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    अमरकांत की पुण्यतिथि पर विशेष: विख्यात कथाकार के प्रसिद्ध उपन्यासों को पढ़ सकेंगे गैर हिंदी भाषी भी

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Thu, 17 Feb 2022 10:04 AM (IST)

    पुण्यतिथि पर विशेष यूपी में बलिया जिले के नगरा कस्बे के पास भगमलपुर गांव में एक जुलाई 1925 को जन्मे अमरकांत की कर्मस्थली प्रयागराज रही है। बलिया में 1 ...और पढ़ें

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    अमरकांत के कई उपन्यासों का अलग-अलग भाषाओं में हो रहा है अनुवाद

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मुंशी प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी धारा के प्रमुख कथाकार अमरकांत के हृदयस्पर्शी लेखन ने हिंदी साहित्यजगत में अमिट छाप छोड़ी है। हिंदी के पाठक उनकी हर रचना के कायल हैं। अब गैर हिंदी भाषी भी उनके मुरीद बनेंगे। इसके लिए अमरकांत के चर्चित उपन्यास इन्हीं हथियारों से तथा सूखा पत्ता का बांग्ला, मराठी, मलयालम भाषा में कराया जा रहा है। कहानी ''बहादुर का अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है। अमरकांत के पुत्र साहित्यकार अरविंद बिंदू बताते हैं कि अनुवाद का काम पांच-छह महीने में पूरा हो जाएगा। इसके अलावा अमरकांत जी की दूसरी रचनाओं का अलग-अलग भाषा में अनुवाद कराने के लिए प्रकाशक संपर्क कर रहे हैं।

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    12वीं की पढ़ाई के बाद बलिया से आए थे प्रयागराज

    यूपी में बलिया जिले के नगरा कस्बे के पास भगमलपुर गांव में एक जुलाई 1925 को जन्मे अमरकांत की कर्मस्थली प्रयागराज रही है। बलिया में 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो प्रयागराज आए। यूइंग क्रिश्चियन कालेज में बीए में दाखिल लिया। वर्ष 1942 में स्वतंत्रता आंदोलन जोर पकड़ा तो पढ़ाई छोड़कर उसमें सक्रिय हो गए थे। ब्रिटिश हुकूमत से देश को आजादी मिलने के बाद 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पुन: बीए में दाखिला लेकर पढ़ाई पूरी की। वो हिंदू छात्रावास में रहकर पढ़ाई करते थे। पढ़ाई के दौरान साहित्य लेखन में उनका रुझान बढऩे लगा। उन्हें 1955 में कहानी ''डिप्टी कलेक्टरी से साहित्यजगत में ख्याति मिली है। प्रयागराज में 17 फरवरी 2014 को उनका निधन हो गया।

    सहज लेखन से बनाया मुरीद

    वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक प्रो. राजेंद्र कुमार बताते हैं कि देश को आजादी मिलने के बाद नई कहानी लिखने का आंदोलन चल रहा था। अमरकांत ने खुद को उसमें ढाल लिया। उन्होंने लीक से हटकर लेखन शुरू किया है। उनका साहित्य गढऩे के बजाय प्रेमचंद की तरह सरल व सीधा था। साहित्यकार मोहन राकेश, कमलेश्वर व राजेंद्र यादव से उनका आत्मीय रिश्ता था।

    प्रमुख रचनाएं

    -कहानी संग्रह : जिंदगी और जोंक, देश के लोग, कुहासा, तूफान आदि।

    -उपन्यास : सूखा पत्ता, काले-उजले दिन, कंटीली राह के फूल, आकाश पक्षी, इन्हीं हथियारों से, विदा की रात आदि।