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    मादा लंगूर के गम में खूंखार हो गया बुद्धू, वन विभाग ने किया कैद तो घबराए बंदरों ने बदला रास्ता

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Sat, 06 Aug 2022 07:39 PM (IST)

    इस लंगूर की मादा दोस्त की ट्रैक्टर की टक्कर से मौत हो गई थी तभी से वह खूंखार हो गया था। उसे ट्रैक्टर से इसी वजह से ज्यादा चिढ़ है क्योंकि उसकी साथी की मौत के लिए एक ट्रैक्टर जिम्मेदार है। वह ट्रैक्टर देख बौखला जाता है।

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    प्रतापगढ़ में आतंक का पर्याय बने लंगूर को वन विभाग ने किया कैद

    प्रयागराज, जेएनएन। पिजड़े में कैद है बुद्धू तब भी उसे देखकर जंगल के बंदर खौफ खा रहे हैं। वन विभाग के पिंजड़े में कैद लंगूर की वजह से चंद्रिकन जंगल में घूमने वाले बंदरों ने उधर से आना-जाना बंद कर दिया है। गौराडाड़ सहित आधा दर्जन गांव में पिछले छह महीने से आतंक का पर्याय बने लंगूर से ग्रामीण त्रस्त हो गए थे। वह सैकड़ों लोगों पर हमला कर चुका है। सबसे अधिक चिढ़ उसकी ट्रैक्टर को लेकर थी।

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    ट्रैक्टर देख एकदम से हो जाता है उग्र

    जब भी कोई ट्रैक्टर गांव के रास्ते से गुजरता था, वह चालक व मजदूरों पर हमलावर हो जाता था। तीन दिन पहले वह वन विभाग द्वारा तैयार की गई योजना में लंगूर बुद्धू गच्चा खा गया। उसे वन विभाग पिजड़े में कैद करके चंद्रिकन जंगल में वन क्षेत्राधिकारी के कार्यालय पर रखा गया है। पिजड़े में कैद लंगूर के खौफ से बंदरों के झुंड ने वन क्षेत्राधिकारी कार्यालय की ओर आना बंद कर दिया है।

    जानिए क्यों हुआ खूंखार, क्यों ट्रैक्टर से उसे है चिढ़

    वन विभाग ने पिजड़े में कैद लंगूर का नाम बुद्धू रखा है और उसके खाने पीने की व्यवस्था कर रहे हैं। सुबह नाश्ते में चना, लड्डू व केला परोसने के बाद दोपहर को रोटी चावल व दाल खिलाया जाता है। शाम को गुड़ की बनी गुल्लैया व रात को पूड़ी का भी प्रबंध किया जाता है। वन कर्मी उसके गुस्से भरे दिमाग में प्रेम व मोहब्बत भर रहे हैं। इसीलिए उसे बुद्धू नाम से बुलाते है। वन क्षेत्राधिकारी अशोक कुमार यादव ने बताया कि इस लंगूर की मादा दोस्त की ट्रैक्टर की टक्कर से मौत हो गई थी, तभी से वह खूंखार हो गया था। उसे ट्रैक्टर से इसी वजह से ज्यादा चिढ़ है क्योंकि उसकी साथी की मौत के लिए एक ट्रैक्टर जिम्मेदार है। वह ट्रैक्टर देख बौखला जाता है।