सलोरी से बास्केटबॉल खिलाड़ी वैष्णवी यादव की अमेरिकी उड़ान
बॉस्केटबाल खिलाड़ी वैष्णवी यादव अमेरिका में जलवा बिखेरेंगी। बचपन में वैष्णवी का सपना टेनिस खिलाड़ी बनने का था लेकिन वह अब बॉस्केटबाल में जौहर दिखा रही हैं।
By Edited By: Updated: Mon, 27 May 2019 08:45 PM (IST)
प्रयागराज, प्रयागराज : कहते हैं प्रतिभा न तो दबती है, न ही खत्म होती है। वह निखरकर सामने आती ही है। बास्केटबॉल की उभरती खिलाड़ी वैष्णवी यादव ऐसी ही प्रतिभाशाली लोगों में से हैं। उनका चयन जूनियर कॉलेज लीग अमेरिका ने किया है, जहां वह बास्केटबॉल की बारीकियां सीखेंगी। वह पेंसा कोला स्टेट वूमेंस बास्केटबॉल टीम का हिस्सा बनेंगी। उनका यह चयन चार साल के लिए हुआ है। उन्हें दो साल 50 लाख रुपये स्कॉलरशिप मिलेगी।
वैष्णवी देश की पहली महिला बास्केटबॉल खिलाड़ी
जूनियर लीग कॉलेज में दाखिला पाने वाली वैष्णवी देश की पहली महिला बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं। यह बात दीगर है कि वह टेनिस की स्टार खिलाड़ी बनने का सपना संजोए थीं, लेकिन उनका सितारा तो बास्केटबॉल के खेल में चमकना था, सो रास्ते उसी ओर मुड़ते चले गए।
नौ वर्ष की उम्र से खेल रही हैं बास्केटबॉल
शहर के छोटा बघाड़ा मुहल्ला में रहने वाली वैष्णवी नौ साल की उम्र से अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स काम्पलेक्स में बास्केटबॉल खेल रही हैं। शुरुआती कोच प्रतिभा चौहान से उन्होंने बास्केटबॉल के गुर सीखे, जबकि वर्तमान में कोच प्रमिला भारती हैं। वैष्णवी सुपर फारवर्ड की बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उत्तर प्रदेश की टीम में रहते हुए उन्होंने एक मैच में 71 प्वाइंट अर्जित किए थे।
जूनियर इंडिया आदि प्रतियोगिता में शामिल हो चुकी हैं वैष्णवी
जूनियर इंडिया, यूथ इंडिया, इंडिया अंडर-18 टीम का हिस्सा रहने के साथ इंडिया अंडर-18 टीम के साथ मलेशिया में खेल चुकी हैं। उन्हें दो बार मोस्ट ड्यूरेबल प्लेयर, एक बार ऑलराउंड प्लेयर का खिताब मिल चुका है। मई 2018 में इनका चयन नेशनल बास्केटबॉल एकेडमी कैंप में हुआ, जिसमें शानदार खेल दिखाया, जिसके बल पर उनका चयन जूनियर कॉलेज लीग अमेरिका ने किया। वह जुलाई माह में अमेरिका जाएंगी।
यह उपलब्धि सपने के सच होने जैसा है : वैष्णवी
अपनी सफलता से उत्साहित वैष्णवी कहती हैं कि यह उनके सपने के सच होने जैसा है। वह पूरी लगन व मेहनत से वहां खेलकर देश का नाम रोशन करेंगी। कहती हैं कि भविष्य में बास्केटबॉल की निश्शुल्क एकेडमी चलाएंगी, जिससे नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिल सके।
..तब लगा खत्म हो गई दुनिया
वैष्णवी जब नेशनल बास्केटबॉल एकेडमी कैंप में थीं, तभी खेल के दौरान उनके घुटने में चोट लग गई थी, जिससे चलने व दौड़ने में दिक्कत आने लगी। उन्हें लगा कि उनकी खेल की दुनिया खत्म हो गई, वह दोबारा नहीं खेल पाएंगी, तब घर वालों ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया।
बचपन की शैतानियों ने खेल से जोड़ा
वैष्णवी बचपन में बहुत शरारती थीं। जब मौका मिलता घर से बाहर निकल जाती। पेड़ों पर चढ़ना, लटकना, उछलकूद करने में उनका समय बीतता था। वह बताती हैं कि शरारत ज्यादा होने पर पिटाई भी होती थी। फिर दादा स्व. अर्जुन प्रसाद व दादी लखपति देवी ने उन्हें खेल से जोड़ने का निर्णय लिया। चाचा राजेंद्र यादव अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स काम्पलेक्स ले गए और बास्केटबॉल में दाखिला कराया।
खेलना था टेनिस, खेल रहीं बास्केटबॉल
