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    Athletic Talents: प्रयागराज के इस गुमनाम गांव को 5 खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 11 Oct 2021 03:46 PM (IST)

    Athletic Talents डेढ़ दशक पहले प्रयागराज में सोरांव के तिली का पूरा गांव में कुछ शौकिया पहलवान और खिलाड़ी होते थे। वहीं इंद्रजीत पटेल नाम के एक युवक की एथलीट बनने की धुन से इस पूरे गांव की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल दी।

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    प्रयागराज में सोरांव क्षेत्र के पांच अंतरराष्ट्रीय स्‍तर के एथलीटों ने एशिया की टाप रैंकिंग में जगह बनाई है।

    प्रयागराज, [अमरीश मनीष शुक्ल]। देश में खेल की जब भी बात होती है, हरियाणा का नाम सबसे पहले आता है। फिर चाहे वह राष्ट्रीय खेल हो या ओलंपिक, वहां के खिलाड़ियों की उपस्थित और धमक रहती है। ऐसी ही धमक प्रयागराज के एक छोटे गांव तिली का पूरा मेंं भी है। इसे प्रयागराज का हरियाणा नाम से भी जाना जाता है। लगभग 35 परिवार इस गांव में रहते हैं और हर घर से यहां युवा एथलेटिक में नेशनल खेल रहे हैं। पांच खिलाड़ी इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर स्तर पर अपनी चमक बिखेर कर एशिया व वर्ल्‍ड रैंकिंग में भी आ चुके हैं।

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    पूरी ग्राम सभा को मिलाकर एथलीटों की यह संख्या और भी बढ़ जाती है। हालांकि डेढ़ दशक अगर पीछे का समय देखें तो यहां कुछ शौकिया पहलवान और खिलाड़ी होते थे, लेकिन इंद्रजीत पटेल नाम के एक युवक की एथलीट बनने की धुन से इस पूरे गांव की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल दी।

    जानें, कैसे बदली गांव की तस्वीर

    2004 में इंद्रजीत पटेल नाम के एक 14 वर्षीय किशोर की गांव के ही कुछ युवकों से नोकझोक हो गई, युवकों के रूखे शब्द इंद्रजीत के दिल पर लगे तो उन्होंने एथलीट बन कर जवाब देने का संकल्प लिया। गांव से दूर शहर में मदन मोहनमालवीय स्टेडियम में उस समय एथलेटिक की प्रैक्टिस अच्छी होती थी। हालांकि इंद्रजीत के परिवार की आर्थिक हालत बेहद नाजुक थी और फीस भरने और आने जाने का किराया तक नहीं था। ऐसे में इंद्रजीत ने गांव में ही एक बाग में फावड़े से रनिंग ट्रैक बनाना शुरू किया। गांव के लोगों ने उपहास उड़ाया लेकिन, इंद्रजीत अपनी धुन पर टिका रहा और बाग में ही ट्रैक बनाकर अपने दौडने की क्षमता को आंकने और बढाने लगा। इंद्रजीत ने पहले स्कूल स्तरीय, फिर जिला और प्रदेश में मैराथन में हिस्सा लेना शुरू किया और तीन साल की कठिन अग्नि परीक्षा के बाद इंद्रजीत ने प्रदेश स्तरीय गोल्ड मेडल जीतकर अपनी उपस्थित दर्ज कराई।

    इंद्रनील ने लगा दी पदकों की झड़ी

    इंद्रजीत को इसके बाद लखनऊ स्पोर्टस कालेज में हास्टल मिल गया। प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिये पैसे नहीं होते तो बिना टिकट ही ट्रेन से सफर कर लेते, डाइट के लिए पैसे न तो होते तो कभी केला खाकर कभी बिस्किट से काम चला लेते। इंद्रजीत की किस्मत उनकी मेहनत को अजमा रही थी और आखिरकार वह दिन भी आया जब जूनियर एशियन चैंपियनशिप में इंद्रजीत पटेल ने गोल्ड मेडल जीता और गुमनामी के अंधेरे से लाइमलाइट में आ गए। इसके बाद इंद्रजीत ने रिकार्डों की ऐसी झडी लगाई कि मुंबाई हाफ मैराथन से लेकर दिल्ली तक अपने नाम का डंका बजाया। एशिया में नंबर वन रैकिंग होल्डर बनने के साथ एक दर्जन इंटरनेशनल पदक और आधा शतक से अधिक नेशनल पदकों ने इंद्रजीत की चमक एथलेटिक दुनिया में बिखेर दी। इंद्रजीत के पदकों का असर गांव में होने लगा और खेल को लेकर ग्रामीणों की सोच भी बदलने लगी।

    एथलेटिक प्रदर्शन से मिली नौकरी

    इंद्रजीत के नाम का डंका बजा तो उन्हें ओएनजीसी ने क्लास वन आफिसर की नौकरी दी। मौजूदा समय में इंद्रजीत देहरादून में पोस्टेड हैं। अब वह अपनी दो बहन रोज रेशमा समेत गांव के युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने के लिए तैयार कर रहे हैं। पहले ढेरो सोहरत मिली, फिर पैसा और नौकरी मिलने के बाद उनके गांव तिली का पूरा की भी तस्वीर बदलने लगी। मां-बाप ने बच्चों को खेलने की छूट दे दी और दर्जनों युवा खेल मैदान पर पसीना बहाने लगे।

    गांव में चली एथलेटिक की हवा

    इंद्रजीत की सफलता ने गांव के माहौल को ही बदल कर रख दिया। गांव में हर युवा अब इंद्रजीत बनना चाह रहा था। जिस बाग में कभी इंद्रजीत ने लोगों के उपहास झेलकर ट्रैक बनाया और दौड़ना शुरू किया, वह अब गांव के युवाओं का कर्म स्थल बन गया और देखते ही देखते तिली का पूरा गांव प्रयागराज का हरियाणा बन गया। जितने भी पदक अब प्रयागराज के एथलेटिक में आते हैं, उनमें बहुत बड़ा हिस्सा केवल इस गांव व इलाके का होता है। दरअसल यहां इंद्रजीत ने भी युवाओं को अपने स्तर पर हर मदद देनी शुरू की और देखते ही देखते यहां के हर घर से युवा एथलेटिक में पदक जीतने लगे और अब औसत गांव के हर घर से युवाओं ने नेशनल खेला हुआ है। गांव की वह कहावत की खेलोगे कूदोगे होगे खराब और पढोगो लिखोगे बनोगे नवाब का भी अस्तित्व इस गांव में आकर टूट गया है। अब तो मां बाप खुद ही बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

    एथलीटों से भरा है गांव

    डेढ़ दशक पहले जिस गांव में एक भी प्रोफेशनल एथलीट नहीं था, आज उस गांव में 40 से अधिक प्रोफेसनशल एथलीट मौजूद हैं। तिली का पूरा गांव में इस समय अंतरराष्ट्रीय प्लेयरों में इंद्रजीत पटेल, रोजी पटेल, रेशमा पटेल, बबित पटेल, अजीत यादव, परमेंद्र जैसे बड़े नाम शामिल है। जबकि नेशनल एथलीटों में दर्जनों को गिना जा सकता है। जिसमें राघव सरोज, मनीषा, देवदत्त, सुमित, ललिता, पूनम, अंकित, अनिकेत, अजय, रामबाबू पटेल, संजय, सुजीत, अखिलेश, अनिल जेसे प्लेयर शामिल है।