Atiq Ahmed Biography (अतीक अहमद)
Gangster and Politician Atiq Ahmed अतीक अहमद का नाम उत्तर प्रदेश में जरायम की दुनिया में सबसे ऊपर लिया जाता है। अतीक की जितनी उम्र नहीं थी उससे कहीं ज्यादा उस पर मुकदमे दर्ज थे। महज 17 साल की उम्र में अतीक पर पहली बार हत्या का आरोप लगा था। इसके बाद अतीक अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया।

जागरण ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली: (Atiq Ahmed Biography) उत्तर प्रदेश में अपराध की दुनिया के बारे में जब भी बात होती है तो माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) का नाम उसमें जरूर शामिल रहता है। दशकों तक इस माफिया की पूरे प्रदेश में तूंती बोलती रही।
कौन था अतीक अहमद
अतीक अहमद का जन्म इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में 1962 में हुआ था। उसका बचपन गरीबी में व्यतीत हुआ लेकिन अतीक शुरूआत से ही महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। अतीक के पिता हाजी फिरोज तांगा चलाते थे। लेकिन वह अपराधी प्रवृत्ति के थे। अति महत्वाकांक्षी होने की वजह से अतीक ने पिता की तरह ही जुर्म की दुनिया में अपनी दस्तक दी। कुछ ही समय में वह क्राइम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया।
अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह
मात्र 17 साल की उम्र में अतीक पर हत्या का आरोप लगा था, उम्र बढ़ने के साथ-साथ जरायम की दुनिया में अतीक का नाम भी बढ़ने लगा। रंगदारी, जमीन पर कब्जा, हत्या समेत कई मामलों में उसका नाम सामने आया लेकिन हर बार वह कानूनी दांवपेंच में बच निकलता था।
चांद बाबा के गिरोह पर पड़ा भारी
जरायम की दुनिया में दस्तक देने के बाद अतीक कुछ ही सालों में जरायम की दुनिया में गिरोहवाला अपराधी बन चुका था और इलाहाबाद में चांद बाबा (Chand Baba) के गिरोह पर भारी पड़ने लगा और कुछ ही समय में चांद बाबा की हत्या हो गई, जिसमें अतीक का नाम काफी सुर्खियों में आया। अब अतीक यूपी में जरायम की दुनिया का सबसे बड़ा बादशाह बन चुका था।
अतीक का माफिया से राजनेता बनने का सफर
अपराध की दुनिया में ताकत और दौलत कमाने के बाद अतीक अहमद ने खादी पहन ली। राजनीति को अतीक ने अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए कवच के रूप में इस्तेमाल किया। अपराध और राजनीति की जुगलबंदी से इस माफिया ने अरबों का काला साम्राज्य खड़ा किया।
जब पहली बार लड़ा चुनाव
बात 1989 की है। एक साल जेल में रहने के बाद बाहर आए अतीक ने इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से निर्दलीय पर्चा भरा। सामने कुख्यात चांद बाबा था, लेकिन धनबल बाहुबल से जीत अतीक की ही हुई। अतीक के विधायक बनने के कुछ माह बाद चांद बाबा की हत्या हो गई। हालात यह हो गए कि कोई अतीक के सामने चुनाव में खड़ा होने की हिम्मत नहीं करता था।
लगातार बनता रहा विधायक
अतीक ने आगे 1991 और 1993 में निर्दलीय विधायकी का चुनाव जीता। वर्ष 1996 में सपा के टिकट पर लगातार चौथी बार विधायक बन गया। इसके अगले ही चुनाव में माफिया ने पार्टी और सीट दोनों बदल ली। इस बार अतीक ने प्रतापगढ़ से अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन वह जीत नहीं दर्ज कर सका।
2002 में पांचवी बार लड़ा चुनाव
अतीक अहमद वर्ष 2002 में पुरानी सीट पर लौटा और अपना दल के टिकट पर पांचवीं बार उप्र विधानसभा पहुंचा। साल 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में अतीक अहमद समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
अतीक के शौक
अतीक का नया शौक हो चुका था, महंगी विदेशी गाड़ियां और हथियार। उसकी राह में मुश्किल पैदा करने वाले ठिकाने लगते रहे। यही गुरूर अंत तक ले गया।
अतीक के पतन की शुरूआत
25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद पश्चिम सीट से तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में माफिया अतीक अहमद और उसके अशरफ समेत कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था। दिनदहाड़े हुई इस घटना के बाद अतीक के पतन की शुरूआत हो गई थी।
राजू पाल की हत्या के 12 साल बाद जांच के आदेश
राजू पाल की हत्या (Raju Pal Murder Case) के 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए। सीबीआइ ने अतीक और अशरफ समेत 18 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। उमेश की मजबूत पैरवी पर हाई कोर्ट ने दो महीने में राजू पाल हत्याकांड का ट्रायल पूरा करने का आदेश पिछले दिनों दिया था।
राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या
ट्रायल शुरू होने से पहले ही 24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में दिनदहाड़े उमेश पाल और उसके दो सरकारी गनर की हत्या कर दी गई। जांच में अतीक के बेटे असद गोलियां बरसाते हुए नजर आया था। इस केस में माफिया अतीक के खास गुर्गे गुड्डू मुस्लिम समेत कई लोगों का नाम सामने आया था।
मिट्टी में मिला अतीक का साम्राज्य
उमेश पाल हत्याकांड के बाद माफिया के साम्राज्य के बिखरने की उलटी गिनतियां भी शुरू हो गई थी। अतीक के करीबियों पर प्रशासन का शिकंजा कसा गया, साथ ही अतीक के अवैध संपत्तियों पर भी सरकार की कार्रवाई हुई। माफिया के साम्राज्य को कुल 1100 करोड़ से अधिक की चोट पहुंचाई गई।
13 अप्रैल को STF ने असद को किया ढेर
28 मार्च को पहली बार 100 से अधिक मुकदमों के आरोपित अतीक को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। इसके बाद 11 अप्रैल को उसे फिर प्रयागराज लाया गया और इसी दौरान 13 अप्रैल को उसके बेटे असद का एनकाउंटर (Asad Encounter) हो गया। अतीक बेटे की मौत के बाद पूरी तरह टूट गया था। एक बेटे की मौत और पत्नी फरार चल रही थी, साथ ही उसे आजीवन कारावास की सजा।
अतीक की हत्या (Atiq Ahmed Murder)
प्रयागराज में 15 अप्रैल को काल्विन अस्पताल के बाहर तीन युवकों ने मीडिया पर पुलिस के सामने अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के आरोप से शुरू जरायम का सफर अतीक की हत्या पर खत्म हो गया।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अतीक अहमद का जन्म इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में 1962 में हुआ था। उस पर हत्या, फिरौती, अवैध जमीन पर कब्जा समेत 100 से अधिक केस दर्ज थे। वह 5 बार का विधायक और एक बार सांसद भी था।
अतीक अहमद की हत्या 15 अप्रैल को प्रयागराज के काल्विन अस्पताल के सामने हुई थी।
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