प्रख्यात साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के पौत्र अमरेश त्रिपाठी का प्रयागराज में निधन
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के पौत्र डाक्टर अमरेश त्रिपाठी का प्रयागराज में निधन हो गया। निराला के प्रपौत्र विवेक निराला ने बताया कि वह वाराणसी के हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सेवानिवृत्त प्राध्यापक थे। वे पूर्व में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के सदस्य भी रह चुके थे।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रख्यात साहित्यकार महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के पौत्र डाक्टर अमरेश त्रिपाठी (65) का निधन हो गया है। हृदयाघात से उनका निधन हुआ है। प्रयागराज के दारागंज स्थित निवास पर उन्होंने अंतिम सांस लिया। अमरेश निराला के पुत्र रामकृष्ण त्रिपाठी के तीसरे नंबर के पुत्र थे। उनके निधन से प्रयागराज में शोक की लहर है।
उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के सदस्य रह चुके हैं डाक्टर अमरेश
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के प्रपौत्र विवेक निराला ने बताया कि डाक्टर अमरेश त्रिपाठी वाराणसी के हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सेवानिवृत्त प्राध्यापक थे। वे पूर्व में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के सदस्य भी रह चुके थे।
अमरेश की पत्नी का निधन कोरोना से हुआ था
नवंबर 2020 में डाक्टर अमरेश त्रिपाठी की पत्नी एवं एसएस खन्ना महाविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डाक्टर अर्चना त्रिपाठी का निधन कोरोना वायरस संक्रमण से हो गया था। उनका एक मात्र पुत्र चिंतन निराला कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी से ला में शोध कर रहे हैं। उनके आने के बाद ही अमरेश त्रिपाठी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पिछले दिनों वरिष्ठ कवि बुद्धिसेन शर्मा का हुआ था निधन
प्रयागराज में पिछले दिनों वरिष्ठ कवि बुद्धिसेन शर्मा का निधन हो गया था। 80 वर्षीय बुद्धिसेन शर्मा का साहित्य को ऊंचाई देने में अहम योगदान था। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से प्रयागराज के साहित्यकारों और कवियों में शोक की लहर दौड़ गई थी। बुद्धिसेन शर्मा का जन्म 26 दिसंबर 1941 को कानपुर में हुआ था। उनका आवास प्रयागराज के करैलाबाग कालोनी में है। यहीं वह रहते थे। काफी समय से बीमार होने के कारण वे अपने शिष्य इश्क सुल्तानपुरी के साथ गौरीगंज में रह रहे थे। वहीं उनका इलाज भी चल रहा था। बुद्धिसेन शर्मा ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद समाचार पत्र ‘दैनिक प्रताप’, ‘भारत’ और ‘मनोरमा’ पत्रिका में काम किया था।राष्ट्रपति ने उन्हें ‘साहित्य श्री’ की उपाधि से सम्मानित किया था।
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