इलाहाबाद हाई कोर्ट नाराज, कहा- अधिवक्ता का बिना गाउन कोर्ट में खड़ा होना दुर्भाग्यपूर्ण
खंडपीठ ने कोर्ट में बिना गाउन के पेश वकील की खिंचाई करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। कोर्ट ने कहा कि वह ऐसे कृत्य पर बार काउंसिल को संस्तुति कर सकते हैं लेकिन युवा वकील होने के कारण ऐसा नहीं किया। भविष्य में नियम का ख्याल रखने की चेतावनी दी।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर व न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कोर्ट में बिना गाउन के पेश हुए वकील की खिंचाई करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह ऐसे कृत्य पर बार काउंसिल को संस्तुति कर सकते हैं, लेकिन युवा वकील होने के कारण ऐसा नहीं किया। भविष्य में नियम का ख्याल रखने की चेतावनी दी है। नार्दन कोल फील्ड लिमिटेड की तरफ से वकील संदीप कोर्ट में पेश हुए थे। वह अदालत के समक्ष बगैर गाउन पहने ही खड़े हो गये। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।
पहले भी वकीलों को चेतावनी दे चुका है कोर्ट
इससे पहले भी वर्चुअल सुनवाई के दौरान वकील के पूरे पोशाक में न होने के कारण कैमरा आन करने से इन्कार करने पर जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी। वकील जब वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई में शामिल हुआ तो उसका कैमरा बंद था। जब वकील को अपना कैमरा चालू करने का निर्देश दिया गया तो उसने कहा कि वह पोशाक में नहीं हैं, इसलिए वह कैमरे को आन नहीं कर सकता। वहीं, पिछले साल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक वकील को फटकार लगाई थी, जो वीसी मोड के माध्यम से एक अन्य व्यक्ति के साथ पेश हुआ था। ऐसे ही हाई कोर्ट ने एक अन्य वकील के कृत्य को अस्वीकार्य करार दिया था, जो अदालत द्वारा जमानत अर्जी में आदेश सुनाने के दौरान खुद को तैयार करने की कोशिश कर रहा था। अदालत ने कहा था कि आवेदक की ओर से पेश वकील अदालत के कामकाज के तौर-तरीकों के अनुसार उचित वर्दी में नहीं हैं। जब आदेश दिया जा रहा है तो वह तैयार होने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।
जून 2021 में हाई कोर्ट ने एक वकील की खिंचाई की थी, जो कार में बैठे-बैठे ही केस की बहस करने की कोशिश कर रहा था। हाई कोर्ट ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को अदालतों को संबोधित करने के लिए सुनवाई के दौरान वकीलों के लिए क्या करें और क्या न करें? के लिए नियमों का एक सेट तैयार करने का भी निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की पीठ का यह आदेश हाई कोर्ट के बार संघों के पदाधिकारियों को अपने सदस्यों को सलाह देने के लिए कहा था कि वे वर्चुअल मोड के माध्यम से इस न्यायालय के समक्ष पेश होने के दौरान कोई आकस्मिक दृष्टिकोण न अपनाएं, जिससे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
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