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    Birth Anniversary: बाबू चिंतामणि घोष ने प्रयागराज में इंडियन प्रेस के जरिए साहित्य को संजोया

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Tue, 10 Aug 2021 07:00 AM (IST)

    बाबू चिंतामणि घोष ने प्रयागराज में इंडियन प्रेस की स्थापना की थी।। इंडियन प्रेस की प्रकाशन-उपलब्धि शीर्षस्थ रही है जिसका सारा श्रेय चिंतामणि घोष को जाता है। हाबड़ा से आकर प्रयागराज में इंडियन प्रेस की स्थापना कराई थी। इससे पाठ्यपुस्तक रामायण महाभारत विद्यासागर की जीवनी आदि का प्रकाशन कराया गया

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    आज जन्मतिथि पर प्रयागराज में उन्हें याद किया जा रहा है।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। देश की साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने, नए रचनाकारों को प्रोत्साहित करने वाले बाबू चिंतामणि घोष ने प्रयागराज में इंडियन प्रेस की स्थापना की थी।। 'इंडियन प्रेस की प्रकाशन-उपलब्धि शीर्षस्थ रही है, जिसका सारा श्रेय चिंतामणि घोष को जाता है। हाबड़ा से आकर प्रयागराज में इंडियन प्रेस की स्थापना कराई थी। इस प्रेस से विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तक, रामायण, महाभारत, विद्यासागर की जीवनी आदि कृतियों का नयनाभिराम प्रकाशन कराया गया। आज जन्मतिथि पर प्रयागराज में उन्हें याद किया जा रहा है।

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    बाबू चिंतामणि की कर्मस्थली प्रयागराज रही

    10 अगस्त 1844 को बाली हावड़ा में जन्मे बाबू चिंतामणि की कर्मस्थली प्रयागराज रही। भाषाविद् आचार्य पृथ्वीनाथ पांडेय बताते हैं कि बाबू चिंतामणि के पिता जीविकोपार्जन के लिए प्रयागराज आए थे। यहीं वे अस्वस्थ हो गए थे और यहीं उनका निधन हो गया था। उस समय चिंतामणि की अवस्था 12 वर्ष की थी। अल्पावस्था में ही उनके कंधों पर पूरे परिवार का बोझ आ गया था, किंतु वे घबराये नहीं। एक अंग्रेजी समाचारपत्र में 10 रुपये के मासिक वेतन पर वे असिस्टेंट क्लर्क के पद पर लग गए। वे ज्ञानपिपासु थे। कबाडिय़ों के यहां से पुरानी पुस्तकें पढ़-पढ़कर अपने ज्ञान का विस्तार करते रहे। वे मुद्रण से भी जुड़े। आगे चलकर, बाबू चिंतामणि ने 1884 में इंडियन प्रेस की स्थापना की थी। उन्होंने मुद्रण की गुणवत्ता को शीर्ष पर रखा था। हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र कहते हैं कि बाबू चिंतामणि घोष की तपस्या का ही परिणाम था कि इंडियन प्रेस की चर्चा आजादी से पहले और बाद सर्वत्र रही। देशदूत, हल, सरस्वती, बालसखा, अभ्युदय, मंजरी, विज्ञान-जग जैसी पत्रिकाएं इंडियन प्रेस से प्रकाशित होती रहीं। जन्मतिथि पर प्रयागराज में बाबू चिंतामणि को याद किया जा रहा है। उन्हें जानने वाले और पुराने लोग अब भी जब तब उनके बारे में चर्चा करते मिल जाते हैं। मंगलवार को उनकी जन्मतिथि पर कार्यक्रम भी आयोजित करने की तैयारी है।