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    Allahabad High Court: लापरवाही पर गोरखपुर के DIOS के खिलाफ कार्रवाई कर जानकारी देने का निर्देश

    By Jagran NewsEdited By: Ankur Tripathi
    Updated: Fri, 28 Oct 2022 09:37 PM (IST)

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 22 वर्षों से गोरखपुर के एक विद्यालय में प्रधानाचार्य का पद क्यों खाली है? कोर्ट ने इससे पहले खाली पद भरने का आदेश दिया था और अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा ने हलफनामा दाखिल कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था।

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    हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा- 22 वर्षों से गोरखपुर के एक विद्यालय में प्रधानाचार्य का पद क्यों खाली

    प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 22 वर्षों से गोरखपुर के एक विद्यालय में प्रधानाचार्य का पद क्यों खाली है? कोर्ट ने इससे पहले खाली पद भरने का आदेश दिया था और अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा ने हलफनामा दाखिल कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद भी प्रधानाचार्य का पद खाली है। कोर्ट ने इस पर गहरी नाराजगी जताई।

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    18 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

    हाई कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सचिव से गोरखपुर मंडल में प्रधानाचार्य और शिक्षकों के खाली पदों का व्योरा पेश करने तथा गोरखपुर के डीआइओएस ज्ञानेंद्र कुमार सिंह धुरिया और पूर्व डीआइओएस प्रदीप कुमार मिश्रा तथा सतीश के खिलाफ की गई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी है। याचिका की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

    यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने गोरखपुर स्थित श्री गांधी इंटर कॉलेज की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी ने कहा कि कालेज में 22 वर्षों से प्रधानाचार्य का पद रिक्त है। स्कूल प्रशासन ने कई बार माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और माध्यमिक शिक्षा सचिव उत्तर प्रदेश को पत्र लिखा है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। याची ने पहले भी याचिका दाखिल की थी, जिस पर अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने हलफनामा दाखिल कर यह बताया था कि याची प्रधानाचार्य के पद को भरे जाने के लिए कार्यवाही की जा रही है।

    पद नहीं भरा जा सका, जिसकी वजह से स्कूल सही तरीके से अपना कार्य नहीं कर पा रहा है। इस वजह से याची को दोबारा याचिका दाखिल करनी पड़ी। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा समाज की बुनियादी जरूरत है। उसे ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता है।, शिक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित और विश्वसनीय बनाए जाने की जरूरत है। जिससे कि समाज लाभान्वित हो सके। कोर्ट ने पूछा है कि प्रधानाचार्य और शिक्षकों के पिछले 10 वर्षों में कितने पद खाली हैं? कितने की नियुक्ति हुई है? खाली पदों को भरे जाने के लिए क्या कार्यवाही की गई है? कोर्ट ने कहा खाली पदों को समय सीमा के भीतर भरा जाए।

    अदालत ने मांगी है शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से जानकारी

    कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से पूछा कि गोरखपुर मंडल में 10 वर्षों में प्रधानाचार्य और शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती के लिए कितनी परीक्षाएं हुई हैं। कितने पदों पर भर्ती हो चुकी है और कितने पद खाली हैं। इसके साथ ही प्रतीक्षा सूची में कितने अभ्यर्थियों का नाम शामिल है।