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    Swaraj Bhawan: स्वतंत्रता आंदोलन का साक्षी है स्‍वराज भवन, पंडित नेहरू के पिता मोतीलाल ने 20 हजार में खरीदी थी भूमि

    By Brijesh Kumar SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 27 Jan 2021 03:46 PM (IST)

    Anand Bhawan पंडित मोतीलाल नेहरू ने उक्त जमीन और बंगला वर्ष 1899 में 20 हजार रुपये में खरीदा और एक आलीशान बंगला बनवाया जिसका नाम स्वराज भवन रखा। स्वराज भवन में जाने से पहले नेहरू परिवार सिविल लाइंस में 9 एल्गिन रोड पर बने एक बंगले में रहता था

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    प्रयागराज में स्थित ऐतिहासिक स्‍वराज भवन से जुड़ी अनोखी दास्‍तान है।

    प्रयागराज, जेएनएन। देश की स्वतंत्रता आंदोलन के साक्षी रहे स्वराज भवन व आनंद भवन वर्तमान में जिस जमीन पर स्थापित हैं, उसे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के पिता और मशहूर वकील पंडित मोतीलाल नेहरू ने खरीदा था। उन्‍होंने आज से 122 वर्ष पहले महज 20 हजार रुपये में इस जमीन को खरीदा था।  उस पर स्वराज भवन व आनंद भवन बनवाया था, जो काफी लंबे समय तक देश की आजादी के लिए चलाए जा रहे तमाम गतिविधियों के केंद्र बिंदु था।

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    शेख फय्याज अली को अंग्रेजों से पुरस्कार में मिली थी जमीन

    तकरीबन 40 सालों तक आंनद भवन की देखरेख का जिम्मा संभालने वाले मुंशी कन्हैयालाल मिश्र के दामाद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्यामकृष्ण पांडेय बताते हैं कि 1857 में देश की आजादी की पहली लड़ाई में अपना साथ देने के लिए अंग्रेजों ने शेख फय्याज अली को पुरस्कार स्वरूप इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में 19 बीघा भूमि का पट्टा दिया था। जिस पर उन्होंने एक शानदार बंगला बनवाया था। 1888 में जमीन व बंगला दोनों को जस्टिस सैय्यद महमूद ने खरीद लिया था। फिर उन्होंने भी इस जमीन को 1894 में राजा किशनदास को बेंच दी।

    स्वराज भवन से पहले एल्गिन रोड पर रहता था नेहरू परिवार

    पंडित मोतीलाल नेहरू ने उक्त जमीन और बंगला वर्ष 1899 में 20 हजार रुपये में खरीदा और एक आलीशान बंगला बनवाया जिसका नाम स्वराज भवन रखा। स्वराज भवन में जाने से पहले नेहरू परिवार सिविल लाइंस में 9, एल्गिन रोड पर बने एक बंगले में रहता था, उसके पूर्व 77 मीरगंज उनका निवास हुआ करता था जहां पर पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था।

    स्वराज भवन को 1930 में कांग्रेस को कर दिया था समर्पित

    श्यामकृष्ण पांडेय बताते हैं कि पंडित मोतीलाल नेहरू ने स्वराज भवन को 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांगे्रस को सौंप दिया था, जहां से कांग्रेस पार्टी पूरे राष्ट्र में अपनी गतिविधियों का संचालन करती थी। आजादी के आंदोलन को लेकर तमाम अहम बैठकें स्वराज भवन में होती थीं और निर्णय लिए जाते थे। उसके पहले ही स्वराज भवन के बगल में ही अपने परिवार के रहने के लिए एक दूसरा बंगला बनवाया था जिसका नाम आनंद भवन रखा, हालांकि यह बंगला भी बाद में आजादी के राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र बन गया था।  

    स्वराज भवन में ही हुआ था इंदिरा गांधी का जन्म

    आयरन लेडी के नाम से मशहूर और देश की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी का जन्म स्वराज भवन में ही वर्ष 1917 में हुआ था और विवाह 26 मार्च 1942 को आनंद भवन में हुआ था। आनंद भवन काफी वक्त तक देश की आजादी के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का केंद्र रहा। इंदिरा गांधी ने 14 नवंबर वर्ष 1969 में आनंद भवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। वर्तमान में आनंद भवन एक घरेलू संग्रहालय है जिसमें नेहरू परिवार से जुड़ी वस्तुएं और आजादी के संघर्ष से जुड़ी कांग्रेस पार्टी की बैठकों और गतिविधियों की जानकारी संग्रहित हैं।  

    देश की आजादी आंदोलन का केंद्र रहा था आनंद भवन

    देश की आजादी के पूर्व आनंद भवन एक तरह से कांग्रेस का मुख्यालय था। देश की आजादी के आंदोलन की दशा और दिशा इसी भवन से तय होती थी। कई अहम बैठकें यहां पर हुईं जिसमें महात्मा गांधी ने भी शिरकत की थी। श्री पांडेय बताते हैं कि सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की रूपरेखा आनंद भवन से ही तय हुई थी।