Atiq Ahmed: केवल 60 लोगों ने दी अतीक को मिट्टी, 1.5 घंटे में किया सिपुर्द-ए-खाक
Atiq Ahmed News शाम छह बजे के करीब अतीक व अशरफ की डेडबाडी अलग-अलग शव वाहनों से एसआरएन अस्पताल से कब्रिस्तान भिजवाए गए। सबसे पहले अतीक का शव लेकर वाहन निकला। इसके बाद अशरफ की डेडबाडी लेकर वाहन चला।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को रविवार रात संगीनों के साए में कसारी मसारी स्थित कब्रिस्तान में सिपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। इससे पहले दोनों का पोस्टमार्टम स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (एसआरएन) की मोर्च्युरी में हुआ। इसके लिए पांच डाक्टरों का पैनल बना था। कब्रिस्तान में कड़ी सुरक्षा थी। आरएएफ वाले भी तैनात किए गए थे। मीडिया का जमावड़ा था। गिने चुने लोगों को ही दफनाए जाने की रस्म में शामिल होने का मौका मिला। शाम सात बजे से थोड़ा पहले माफिया अतीक अहमद का शव सबसे पहले वाहन से कब्रिस्तान लाया गया। इसके लगभग 20 मिनट बाद अशरफ का शव लाया गया।
पौने सात बजे दोनों के शव कब्रिस्तान पहुंचा दिए गए
शाम छह बजे के करीब अतीक व अशरफ की डेडबाडी अलग-अलग शव वाहनों से एसआरएन अस्पताल से कब्रिस्तान भिजवाए गए। सबसे पहले अतीक का शव लेकर वाहन निकला। इसके बाद अशरफ की डेडबाडी लेकर वाहन चला। लगभग पौने सात बजे दोनों के शव कब्रिस्तान पहुंचा दिए गए। इतना सब होने तक कर्बला पुलिस चौकी से लेकर कसारी-मसारी का क्षेत्र छावनी में तब्दील हो था। सूरज ढलने के बाद से ही इस क्षेत्र में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस, आरएएफ, पीएसी जवान रूट मार्च करने लगे थे। चकिया से कब्रिस्तान जाने वाले रास्ते पर पांच स्थान पर बैरिकेडिंग थी। आधार कार्ड या फिर फोटो आइडी जिसके पास थी, उसको ही कब्रिस्तान की ओर जाने की अनुमति दी जा रही थी।
पुलिस वालों से लोगों की नोकझोंक भी हुई
सड़कों के किनारे जितने भी मकान थे, उनकी छत के ऊपर भी पुलिस, आरएएफ के जवान आने-जाने वालों पर पैनी नजर रखे थे। कड़ी सुरक्षा के कारण चंद लोग ही माफिया और उसके भाई के जनाजे में शामिल हो सके। पाबंदी लगाए जाने से पुलिस वालों से लोगों की नोकझोंक भी हुई। माफिया के जनाजे में चंद रिश्तेदारों के अलावा अतीक और अशरफ के बच्चे शामिल हुए। दिवंगत विधायक राजूपाल हत्याकांड के चश्मदीद व अधिवक्ता उमेश पाल शूटआउट के बाद दो मार्च से बाल गृह राजरूपपुर में संरक्षित रखे गए अतीक के दोनों नाबालिग बेटे भी अपने वालिद और चाचा को कंधा देने के लिए कड़ी सुरक्षा में लाए गए थे।
शाइस्ता परवीन के आने की उड़ी अफवाह
सिपुर्द-ए-खाक से चंद मिनट पहले छह महिलाएं एक साथ कब्रिस्तान की ओर जाने लगीं। ये बुर्कानशीं महिलाएं कार से कब्रिस्तान के गेट नंबर एक के पास पहुंचीं थीं। इन महिलाओं को आते देख पुलिस भी सक्रिय हो गई। मीडिया कर्मियों की भीड़ से आवाज उठने लगीं शौहर के जनाजे में शामिल होने के लिए शाइस्ता आ गई है। यह सुन पुलिस भी मुस्तैद हो गई। उन महिलाओं का आधार चेक किया गया तो यह अफवाह निकली। शाइस्ता नहीं थी। महिलाओं के नाम-पते की जांच के बाद उनकी फोटो खींचकर उन्हें अंदर जाने दिया गया।
ठीक 46 दिन बाद बाल गृह से अब्बू के जनाजे में पहुंचे
उमेश पाल हत्याकांड के बाद माफिया अतीक अहमद के दोनों नाबालिग बेटे अबान और ऐजम जनाजे में शामिल होने पहुंचे थे। दोनों दो मार्च से बाल गृह में रखे गए थे। सुरक्षा और कागजी दस्तावेज पूरा न होने के कारण यह दोनों भाई असद के जनाजे में नहीं शामिल हो पाए थे लेकिन रविवार को 46 दिन बाद जब बाल गृह से आए तो वह अपने अब्बू और चाचा के जनाजे में शामिल होने के लिए बाहर लाए गए।
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