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    Amarnath Yatra Tragedy: बाबा बर्फानी की कृपा से बची जान...आप भी पढ़िए अखिलेश सिंह की दास्तां

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Fri, 08 Jul 2022 11:02 PM (IST)

    राजरूपपुर के पार्षद अखिलेश सिंह बाबा बर्फानी की कृपा मानते हैं जो वह सुरक्षित हैं। शुक्रवार को वह जम्मू पहुंच गए। अमरनाथ आपदा की सूचना मिलने से व्यथित ...और पढ़ें

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    पार्षद अखिलेश 16 लोगों के जत्थे के साथ दर्शन करने गए थे, वह और बाकी लोग सुरक्षित हैं

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बाबा बर्फानी की कृपा है कि बचकर चला आया। बाबा का दर्शन करने के बाद वहां रुकने का कार्यक्रम था, लेकिन पांच जुलाई की सुबह बारिश हो गई। इससे यात्रा बंद कर दी गई। साथ ही दर्शन कर चुके तीर्थयात्रियों को सेना ने वापस भेज दिया गया। इससे मैं भी साथियों के साथ लौट आया...। ये आत्म तसल्लीपूर्ण शब्द राजरूपपुर के पार्षद अखिलेश सिंह के हैं। शुक्रवार को वह जम्मू पहुंच गए। अमरनाथ आपदा की सूचना मिलने से व्यथित अखिलेश बताते हैं कि छह जुलाई को से पूरी तरह से यात्रा बंद कर दी गई थी। अगर वापस नहीं भेजा गया होता तो वह भी वहीं रुकते और फिर न जाने क्या होता।

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    16 लोगों के जत्थे में गए अखिलेश ने सुनाई दास्तां

    पार्षद अखिलेश 16 लोगों के जत्थे के साथ दर्शन करने गए थे। इनके साथ मीरापुर के राजेश गुप्ता, कैंट के भोला सोनकर और सुनील साहू, लूकरगंज के मनोज कुमार, सिविल लाइंस के विवेक श्रीवास्तव आदि शामिल हैं। चार जुलाई को बाबा बर्फानी का दर्शन करने के लिए बालटाल पहुंचे। वहां से गुफा की ओर रवाना हुए। मौसम अच्छा था, ऐसे में सबने तय किया कि दर्शन के बाद टेंट में एक-दो दिन और रुकेंगे और प्रकृति का आनंद लेंगे। इसके बाद बाबा का दर्शन किया और पांच जुलाई की सुबह बालटाल आ गए। वहां रुकने की तैयारी कर रहे थे, तभी मौसम अचानक बदल गया और भारी बारिश शुरू हो गई। तीर्थयात्रियों को सुरक्षित ठिकानों पर ले जाया गया और यात्रा बंद कर दी गई। पांच जुलाई को भारी वर्षा हुई और जब थमी तो वहां फंसे तीर्थयात्रियों को वापस भेजना शुरू कर दिया गया। शाम को वह और उनके साथी भी निकल गए।

    छह जुलाई को यात्रा बंद औऱ फिर जो जहां था वहीं फंस गया

    छह जुलाई को बारिश के कारण यात्रा फिर बंद कर दी गई। ऐसे में जो जहां था वहीं फंसा रह गया। अगर वहां रुकते तो फंसे रह जाते और ऐसे में कोई भी अनहोनी हो सकती थी। वहां नेटवर्क न होने के कारण परिजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा था। इसलिए परिजनों को पता नहीं चला कि वे निकल आए हैं। आठ को बादल फटने के बाद हुई तबाही के बाद परिवार के लोग भी परेशान हो गए। फोन बंद होने से परिजनों की घबराहट बढ़ गई थी। परिजनों ने प्रशासन से भी संपर्क करना शुरू कर दिया था। इस बीच वे वैष्णों देवी का दर्शन करने के लिए कटरा पहुंच गए। यहां परिजनों को फोनकर सकुशल होने की जानकारी दी। इसके परिवार के लोग शांत हुए।

    30 टेंट बह गए, बहुत से लोगों की जान जाने की आशंका

    अखिलेश बताते हैं कि पहाड़ पर बारिश काफी डरावनी लगती थी। टेंट वालों से बात हुई, तो उन्होंने बताया कि शुक्रवार शाम को साढ़े पांच बजे बादल फटने से दो टेंट बह गए थे। इसके बाद बादल फटने की दूसरी घटना शाम छह बजे के आस पास घटी। इसने ज्यादा तबाही मचाई है, बताया गया कि 25 से 30 टेंट बह गए हैं और कई लोगों की जान गई है। अखिलेश ने बताया कि अब वे माता वैष्णो देवी का दर्शन करके प्रयागराज लौटेंगे। वहीं लूकरगंज के मनोज कुमार सिंह ने बताया कि सभी लोग साथ थे इसलिए हिम्मत बंधी थी। वहां मौसम कब खराब हो जाए, कुछ पता नहीं। कुछ देर पर धूप खिली थी और अचानक ही भारी बारिश शुरू हो गई। बाबा की कृपा है कि यात्रा बंद होने से पहले ही उनको वहां से निकाल दिया गया था।