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    Atiq Ahmed: जहां कभी बरसते थे फूल, वहीं बरसी अतीक पर गालियां, संगम नगरी से बेआबरू होकर साबरमती लौटा माफिया

    By Jagran NewsEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Wed, 29 Mar 2023 11:48 PM (IST)

    आतंक का पर्याय बने अतीक के लिए कभी वर्तमान राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने कसीदे गढ़े थे। हजारों की भीड़ में कहा था कि यह एक शायर का काबा है कभी रद ...और पढ़ें

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    माफिया टूट गया। फूट फूट कर रोया।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता: आतंक का पर्याय बने अतीक के लिए कभी वर्तमान राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने कसीदे गढ़े थे। हजारों की भीड़ में कहा था कि 'यह एक शायर का काबा है, कभी रद नहीं होगा। तेरे बराबर किसी का कद नहीं होगा। कई सदियों तक दूजा अतीक नहीं होगा।' एक सौ एक मुकदमों के बाद भी बेखौफ रहने वाले अतीक के हालात मंगलवार को बदले थे। 

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    उसी माफिया अतीक को उसी के शहर प्रयागराज में अधिवक्ताओं और लोगों की भीड़ ने भद्दी-भद्दी गालियां दी। मुर्दाबाद और फांसी दो के नारे लगे। जूतों की माला पहनाने की कोशिश हुई। इससे साबरमती जेल से आए रौबदार अतीक के होश फाख्ता हो गए। वह फूट-फूट कर रोया भी। बेआबरू होकर अतीक यहां से साबरमती लौटा तो उसके साथ इस बार ऐसा सदमा था, जिससे शायद ही वह कभी उबर सके। 

    काफिले के सामने आने वाले में दहशत

    अतीक अहमद की इस शहर में कभी तूती बोलती थी। उसके मोहल्ले चकिया में लोग जल्दी सामने नहीं आते थे। दर्जनों लग्जरी वाहनों का उसका काफिला जब निकलता था तो लोग अपने वाहन साइड में कर लेते थे। सिविल लाइन में अतीक जब कभी बैठकी करता था तो उसके 50 से ज्यादा बंदूकधारी पूरे इलाके को इस तरह घेरे रहते थे कि आने-जाने वाले लोग भी दहशत में हो जाते थे। 

    टूट गया माफिया

    इतना सब कुछ होते हुए अतीक को मंगलवार को उसके ही शहर में उसे सरेआम-सरेराह जलालत झेलनी पड़ी। इस माहौल से वह चिंता में डूब गया। यही वजह है कि लोगों की हत्या करने और कराने वाला माफिया टूट गया। फूट-फूट कर रोया।

    इससे भी ज्यादा उसको झटका उस सेंट्रल जेल नैनी में लगा, जहां उसे कैदी वाहन में साढ़े चार घंटे रोके रखा गया, वहां कभी वह ठाठ से रहता था। नैनी जेल में उसके लिए न सिर्फ टेलीविजन, फ्रिज और कूलर की व्यवस्था होती थी बल्कि उसके लिए शहर के नामचीन रेस्तरां से दिन और रात का खाना पहुंचता था। चार घंटे चालीस मिनट बाद नैनी जेल के गेट से पुलिसवाले रवाना हुए तब बताया गया कि वह अब साबरमती जेल जाएगा। 

    चित्रकूट, बांदा, झासी और मध्य प्रदेश के शिवपुरी, राजस्थान के चित्तौढ़गढ़ समेत कई जिलों से होते हुए बुधवार रात वह साबरमती जेल पहुंच गया। थके-हारे अतीक के माथे पर सिर्फ और सिर्फ पछतावे की लकीरें थीं।

    विधायक फीडर और विधायक गली

    अतीक जब पहली बार विधायक बना था तो विद्युत विभाग ने उसके चकिया स्थित मोहल्ले की बस्ती में नया फीडर चालू किया। तब उस फीडर का नाम विधायक फीडर रखा गया। बाकायदा लिखा पढ़ी में कई वर्षों तक विधायक फीडर चलता रहा। इसी तरह उसकी गली को विधायक की गली कहा जाता था।