यह भी अजीब संयोग है कि बास्केटबॉल की स्टार खिलाड़ी बन चुकीं वैष्णवी इसे खेलना ही नहीं चाहती थीं। वह सानिया मिर्जा की तरह टेनिस खेलना चाहती थीं। अगस्त 2011 में उनके चाचा राजेंद्र उन्हें लेकर अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स काम्पलेक्स गए तो टेनिस में प्रवेश बंद हो चुका था। तब मजबूरी में बास्केटबॉल में दाखिला कराया, जहां उनका मन धीरे-धीरे रमने लगा।
कोच के मना करने पर नहीं हुआ टेनिस में दाखिला
अप्रैल 2012 में टेनिस में दाखिला शुरू हुआ तो वैष्णवी ने फिर उसमें जाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी कोच प्रतिभा ने टेनिस के कोच से चुपके से उनका प्रवेश न लेने को कहा। इससे उनका दाखिला नहीं हो पाया। इससे वैष्णवी निराश हो गई थीं। इधर बास्केटबॉल में उनका खेल लगातार बेहतर होता गया। तीन-चार साल बाद जब पता चला कि कोच की वजह से वह टेनिस नहीं खेल पायीं तो उनके निर्णय की सराहना की।
पिता ने बंद कर दी डेरी
वैष्णवी के पिता सुजीत यादव दूध की डेरी चलाते थे। मां शिमला देवी गृहणी हैं। वैष्णवी अच्छी तरीके से खेल सकें उसके लिए सुजीत ने डेरी बंद कर दी। वह हर समय उनकी देखरेख में लगे रहते हैं। वैष्णवी जहां भी आती जाती हैं वह उनके साथ रहते हैं। सुजीत कहते हैं कि बेटी अच्छी तरह से खेलकर नाम रोशन करे, उससे बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं है। वैष्णवी के भाई अनीस और मनीष पढ़ाई में मदद करते हैं। जितने भी फार्म भरने होते हैं वह काम दोनों भाई पूरा करते हैं।
दादा का सपना पूरा करना है मकसद
वैष्णवी बताती हैं कि वह अपने दादा स्व. अर्जुन प्रसाद की प्रेरणा से आज बेहतर खेलने में सक्षम हैं। दादा क्रिकेट के शौकीन थे, सचिन तेंदुलकर उनके पसंदीदा खिलाड़ी थे। वह मुझसे अक्सर कहते थे कि तुम भी अच्छा खेलो जिससे हम तुम्हे सचिन की तरह टीवी पर देख सकें। जीवित रहते हुए उन्होंने मेरा पासपोर्ट भी बनवा दिया था। वह दादा का सपना पूरा करने में लगी हैं।
खेल से जुड़ी फिल्में ही पसंद
वैष्णवी को न राजनीति पसंद है न ही फिल्में। खेल से जुड़ी कोई फिल्म आती है तभी उसे देखती हैं। दंगल, चक दे इंडिया जैसी फिल्में कई बार देख चुकी हैं।
वैष्णवी देश की पहली महिला बास्केटबॉल खिलाड़ी
जूनियर लीग कॉलेज में दाखिला पाने वाली वैष्णवी देश की पहली महिला बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं। यह बात दीगर है कि वह टेनिस की स्टार खिलाड़ी बनने का सपना संजोए थीं, लेकिन उनका सितारा तो बास्केटबॉल के खेल में चमकना था, सो रास्ते उसी ओर मुड़ते चले गए।
नौ वर्ष की उम्र से खेल रही हैं बास्केटबॉल
शहर के छोटा बघाड़ा मुहल्ला में रहने वाली वैष्णवी नौ साल की उम्र से अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स काम्पलेक्स में बास्केटबॉल खेल रही हैं। शुरुआती कोच प्रतिभा चौहान से उन्होंने बास्केटबॉल के गुर सीखे, जबकि वर्तमान में कोच प्रमिला भारती हैं। वैष्णवी सुपर फारवर्ड की बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उत्तर प्रदेश की टीम में रहते हुए उन्होंने एक मैच में 71 प्वाइंट अर्जित किए थे।
जूनियर इंडिया आदि प्रतियोगिता में शामिल हो चुकी हैं वैष्णवी
जूनियर इंडिया, यूथ इंडिया, इंडिया अंडर-18 टीम का हिस्सा रहने के साथ इंडिया अंडर-18 टीम के साथ मलेशिया में खेल चुकी हैं। उन्हें दो बार मोस्ट ड्यूरेबल प्लेयर, एक बार ऑलराउंड प्लेयर का खिताब मिल चुका है। मई 2018 में इनका चयन नेशनल बास्केटबॉल एकेडमी कैंप में हुआ, जिसमें शानदार खेल दिखाया, जिसके बल पर उनका चयन जूनियर कॉलेज लीग अमेरिका ने किया। वह जुलाई माह में अमेरिका जाएंगी।
