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Allahabad University Establishment Day: 12 साल में तैयार हुआ था पूरब का आक्सफोर्ड

इतिहासकार प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी बताते हैं म्योर सेंट्रल कालेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था। उम्मीद जताई जा रही थी कि कालेज की इमारत 1875 बनकर तैयार हो जाएगी। हालांकि इसे पूरा होने में 12 वर्ष लग गए

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 07:20 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 09:18 AM (IST)
पूरब का आक्सफोर्ड कहा जाने वाला प्रतिष्ठित इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय 12 साल में बनकर तैयार हुआ था।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। पूरब का आक्सफोर्ड कहा जाने वाला प्रतिष्ठित इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय 12 साल में बनकर तैयार हुआ था। नौ दिसंबर 1873 को म्योर कालेज की आधारशिला हिज एक्सीलेंसी द राइट आनरेबल टामस जार्ज बैकिंग बैरन नार्थब्रेक आफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई थी।

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तकरीन नौ लाख रुपये में तैयार हो गई थी इमारतें

इतिहासकार प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी बताते हैं म्योर सेंट्रल कालेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था। उम्मीद जताई जा रही थी कि कालेज की इमारत 1875 बनकर तैयार हो जाएगी। हालांकि, इसे पूरा होने में 12 वर्ष लग गए। 1888 अप्रैल तक कालेज का सेंट्रल ब्लाक बनाने में आठ लाख 89 हजार 627 रुपये खर्च हुए। इसका औपचारिक उद्घाटन आठ अप्रैल 1886 को वायसराय हिज एक्सीलेंसी लार्ड डफरिन ने किया। विश्वविद्यालय की भव्य शैली तथा स्थापत्य यहां प्राच्य तथा पाश्चात्य विचारों तथा परंपराओं के मेल का सूचक है। इस तरह यह पूरब का आक्सफोर्ड माना जाने लगा।

23 सितंबर को पास हुआ था एक्ट

आज से ठीक 134 साल पहले 23 सितंबर 1887 को इलाहाबाद विश्विवद्यालय की स्थापना हुई और ङ्गङ्कढ्ढढ्ढ एक्ट पास हुआ। इसी के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय भी कोलकाता, मुंबई तथा मद्रास की तरह उपाधि प्रदान करने वाला संस्था बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च 1889 में हुई। 1904 में इंडियन यूनिवर्सिटी एक्ट पारित हुआ। इसके तहत इलाहाबाद विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र संयुक्त प्रांत आगरा, सेंट्रल प्राविंसेज (जिनमें बरार, अजमेर तथा मेवाड़ शामिल थे) तथा राजपूताना एवं सेंट्रल इंडियन एजेंसीज के अधिकांश प्रांत तक सीमित कर दिया गया।

1921 में समाप्त हुआ म्योर कालेज का अस्तित्व

1887 एवं 1972 की अवधि में इस क्षेत्र में कम से कम 38 विभिन्न संस्थान एवं कालेज उससे संबद्ध् हुए। 1921 में जब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एक्ट लागू हुआ तो म्योर सेेंट्रल कालेज का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो गया। 1922-27 के बीच यूनिवर्सिटी के आंतरिक और बाह्य धड़े बन गए। जिन्हें अलग कर बाद में विश्वविद्यालय का आवासीय स्वरूप दिया गया। 1911 में बना सीनेट हाल गौरवमयी इतिहास समेटे है। 1987 में इस विश्वविद्यालय ने अपना शताब्दी साल मनाया।

नंबर गेम :

24 मई 1867 को संयुक्त प्रांत के तत्कालीन गवर्नर विलियम म्योर ने महाविद्यालय-विश्वविद्यालय खोलने की जताई थी इच्छा

02 साल बाद 1869 में योजना तैयार करने के बाद बनाई गई थी कमेटी

16 हजार रुपये जुटाने का लिया गया थ संकल्प

02 हजार रुपये दान सर विलियम म्योर ने दिए थे

03 साल के लिए दरभंगा कैसल के मालिक से लीज पर ली गई थी इमारत

250 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से लीज पर ली गई इमारत में शुरू हुई पढ़ाई

22 जनवरी 1872 को महाविद्यालय खोले जाने का ज्ञापन भारत सरकार के पास भेजा

01 जुलाई 1872 से म्योर सेंट्रल कालेज ने अपना काम शुरू कर दिया

13 लोगों ने पहले सत्र में लिया था दाखिला

23 सितंबर 1887 को बनकर तैयार हुआ था इलाहाबाद विश्वविद्यालय


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