आयुर्वेद में छिपा है सेहत का खजाना और इसे आसान है आजमाना Prayagraj News
असाध्य रोगों का आसानी से इलाज हो जाता है। सफेद दाग त्वचा रोग बवासीर पेट संबंधी कोई भी रोगी हो जिसका इलाज व निदान गारंटी के साथ किया जाता है। कोई भी दवा देने से पहले शोध करके ही दवा देते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। देश में 28 अक्टूबर का दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाता है। बुधवार को लेकर आयुर्वेद चिकित्सा पर तमाम कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैैं। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। आयुर्वेद का अर्थ है, जीवन से संबंधित ज्ञान। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।
साइड इफेक्ट का जोखिम नहीं
आयुर्वेद पद्धति से इलाज का कोई तोड़ नहीं है। इससे साइड इफेक्ट का खतरा नहीं रहता है। सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद द्वारा इलाज आज भी दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। खासतौर पर कोरोना काल में औषधियों का उपयोग बढ़ा है। करछना के बरदहा गांव निवासी आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रेमनाथ कुशवाहा का कहना है कि उनके पास दूर-दराज के इलाकों सहित शहर तक से इलाज कराने वाले आते हैं। असाध्य रोगों का आसानी से इलाज हो जाता है। सफेद दाग, त्वचा रोग, बवासीर, पेट संबंधी कोई भी रोगी हो, जिसका इलाज व निदान गारंटी के साथ किया जाता है। कोई भी दवा देने से पहले शोध करके ही दवा देते हैं। आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा लोग लंबा जीवन जी सकते हैं।
आयुर्वेद करता है पूरी तरह निरोग
जल्द ठीक होने के चक्कर में लोगों का रुझान दूसरी चिकित्सा पद्धति की ओर बढ़ा है, जबकि इलाज कराने पर निदान तो मिलता है, लेकिन रोग की जड़ तक न पहुंचने से बीमारी वैसे ही बनी रहती है। करछना गांव निवासी अनिल कुमार सिंह का कहना है कि तमाम सावधानी बरत कर बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। कोरोना से बचाव के लिए बताते हैं कि चिरायता, गिलोय, दालचीनी, काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से कोरोना जैसी बीमारियों में रामबाण औषधि का काम करता है। जब से कोरोना बीमारी फैली है वे लगातार इसका सेवन कर रहे हैं। साथ ही अपने परिचितों को भी इसका इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में भी मरीजों की तादाद बढ़ रही
आंवला, हर्रय, बहेर्रा, मेथी, सौंफ, मुलेठी, नींबू जैसे घरेलू नुस्खे अपनाकर गंभीर बीमारी से बचाव किया जा सकता है। खास बात यह कि इसमें कम खर्च में सही इलाज हो जाता है। इसीलिए अब राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में भी मरीजों की तादाद बढऩे लगी है। कई अस्पतालों में रोगियों की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ गई है। कोरोना काल में इन अस्पतालों की ओपीडी न बंद होने से यहां मरीज ज्यादा पहुंच रहे हैैं।
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