मिलके सब बोलो था। उसके बाद रानी पद्मिनी का जौहर में काम करने का मौका मिला।
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