ज्योतिष बताता है जीवन में सफलता की स्थिति, जानिए क्या कहती हैं ज्योतिष विज्ञानी डा.गीता
डा. गीता त्रिपाठी ने ज्योतिष क्षेत्र पर विस्तार से जानकारी दी और इसकी जीवन में अहमियत पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि नये सेमेस्टर की कक्षाओं का शुभारंभ हुआ है। जिसमें ज्योतिष प्रवीण ज्योतिष विशारद एवं हस्तरेखा प्रवीण की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद द्वारा संचालित प्रयागराज चैप्टर के अध्ययन-केन्द्र पर डा. गीता त्रिपाठी ने समारोह में ज्योतिष की विशेषता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ज्योतिष एक तरह से विज्ञान है। जिसमें मानव जीवन पर ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव काे तर्कसंगत व गणितीय आधार पर अध्ययन किया जाता है। इन सभी आंकड़ों का बहुत सूक्ष्मता के साथ अध्ययन होता है। जिसके फलस्वरूप कुछ आंकड़े मिलते हैं, सूचनाएं मिलती हैं और उन्हीं आधार पर मानव विशेष के वर्तमान, भूत एवं भविष्य की जानकारी दी जाती है।
ज्योतिष प्रवीण एवं ज्योतिष विशारद की उपाधि का वितरण
भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद द्वारा संचालित प्रयागराज चैप्टर के अध्ययन-केन्द्र पर उपाधि वितरण समारोह का आयोजन हुआ। ज्योतिष प्रवीण एवं ज्योतिष विशारद की परीक्षाओं में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को प्रमाणपत्र वितरित किया गया। इसके अलावा डा. श्वेता सिंह व इं. प्रियंका सिंह आइईएस को उल्लेखनीय सफलता हेतु सम्मानित किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए चैप्टर चेयरपर्सन डा. गीता त्रिपाठी ने ज्योतिष क्षेत्र पर विस्तार से जानकारी दी और इसकी जीवन में अहमियत पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि नये सेमेस्टर की कक्षाओं का शुभारंभ हुआ है। जिसमें ज्योतिष प्रवीण, ज्योतिष विशारद एवं हस्तरेखा प्रवीण की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। कार्यक्रम के दौरान वाइस चेयरमैन डा पी के टंडन, सचिव पं. आरपी मिश्र, संयुक्त सचिव ओपी श्रीवास्तव तथा अन्य संकाय सदस्य व छात्र उपस्थित रहे।
गणनाओं के आधार पर तैयार होती है कुंडली
छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए डा. गीता त्रिपाठी ने बताया कि ज्योतिष को विद्या के तौर पर सीखने का क्रम सदियों से चल रहा है। ज्योतिष में गणनाओं के आधार पर ही कुंडली तैयार होती है। मनुष्य के बारे में, उसके जीवन में मिलने वाली सफलताओं आदि की स्थिति के बारे में गणना की जा सकती है और कैसी, कितनी सफलता मिलेगी यह भी जाना जा सकता है। प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्य खगोलीय पिंडो का अध्यन जब किया जाता था तो उसी विषय को ज्योतिष कहा गया। भारत में ज्योतिष विद्या का ज्ञान अत्यंत प्राचीन काल से है। प्राचीन काल में यज्ञ की तिथियां आदि ज्योतिष से ही तय होती थी। यह वेदों जितना प्राचीन है।
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