यह उपलब्धि सपने के सच होने जैसा है : वैष्णवी
अपनी सफलता से उत्साहित वैष्णवी कहती हैं कि यह उनके सपने के सच होने जैसा है। वह पूरी लगन व मेहनत से वहां खेलकर देश का नाम रोशन करेंगी। कहती हैं कि भविष्य में बास्केटबॉल की निश्शुल्क एकेडमी चलाएंगी, जिससे नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिल सके।
..तब लगा खत्म हो गई दुनिया
वैष्णवी जब नेशनल बास्केटबॉल एकेडमी कैंप में थीं, तभी खेल के दौरान उनके घुटने में चोट लग गई थी, जिससे चलने व दौड़ने में दिक्कत आने लगी। उन्हें लगा कि उनकी खेल की दुनिया खत्म हो गई, वह दोबारा नहीं खेल पाएंगी, तब घर वालों ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया।
बचपन की शैतानियों ने खेल से जोड़ा
वैष्णवी बचपन में बहुत शरारती थीं। जब मौका मिलता घर से बाहर निकल जाती। पेड़ों पर चढ़ना, लटकना, उछलकूद करने में उनका समय बीतता था। वह बताती हैं कि शरारत ज्यादा होने पर पिटाई भी होती थी। फिर दादा स्व. अर्जुन प्रसाद व दादी लखपति देवी ने उन्हें खेल से जोड़ने का निर्णय लिया। चाचा राजेंद्र यादव अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स काम्पलेक्स ले गए और बास्केटबॉल में दाखिला कराया।
खेलना था टेनिस, खेल रहीं बास्केटबॉल
यह भी अजीब संयोग है कि बास्केटबॉल की स्टार खिलाड़ी बन चुकीं वैष्णवी इसे खेलना ही नहीं चाहती थीं। वह सानिया मिर्जा की तरह टेनिस खेलना चाहती थीं। अगस्त 2011 में उनके चाचा राजेंद्र उन्हें लेकर अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स काम्पलेक्स गए तो टेनिस में प्रवेश बंद हो चुका था। तब मजबूरी में बास्केटबॉल में दाखिला कराया, जहां उनका मन धीरे-धीरे रमने लगा।
कोच के मना करने पर नहीं हुआ टेनिस में दाखिला
अप्रैल 2012 में टेनिस में दाखिला शुरू हुआ तो वैष्णवी ने फिर उसमें जाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी कोच प्रतिभा ने टेनिस के कोच से चुपके से उनका प्रवेश न लेने को कहा। इससे उनका दाखिला नहीं हो पाया। इससे वैष्णवी निराश हो गई थीं। इधर बास्केटबॉल में उनका खेल लगातार बेहतर होता गया। तीन-चार साल बाद जब पता चला कि कोच की वजह से वह टेनिस नहीं खेल पायीं तो उनके निर्णय की सराहना की।
पिता ने बंद कर दी डेरी
वैष्णवी के पिता सुजीत यादव दूध की डेरी चलाते थे। मां शिमला देवी गृहणी हैं। वैष्णवी अच्छी तरीके से खेल सकें उसके लिए सुजीत ने डेरी बंद कर दी। वह हर समय उनकी देखरेख में लगे रहते हैं। वैष्णवी जहां भी आती जाती हैं वह उनके साथ रहते हैं। सुजीत कहते हैं कि बेटी अच्छी तरह से खेलकर नाम रोशन करे, उससे बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं है। वैष्णवी के भाई अनीस और मनीष पढ़ाई में मदद करते हैं। जितने भी फार्म भरने होते हैं वह काम दोनों भाई पूरा करते हैं।
दादा का सपना पूरा करना है मकसद
वैष्णवी बताती हैं कि वह अपने दादा स्व. अर्जुन प्रसाद की प्रेरणा से आज बेहतर खेलने में सक्षम हैं। दादा क्रिकेट के शौकीन थे, सचिन तेंदुलकर उनके पसंदीदा खिलाड़ी थे। वह मुझसे अक्सर कहते थे कि तुम भी अच्छा खेलो जिससे हम तुम्हे सचिन की तरह टीवी पर देख सकें। जीवित रहते हुए उन्होंने मेरा पासपोर्ट भी बनवा दिया था। वह दादा का सपना पूरा करने में लगी हैं।
खेल से जुड़ी फिल्में ही पसंद
वैष्णवी को न राजनीति पसंद है न ही फिल्में। खेल से जुड़ी कोई फिल्म आती है तभी उसे देखती हैं। दंगल, चक दे इंडिया जैसी फिल्में कई बार देख चुकी हैं।
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