Allahabad High Court: यूपी में पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ चल रही विभागीय कार्रवाई पर रोक
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना है कि पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस नियमावली 1991 के नियम 14 (1) के अंतर्गत कार्यवाही में आरोप पत्र दिया गया है जो गलत है। कहा गया कि विभागीय कार्रवाई पूर्व में दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाकर की जा रही है।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात इंस्पेक्टरों, सब इंस्पेक्टरों, हेड कांस्टेबिलों व कांस्टेबलों के विरुद्ध चल रही विभागीय कार्रवाई पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी व न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की अलग-अलग कोर्ट ने दिया है।
पुलिस कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप में एफआइआर है दर्ज
पुलिस कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप में एफआइआर दर्ज कराई गई है। इन पुलिस कर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। इसमें विभागीय कार्रवाई भी शुरू की गई है। याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना है कि पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस नियमावली 1991 के नियम 14 (1) के अंतर्गत कार्यवाही में आरोप पत्र दिया गया है, जो गलत है। कहा गया कि विभागीय कार्रवाई पूर्व में दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाकर की जा रही है। क्रिमिनल केस के आरोप तथा विभागीय कार्रवाई के आरोप एक समान है। साक्ष्य भी एक है। ऐसे में इस प्रकार की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के कैप्टन एम पाल एंथोनी में दिए गए विधि के सिद्धांत के विरुद्ध है।
विभागीय कार्यवाही आपराधिक कार्यवाही के निस्तारण तक स्थगित रखी जाए
अदालत में कहा गया कि जब आपराधिक व विभागीय दोनों कार्यवाही एक ही आरोपों को लेकर चल रही हो तो विभागीय कार्यवाही आपराधिक कार्यवाही के निस्तारण तक स्थगित रखी जाए। कहा गया कि यूपी पुलिस रेगुलेशन को सुप्रीम कोर्ट ने वैधानिक माना है और स्पष्ट किया है इसका उल्लंघन करने से आदेश अवैध और अमान्य हो जाएंगे। याचिका दाखिल करने वाले इंस्पेक्टर, दरोगा, हेड कांस्टेबल, व कांस्टेबल प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, अलीगढ़, कानपुर नगर, बरेली व वाराणसी में तैनात हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।