पत्नी से क्रूरता का मामला: समझौते के आधार पर बर्बर अपराध रद्द नहीं हो सकते, इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बर्बरतापूर्ण और क्रूरतम तरीके के समाज को प्रभावित करने वाले अपराधों को पारिवारिक समझौते के आधार पर अदालत रद्द्द नहीं कर सक ...और पढ़ें

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बर्बरतापूर्ण और क्रूरतम तरीके के समाज को प्रभावित करने वाले अपराधों को पारिवारिक समझौते के आधार पर अदालत रद्द्द नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा, पक्षों के बीच हुए समझौते पर केस रद्द्द करने की मांग पर अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते समय अपराध की प्रकृति व तथ्यों को देखते हुए किया जाएगा। बर्बर अपराध को समझौते के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता।
अनैतिक अपराध को रद्द्द नहीं किया जा सकता
अनैतिक और समाज विरोधी अपराध को रद्द्द नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने पति और पत्नी व परिवार के बीच सुलह होकर साथ जीवन यापन करने के आधार पर आपराधिक केस रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है और दखल देने से इन्कार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने परशुराम व पांच अन्य ससुरालियों की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद 50,000 रुपये नकद, कार आदि की मांग पूरी न करने पर पति ने परिवार के साथ मिलकर पीड़िता को पकड़ लिया और मारा पीटा।
मामले में कोर्ट ने आरोप तय किए
पति ने चाकू या ब्लेड से दोनों स्तन को जख्मी कर दिया। सब्बल गुप्तांग में डाला। रात भर खून बहा। क्रूरता और वहशीपन की सारी हदें पार कर दीं। दर्द से चिल्लाने पर मुंह बंद कर दिया। महोबा की चरखारी पुलिस ने चार्जशीट दायर की। कोर्ट ने आरोप तय किए। ट्रायल आखिरी चरण में है। पीड़िता के कोर्ट में दिए बयान ने अभियोजन पक्ष का समर्थन किया। कोर्ट ने इसे क्रूरता व बर्बरतापूर्ण अनैतिक कृत्य माना। कहा कि यह घटना कल्पनातीत है, कोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल न्याय की रक्षा में व न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने के लिए करती है।

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