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    Atiq ahmed Empire: अकूत दौलत बनाकर सड़क पर मारा गया अतीक, एक्शन के बावजूद साम्राज्य को नहीं पहुंची ज्यादा चोट

    By ankur tripathiEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Mon, 17 Apr 2023 03:16 AM (IST)

    पूर्वांचल में अतीक को मुख्तार गैंग से मदद मिलती रही तो प्रयागराज और आसपास के जनपदों में अतीक हमेशा से मुख्तार के लिए सहायक रहा है। दोनों गिरोह एक-दूसर ...और पढ़ें

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    अतीक अहमद ने 1970 के दशक में नाबालिग रहते कमाई के लिए गुंडागर्दी शुरू की थी।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता: रंगदारी उगाहने के बाद जमीन पर जबरन कब्जे और रेलवे स्क्रैप और ठेकों से अतीक अहमद ने अकूत दौलत कमाई और बेनामी संपत्तियां बनाई। तमाम होटल और इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ ही ग्रुप हाउसिंग में भी अतीक का पैसा लगे होने की बात ईडी को पता चली है। यूपी के अलग-अलग माफिया के साथ मिलकर वह हर तरह के काले कारोबार करता रहा। मुख्तार और अतीक अहमद गिरोह के बीच भी तगड़ा कनेक्शन रहा है। 

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    पूर्वांचल में अतीक को मुख्तार गैंग से मदद मिलती रही तो प्रयागराज और आसपास के जनपदों में अतीक हमेशा से मुख्तार के लिए सहायक रहा है। दोनों गिरोह एक-दूसरे के गुर्गों को हर तरह से मदद करते रहे हैं। 

    पिछले तीन वर्षों से जारी माफिया विरोधी अभियान के दौरान शासन-प्रशासन ने अतीक को एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की आर्थिक चोट पहुंचाने का दावा किया है लेकिन बताया जाता है कि अतीक की बेनामी संपत्तियां पांच हजार करोड़ से ज्यादा है।

    नाबालिग रहते कमाई के लिए शुरू की गुंडागर्दी

    अतीक अहमद ने 1970 के दशक में नाबालिग रहते कमाई के लिए गुंडागर्दी शुरू की थी। वह पहले कुछ वर्षों तक अपने साथियों के साथ दुकानों में जाकर मारपीट कर रंगदारी उगाही करता था। गिरोह बनाकर वह कारोबारियों को धमकाता और बदले में मोटी रकम लेता। इस तरह से उसकी संपति बढ़ती गई और साथ ही अतीक अहमद गिरोह की हनक भी। उसके गिरोह में गुंडे शामिल होते गए। 

    अतीक का प्रभाव धीरे-धीरे फैलते हुए शहर पश्चिमी से लेकर आसपास के जिलों तक हो गया था। जब गुंडई चल गई तो वह किसानों और काश्तकारों की जमीन हड़पने लगा। काश्तकारों को धमकी देकर उनकी जमीन का कम दाम पर सौदा करता और ऊंची कीमत पर बेचता। 

    इस तरह से वह जमीन के धंधे से करोड़ों रुपये मुनाफा कमाने लगा। फिर वह पूरे शहर में लोगों की कीमती जमीन कम कीमत पर लेकर कई गुना ज्यादा दाम पर बिल्डरों को बेचता। ऐसे उसकी दौलत बढ़ती गई। फिर वह सरकारी ठेके कब्जाने लगा। 

    सरकारी ठेके हों या रियल एस्टेट का कारोबार। तूती तो अतीक गैंग की बोलती रही। बिना उसकी अनुमति के ठेके नहीं उठते। किसी ने मनमानी करनी चाही तो ठेका मिलना दूर की बात, उसका जीना मुश्किल हो जाता। 

    पांच हजार करोड़ का माफिया

    यूं मौजूदा वक्त में अतीक अहमद को पांच हजार करोड़ का माफिया बताया जा रहा है। पुलिस-प्रशासन ने प्रयागराज में धूमनगंज, पूरामुफ्ती, पिपरी, खुल्दाबाद और लखनऊ में अतीक की एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की जमीन-जायदाद कुर्क करने का दावा किया है। 

    हालांकि, अतीक के करीबी कहते हैं कि यह तो माफिया की कुल दौलत का पांचवां हिस्सा ही है। अतीक अहमद ने रेलवे के ठेकों और जमीन के कारोबार से अरबों रुपये कमाकर देश भर में बड़े बिल्डर के साथ रियल एस्टेट में पैसा लगा रखा है। 

    अहमदाबाद, जयपुर, मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे कई शहरों में उसने होटलों में भी साझेदारी कर रखी है। इंदौर से लेकर नोएडा तक कई डिग्री कालेज और इंजीनियरिंग संस्थान में भी उसकी पार्टनरशिप है। इन सबमें अतीक ने कई हजार करोड़ रुपये निवेश कर रखे हैं। सारी रकम नकद दी गई जिसका कोई लिखित हिसाब नहीं है। होटल और कॉलेज भी दूसरों के नाम पर हैं इसलिए इन पर एक्शन लेना भी सरकारी एजेंसियों के लिए आसान नहीं है।

    जिन्हें बांटता था पैसे उन्हीं के हाथों हुआ पोस्टमार्टम

    अतीक अहमद और अशरफ के पोस्टमार्टम में एक संयोग भी हुआ। इन दोनों का पोस्टमार्टम उनके ही हाथों से हुआ जिन्हें दो दशक पहले अतीक अपने हाथ से पैसे बांटता था। यह पैसे अतीक उन्हें तब देता था जब उसका किसी अन्य के पोस्टमार्टम के सिलसिले में पहुंचना होता था। रविवार को पोस्टमार्टम करने वालों की टीम में ऐसे दो कर्मचारी शामिल थे। हालांकि, दैनिक कार्य के चलते दोनों कर्मचारियों को यह संयोग ध्यान भी नहीं रहा। रविवार को पोस्टमार्टम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि ऐसा सोचा नहीं था कि अतीक का पोस्टमार्टम उसके ही हाथों होगा।