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Allahabad University के पूर्व छात्र अमित राजपूत के नाम विश्व रिकार्ड, हालैंड हाल के भी रहे अंतःवासी

स्नातक के बाद अमित प्रयागराज से नई दिल्ली चले गए थे। वहां भारतीय जनसंचार संस्थान के 2014-15 बैच से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर इन्होंने अपने कॅरिअर की शुरुआत आकाशवाणी-दिल्ली में प्रधानमंत्री के विशेष कार्यक्रम ‘मन की बात’ के साथ की थी।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 09:11 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 06:08 PM (IST)
Allahabad University के पूर्व छात्र अमित राजपूत के नाम विश्व रिकार्ड, हालैंड हाल के भी रहे अंतःवासी
हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड तथा इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ अमित राजपूत की

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और हालैंड हाल छात्रावास के पुरा अंतःवासी अमित राजपूत ने विश्व रिकॉर्ड बनाया है। लंदन के हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड ने पूर्व छात्र के नाम विश्व के सबसे युवा स्तम्भकार होने का रिकॉर्ड दर्ज किया है। इसी के साथ पूर्व छात्र अमित राजपूत की ख्याति अंतर्राष्ट्रीय पटल पर फैल गयी है और उन्होंने दुनियाभर में भारत-देश सहित इविवि का मान बढ़ाया है। अमित राजपूत के इस कारनामे से इविवि समेत हालैंड हाल का माथा विश्व-पटल पर ऊँचा हुआ है, जिससे विश्वविद्यालय परिवार और हॉलैण्ड हाल छात्रावास में जश्न का माहौल है।

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अमित की रंगकर्म में रही है गहरी दिलचस्पी

अमित राजपूत विश्वविद्यालय में वर्ष 2011 से 2014 तक आधुनिक इतिहास और राजनीति विज्ञान विषय में स्नातक के छात्र रहे हैं। इस दौरान वह हालैंड हाल छात्रावास के कैम्ब्रिज कोर्ट में कक्ष संख्या 64 में रहा करते थे। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान अमित की रंगकर्म में गहरी दिलचस्पी रही है। इस बाबत वह ‘द थर्ड बेल’ संस्था के साथ रंगमंच में भी जमकर सक्रिय रहे हैं। मूलतः जनपद-फतेहपुर से ताल्लुक रखने वाले अमित राजपूत को न सिर्फ़ हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड ने उन्हें दुनिया का सबसे युवा स्तम्भकार घोषित किया है, बल्कि इण्डिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड ने भी उनका नाम अपनी रिकॉर्ड बुक में दर्ज़ किया है। इस तरह इण्डिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड तथा हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने वाले अमित राजपूत भारत और भारत के बाहर वैश्विक स्तर पर बतौर दुनिया के सबसे युवा स्तम्भकार अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं।

मन की बात से शुरू की करियर की शुरूआत

स्नातक के बाद अमित प्रयागराज से नई दिल्ली चले गए थे। वहां भारतीय जनसंचार संस्थान के 2014-15 बैच से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर इन्होंने अपने कॅरिअर की शुरुआत आकाशवाणी-दिल्ली में प्रधानमंत्री के विशेष कार्यक्रम ‘मन की बात’ के साथ की थी। आकाशवाणी में रहते हुए ही इन्होंने एफएम रेनबो इण्डिया तथा एफएम गोल्ड में भी अपनी सेवाएं दीं। इसके साथ ही ये प्रसार भारती द्वारा आकाशवाणी व दूरदर्शन के बीच क्रॉस चैनल पब्लिसिटी व क्रॉस मीडिया पब्लिसिटी के गठित प्रोग्राम प्रमोशन यूनिट की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य भी रहे हैं। इसके बाद विभिन्न संस्थानों में पांच वर्ष से अधिक समय से हाल ही तक अमित मेनस्ट्रीम मीडिया में सक्रिय रहे, मगर इन दिनों वह स्वतंत्र लेखन में सक्रिय हैं। आकाशवाणी से इनका जुड़ाव आज भी विभिन्न कार्यक्रमों के लेखन मसलन रेडियो रूपक, प्रोमो व नाट्य-लेखन आदि के जरिए लगातार बना हुआ है।

हालैंड हाल के अंतः वासी रहे अमित राजपूत की ब्रॉडकास्टर व स्तम्भकार के अलावा एक संवेदनशील लेखक और नाटककार के रूप में भी पहचान है। अंतर्वेद प्रवर, जान है तो जहान है, आरोपित एकांत तथा हाल ही में प्रकाशित हुई- कोरोनानामा इनकी चर्चित पुस्तकें हैं। अमित के नाम विश्व रिकॉर्ड कायम होने से इविवि और हालैंड हाल परिवार के लोगों द्वारा उन्हें बधाइयां देने वालों का तांता लग गया है।


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