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    Harivanshrai Bachchan Birth Anniversary: रोचक संस्‍मरण...महात्‍मा गांधी बच्‍चनजी की मधुशाला से हुए थे नाराज

    Harivanshrai Bachchan Birth Anniversary 2022 प्रयागराज के कवि और चिंतनपरक लेखक प्रो. राजेंद्र कुमार बताते हैं कि हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला कविता को जब खूब प्रचार-प्रसार मिलने लगा तो कुछ लोगों ने महात्मा गांधी से शिकायत किया कि मधुशाला मदिरा को बढ़ावा दे रही है। गांधीजी नाराज हुए।

    By Jagran NewsEdited By: Brijesh SrivastavaUpdated: Sun, 27 Nov 2022 02:42 PM (IST)
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    अमिताभ बच्‍चन के जन्‍म से पहले पिता हरिवंशराय बच्‍चन को मधुशाला से पहचान मिली थी।

    प्रयागराज, जेएनएन। हिंदी कविता के उत्तर छायावाद के प्रमुख कवियों में शामिल डा. हरिवंश राय बच्चन की आज जन्‍मतिथि है। उनकी साहित्य जगत में अलग पहचान है। उनसे जुड़े तमाम संस्‍मरण आज भी लोगों को याद है। एक बार महात्‍मा गांधी हरिवंशराय बच्‍चन की कृति मधुशाला से नाराज हो गए थे। आप भी इस खबर पढ़कर जानें कि रोचक प्रसंग।

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    सामाजिक और कौमी एकता को बढ़ावा देने वाली कविता है 'मधुशाला' : प्रयागराज के कवि और चिंतनपरक लेखक प्रो. राजेंद्र कुमार बताते हैं कि हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला कविता को जब खूब प्रचार-प्रसार मिलने लगा तो कुछ लोगों ने महात्मा गांधी से शिकायत की। कहा कि मधुशाला, मदिरा को बढ़ावा दे रही है। इस पर गांधीजी नाराज हो गए। उनकी नाराजगी की जानकारी होने पर बच्चनजी के समर्थन में कुछ लोग गांधीजी के पास पहुंचे। उन्हें मधुशाला को पढ़ कर सुनाया। 'मंदिर मस्जिद भेंट कराते-मेल कराती मधुशाला', पंक्ति का उदाहरण देते हुए बताया कि यह मदिरा का प्रचार प्रसार नहीं, बल्कि सामाजिक और कौमी एकता को बढ़ावा देने वाली कविता है। बताया गया कि इसमें मदिरा प्रतीकात्मक है। इसकी मूल भावना समाज में एकता को बढ़ावा देने की है। तमाम तर्क दिए जाने पर गांधीजी ने भी मधुशाला को अपनी स्वीकारोक्ति दे दी थी।

    इलाहाबाद के हास्‍टल के छात्रों को कविता सुनाथे थे : प्रो. एक और संस्मरण सुनाते हुए बताया कि हरिवंश राय बच्चन जब इलाहाबाद में बंद रोड और क्लाइव रोड पर रहे थे तो विभिन्न छात्रावासों में रहने वाले अंतेवासी उन्हें आग्रह करके बुला लेते थे फिर रात-रात भर वहीं कविताओं का दौर चलता था।

    हरिवंशराय बच्‍चन इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय में अंग्रेजी के अध्‍यापक थे : हरवंशराय बच्‍चन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विषय के अध्‍यापक थे। हालांकि उन्‍हें आत्मीय लगाव हिंदी से था। यही वजह है कि 'मधुशाला', 'मधुबाला', 'मधुकलश'ए 'क्या भूलूं क्या याद करूं' और 'हलाहल' लिखकर उन्होंने देश भर में साहित्य का एक बड़ा फलक स्थापित किया।

    मिलेनियम स्‍टार अमिताभ बच्‍चन के पिता होने का भी मिला गौरव : देश और समाज में प्रतिष्ठित कवि हरिवंश राय बच्चन ऐसे एकमात्र लेखक रहे जिन्हें एक साथ दो पहचान मिलने का गौरव प्राप्त हुआ। एक तो उनकी अपनी और दूसरी, बेटे मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन के पिता होने की पहचान। यह भी तथ्य है कि हरिवंश राय बच्चन को इंडियन प्रेस से प्रकाशित मधुशाला (1935 में प्रकाशित) के जरिए पहचान तब मिल गई थी जब अमिताभ का जन्म भी नहीं हुआ था।

    प्रमुख कृतियां 

    कविता संग्रह - मधुशाला, मधुबाला, मधु कलश, तेज हार, आत्म परिचय, एकात्म संगीत, हलाहल, सतरंगिनी, खादी के फूल, प्रणय पत्रिका, आरती और अंगारे, चार खेमे चौसठ खूंटे, दो चट्टान आदि।

    आत्म कथाएं

    बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक, क्या भूलूं क्या याद करूंं, नीड़ का निर्माण फिर।

    प्रयागराज में कायस्‍थ परिवार में हुआ था जन्‍म : कायस्थ परिवार में 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मे हरिवंश राय बच्चन के जीवन के अधिकांश हिस्सा यहीं गुजरा। उनका निधन 18 जनवरी 2003 को 95 वर्ष की आयु में मुंबई में हुआ था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षक रहते हुए साहित्य जगत में पहचान बनाई थी। साहित्यकार कहते हैं कि पं. जवाहर लाल नेहरू उन्हें विदेश मंत्रालय के भाषा विभाग में ले गए, परंतु इस शहर से उनका जुड़ाव बना रहा। जब हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ उनके बेटे अभिनेता अमिताभ बच्चन ने चुनाव लड़ा तो हरिवंश राय ने प्रचार की कमान संभाली थी।

    लेखक प्रो. राजेंद्र प्रसाद के हरिवंशराय बच्‍चन से जुड़े संस्‍मरण : कवि और चिंतनपरक लेखक प्रो. राजेंद्र कुमार कहते हैं कि बच्चनजी से कई बार उनकी मुलाकात कानपुर में कविताओं के मंच पर हुई। तब काव्य पाठ और कवि सम्मेलनों का सुनहरा दौर था। बच्चनजी की पहचान मंच पर अलग थी क्योंकि वे अपनी लिखी कविताओं को गाकर और उसमें पूरी तरह से मगन होकर सुनाते थे। इसी अंदाज में उन्होंने लोकप्रियता पाई।