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    Atiq Ahmed: माफिया अतीक के लिए गले की फांस बन गया था राजू पाल हत्याकांड, 19 साल में बिखर गया पूरा साम्राज्य

    अतीक अहमद के लिए राजू पाल हत्याकांड काल बन गया था। 2005 में विधायक राजू पाल की हत्या के बाद माफिया को जेल जाना पड़ा था। इसके बाद से ही उसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। बसपा सरकार में ही उसके खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला शुरू हुआ था।

    By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sun, 16 Apr 2023 01:23 PM (IST)
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    उमेश पाल पर हमले के बाद एसआरएन अस्पताल में बदहवास लोग व माफिया की फाइल फोटो। -जागरण आर्काइव

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। न अतीक रहा, न उसका भाई अशरफ। माफिया अतीक की मौत के साथ उसके आतंक का अंत हो गया। माफिया के लिए बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कराना भारी पड़ गया। यहीं से उसके आतंक का अंत होने लगा। बसपा सरकार में माफिया के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई। उसे जेल भेजने के साथ आर्थिक चोट पहुंचाई गई। इधर, राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या होने के बाद माफिया का अंत हो गया। परिवार में जो लोग बचे हैं वो जेल में हैं अथवा फरार हैं। वहीं, दो बेटे बाल संरक्षण गृह में रखे गए हैं। 25 जनवरी साल 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई थी। ये ऐसी घटना थी, जो न सिर्फ इतिहास बन गई, बल्कि उसने अतीक और उसके परिवार के सियासी करियर को तबाह कर दिया। घटना के बाद अतीक ने लोकसभा और विधानसभा के कई चुनाव लड़े, लेकिन हरेक चुनाव में नाकामी ही उसके हिस्से आई।

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    राजू पाल हत्याकांड के बाद माफिया को जेल जाना पड़ा था

    दरअसल सांसद बनने के बाद अतीक को विधानसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी। अतीक ने अपने इस्तीफे से खाली हुई सीट पर अपने छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को सपा का टिकट दिलवा दिया। शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में हुए चुनाव में अशरफ के मुकाबले बसपा ने राजू पाल को टिकट दिया। अशरफ चुनाव हार गया। विधायक बनते ही राजू पाल पर कई बार जानलेवा हमले हुए। 25 जनवरी 2005 को शहर के धूमनगंज इलाके में विधायक राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई। विधायक की हत्या का आरोप अतीक और अशरफ पर लगा। इस मामले में दोनों भाइयों को जेल भी जाना पड़ा।

    बसपा सरकार में माफिया के खिलाफ शुरू हुई थी कार्रवाई

    राजू पाल की हत्या के बाद दूसरा उपचुनाव हुआ। इसमें सपा ने दोबारा अशरफ को टिकट दिया और वो विधायक चुन लिया गया। इसी सीट से वर्ष 2007 के चुनाव में अशरफ और 2012 में अतीक को हार का सामना करना पड़ा। राजू पाल की हत्या का आरोप अतीक के गले की ऐसी फांस बनी, जिससे वह अब तक नहीं उबर सका था। वर्ष 2007 में प्रदेश की सत्ता पर बसपा मुखिया मायावती काबिज हुईं तो उन्होंने अतीक के खिलाफ कार्रवाई शुरू करवाई। अतीक द्वारा कब्जा की गई जमीनों को मुक्त करवाने के साथ उसे जेल भेजा गया।

    सपा की सरकार में सुस्त पड़ गई थी कार्रवाई

    वर्ष 2012 में सपा की सरकार आने के बाद अतीक के खिलाफ कार्रवाई सुस्त पड़ गई, लेकिन वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने प्रदेशभर में माफियाओं की कमर तोड़ना शुरू कर दिया। हर जिले में माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई। इसकी जद में अतीक भी आया। अतीक के पुराने मुकदमों को खुलवाकर उसका चकिया स्थित घर गिरवाने के साथ सैकड़ों करोड़ की कब्जा की गई जमीन मुक्त कराई गई। इधर, बीते 24 फरवरी को अतीक के बेटे असद ने राजू पाल हत्याकांड के गवाह रहे उमेश पाल की हत्या कर दी। हत्याकांड के 47वें दिन गुरुवार को यूपी एसटीएफ ने माफिया अतीक के बेटे पांच लाख के इनामी असद व शूटर गुलाम का झांसी में एनकांउटर कर दिया। शनिवार को दोनों को प्रयागराज में सुपुर्द- ए- खाक किया गया। माफिया बेटे के जनाजे में शामिल होना चाहता था, लेकिन उसे अनुमति नहीं मिली।

    बिखर गया अतीक का पूरा परिवार

    इधर, शनिवार की रात मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के सामने माफिया अतीक व उसके भाई की गोली मारकर हत्या कर कर दी गई। इसके साथ पूरा परिवार बिखर गया। अतीक का बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में बंद है। दूसरा बेटा अली नैनी सेंट्रल जेल में बंद है। वहीं, तीसरे नंबर के असद का एनकाउंटर हो गया, जबकि दो नाबालिक बेटे आबान और ऐजम बालगृह में रखे गए हैं।